10-15 रुपए प्रति किलो बिकने वाला चावल पहुंच गया 30-40 रुपए प्रति किलो तक

- अरवा, उसना से लेकर पैकेट वाले चावल के रेट में हुआ इजाफा

- चार सालों में घर की कई वेरायटील पर इसका पड़ने लगा असर

PATNA: पिछले चार सालों में जब-जब चावल के पीछे माफियाओं ने हाथ साफ करना शुरू किया, तब-तब मार्केट में चावल के दानों ने आग लगानी शुरू कर दी। क्0-क्भ् रुपए प्रति किलो वाला चावल सीधे बीस तक पहुंच गया, फिर छह महीने में ख्भ् रुपए तक कीमत पहुंचने लगा। इसके पीछे वजह भी कई बतायी गई। मसलन कि धान की उपज नहीं हो पा रही है। कई जगह सूखा या फिर फसल खराब होने जैसे हजारों बहाने मार्केट से होते हुए घरों तक पहुंचे। घरवालों को लगा कि इस साल कोई बात नहीं अगले साल से कंट्रोल में आ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चावल की कीमतों में लगातार इजाफा होता चला गया। होलसेल से लेकर रिटेल तक और लोकल लेवल पर चावलों को उसकी कीमतों में भुनाने के लिए कई तरह की वेरायटी उतार दी गई, लेकिन अंदर खाने की बात किसी को पता नहीं चल पा रहा था कि उसके घरों में उपज होने वाला धान का चावल उन तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा है। मिल मालिक धान की चोरी कर सीधे उसे बाहर के मार्केट में चावल के रूप में सेल कर दे रहे थे, लेकिन चार साल बाद अचानक से पता चला कि जिस बढ़ी हुई कीमत का चावल लोगों की घरों तक पहुंच रहा है, उसकी वजह चावल का घोटाला है।

पैकेट वाले चावल में भी इजाफा

चावल की रेट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि होलसेल में अरवा, उसना और पैकेट वाले चावलों के रेट में तेजी से इजाफा हो गया है। चार साल पहले जो अरवा क्0 रुपए, क्भ् रुपए, क्7 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलता था, उसमें सीधे ख्भ् रुपए, फ्ब् रुपए, ब्0 रुपए, ब्म् रुपए, भ्0 रुपए प्रति किलो, 70 रुपए प्रति किलो तक का इजाफा हो गया है। वहीं उसना की हालत तो और भी खराब है। आम घरों में बनने वाले इस चावल की कीमतों में भी जमकर इजाफा हुआ है। यह मिनिमम ख्म् रुपए प्रति किलो के साथ-साथ फ्0 रुपए, फ्ब् रुपए, फ्म् रुपए, फ्8 रुपए, ब्0 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। होलसेल गली में चावल के होल सेलर कारू जी ने बताया कि चार सालों में दुगुना रेट तो बढ़ा ही है, साथ ही क्वालिटी और उसके सुगंध में भी कमी आया है।

बंगाल और रांची के सहारे

पटना सहित आसपास के एरिया में जो भी चावल यूज कर रहे हैं, उसमें से अधिकांश बंगाल और रांची से आ रहा है। लोकल चावल की पैदावार कम होने की वजह से हर जगह उपलब्ध नहीं हो पाता है। फिलहाल होलसेल में हर दिन हजारों क्विंटल के हिसाब से बंगाल और रांची से ही चावल आता है। पैकिंग अरवा चावल आंध्रा सहित साउथ से आता है।

लोकल चावल में दाना नहीं मिलेगा

अब तक कम कीमतों के चावल यानी कि बीस रुपए प्रति किलो को इस लिए लोग पसंद नहीं कर रहे थे, क्योंकि उसमें कंकड़ मिल जाता था। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि धान को छत पर सुखाने के बाद उसे झाड़ू से इकट्ठा किया जाता था, फिर मिल में कुटाई होती थी। अब बिहार के विभिन्न मिल में लोकल चावल की कुटाई से पहले उसमें मिलने वाले कंकड़ को निकालने की टेक्निक आ गयी है। अब ऐसी प्रॉब्लम कस्टमर को नहीं उठानी पड़ेगी।

सब्जी का दाम मीडिया में आया इसलिए इतना महंगा लग रहा है, लेकिन किचन में चावल को जो आतंक है वह किसी से छिपा नहीं है। सब्जी के बिना कुछ दिनों तक रह सकते हैं, पर चावल के बिना आप एक पल के लिए भी नहीं रह सकते।

सुगंधा, हाउस वाइफ

इतने रुपयों की हुई कालाबाजारी

मधेपुरा - क्ब्0फ्फ्97फ्7.00 रुपए

औरंगाबाद - क्भ्ब्म्99म्क्म्.00 रुपए

नालंदा - फ्भ्भ्009879.फ्म् रुपए

बक्सर - म्म्फ्9898ख्9.0क् रुपए

गया - फ्म्8ख्0ख्78.ख्8 रुपए

गोपालगंज - फ्क्ब्9फ्भ्ब्0.00 रुपए

समस्तीपुर - फ्9ख्ख्क्0फ्ख्.फ्म् रुपए

कैमूर भभुआ - 7क्क्ब्9877म्.00 रुपए

रोहतास - ब्7भ्877म्.भ्7 रुपए

सीतामढ़ी - क्भ्9फ्भ्9म्70.ख्भ् रुपए

जमुई - क्8ब्ब्ख्क्.80 रुपए

बेतिया - क्क्क्ब्08ख्भ्.फ्9 रुपए

सुपौल - क्म्भ्क्ख्म्087.00 रुपए

सहरसा - ब्7म्77क्भ्फ्.90 रुपए

मुजफ्फरपुर - फ्0फ्08भ्म्ख्0.भ्0 रुपए

दरभंगा - ख्क्क्क्फ्म्भ्क्.97 रुपए

कटिहार - क्8भ्ब्9ख्क्9.00 रुपए

वैशाली - क्97फ्7फ्9क्9.9भ् रुपए

शेखपुरा - क्क्9भ्8म्फ्0.00 रुपए

लखीसराय - भ्7ब्ख्ब्8.00 रुपए

सारण - 8भ्ब्ख्भ्म्भ्.00 रुपए

मोतिहारी - 9फ्भ्क्78फ्8.99 रुपए

खगडि़या - ब्8098भ्ख्.भ्म् रुपए

मधुबनी - क्77ख्क्ख्ब्97.म्ब् रुपए

भोजपुर - 7ख्भ्9ख्88म्.क्भ् रुपए

पटना - ख्0म्8ब्क्7ख्ख्.00 रुपए

बांका - क्ख्ख्7भ्98ख्क्.ख्8 रुपए

सीवान - ख्ख्फ्फ्भ्फ्7ख्.ब्7 रुपए

भागलपुर - क्म्9फ्7क्भ्क्.00 रुपए

कुल - ब्ब्8भ्ब्9म्97म्.ख्भ् रुपए