स्टेट के किसानों का चावल मिल वालों ने कर दिया गया गायब

- ऑफिसर्स की मिलीभगत से लगातार चार सालों से हो रहा गोलमाल

- पशुपालन घोटाला से भी बड़ा घोटाला बन रहा है चावल घोटाला

PATNA : छह महीने तक सैकड़ों घरों की भूख मिट सकती थी, स्कूलों में मिलने वाले मिड मील में बेहतर चावल परोसा जा सकता था। अंत्योदय योजना के तहत सड़ा हुआ चावल खाने को नहीं मिल सकता था, पर यह सब हो रहा है। लोग भूखे हैं, बच्चों को मिड डे मील और अंत्योदय योजना के तहत घरों में अच्छा चावल खाने के लिए नहीं मिल रहा है। चावल में आए दिन खराबी और गड़बड़ी की वजह से स्टेट गवर्नमेंट के सामने कई तरह की प्रॉब्लम एक साथ आने लगी है, पर चावल को लेकर लापरवाही इस कदर रही है कि पिछले चार सालों में एक के बाद एक गड़बड़ी सामने आने लगी। गड़बड़ी की राशि करोड़ों तक पहुंच गयी, फिर भी किसी के कान पर जू नहीं रेंगा। हालत यह हो गई कि चारा घोटाला से भी बड़ा चावल घोटाला सामने आ रहा है। अब तक घोटाले की राशि ख्भ्00 करोड़ के आसपास पहुंच चुकी है। इसका खुलासा सामने आने के बाद भी एडमिनिस्ट्रेशन जागा नहीं और वर्ष ख्0क्क्-ख्0क्ख् में जो घोटाला ब्ब्8 करोड़ के आसपास था, वह अब ख्0क्फ्-ख्0क्ब् तक क्ख्00 करोड़ के आसपास पहुंच चुका है।

अच्छा चावल पहुंचा बंगलादेश

मिड डे, अन्नपूर्णा और अंत्योदय में जो चावल परोसा जा रहा है, उसकी हालत काफी खराब है। इतनी गंदगी उसमें रहती है कि कभी सांप तो कभी बिच्छू तक मिलने का मामला सामने आते रहता है। इसके अलावा चावलों में कालापन और पीलापन रहने के साथ-साथ उसकी मोटाई कई दफा उसे ठीक से उबलने तक नहीं देती। एक्सप‌र्ट्स मानते हैं कि दरअसल जो चावल दी जा रही है, उसका स्तर काफी खराब है। चावल जैसे-तैसे परोसा जा रहा है, जबकि इन चीजों के लिए ही धान से चावल बनाने के लिए मिल वालों को दिया गया था, जिसमें बड़े पैमाने पर बंदरबांट हो गया। आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय ने बताया कि मिल वालों ने सभी चावल को वापस लौटाने के बदले सीधे नेपाल के रास्ते बंग्लादेश में बेच दिया।

एग्रीमेंट का उड़ाया मजाक, लुटेरों को लूटने दिया

स्टेट के तमाम डिस्ट्रिक्ट में चावल की लूट मचायी गयी। एग्रीमेंट के मुताबिक म्7 परसेंट चावल भारतीय खाद्य निगम के पास मिल वालों को को देना था। इसके बाद उन मिलरों को क्00 परसेंट धान दिया जाता, पर ऐसा नहीं किया गया। मिलरों से एग्रीमेंट के मुताबिक कुछ भी नहीं लिया गया। बिहार राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक ने एग्रीमेंट का उल्लंघन कर डायरेक्ट धान दे दिया। मिलरों को कुटाई के बाद वो चावल वापस करना था, पर उन लोगों ने एक दाना भी वापस नहीं किया। कंडीशन दिन-ब-दिन खराब होती चली गई।

हर डिस्ट्रिक्ट में मिलकर लूटा

हर डिस्ट्रिक्ट में मिलरों ने मिलीभगत से धान ले लिया, फिर उसकी कुटाई कर चावल को बाहर ले जाकर बेच दिया। आरटीआई में जो बातें सामने आयी है, वो यह कि एडमिनिस्ट्रेशनने जानबूझ कर ख्0क्क्-ख्0क्ख् के घोटालेबाज को ख्0क्ख्-ख्0क्फ् में भी धान दिया और उसको फिर ख्0क्फ्-ख्0क्ब् में भी दिया गया है। यही नहीं, कई मिलरों को उसकी क्षमता से अधिक जाकर भी धान दिया गया था, ताकि अधिक से अधिक चावल का उत्पादन किया जा सके। पर, ऐसा कुछ हुआ नहीं। घोटालेबाज सारा चावल बैठकर खा गया।

हर साल बढ़ता गया घोटाला

वर्ष ख्0क्क्-ख्0क्ख् - ब्ब्8 करोड़

वर्ष ख्0क्ख्-ख्0क्फ् - 9फ्9 करोड़

वर्ष ख्0क्फ्-ख्0क्ब् - क्ख्00 करोड़

नागरिक अधिकार मंच बिहार की ओर से लगातार गवर्नमेंट को इसकी जानकारी दिया जाता रहा, पर बड़े पैमाने पर यह घोटाला किया गया। इस पर अंकुश लगाने की बजाय लूट को तुल पकड़ाया गया।

शिव प्रकाश राय

अध्यक्ष, नागरिक अधिकार मंच बिहार