मरीजों के परिजनों ने यह आरोप लगाया
इतना ही नहीं, एक विशेष मेडिसीन शॉप से भी मरीजों की दवा खरीदने के लिए परिजनों को मजबूर किया जा रहा है। हॉस्पिटल के मेडिसीन डिपार्टमेंट के डॉ उमेश प्रसाद की यूनिट में भर्ती मरीजों के परिजनों ने यह आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि जेनरिक दवा लाने पर उसे मरीज को देने की बजाय लौटाने को कहा जा रहा है।

रिप्रेजेंटेटिव्स का दिनभर जमावड़ा लगा रहता
रिम्स प्रशासन के सख्त निर्देशों के बाद भी हॉस्पिटल के डिफरेंट वार्डो के इनडोर व आउटडोर में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स का दिनभर जमावड़ा लगा रहता है। ये डॉक्टर्स से मिलकर उन्हें किसी न किसी माध्यम से ब्रांडेड दवाओं को लिखने का दबाव देते हैं। ऐसे में डॉक्टर्स भी मरीजों की आर्थिक हालत पर गौर फरमाए बगैर न सिर्फ ब्रांडेड दवाएं प्रेस्क्राइब कर रहे हैं, बल्कि अगर व जेनरिक दवा लेकर आता है तो उसे वापस लौटाने के लिए मजबूर भी किया जाता है।

प्रेस्क्राइब करनी है जेनरिक मेडिसीन
केंद्र के साथ राज्य सरकार ने पिछले साल ही रिम्स समेत सभी गवर्नमेंट हॉस्पिटल के डॉक्टरों को हर हाल में जेनरिक दवा प्रेस्क्राइब करने का निर्देश दिया था। डॉक्टरों को यह भी कहा गया था कि वे दवाओं के नाम कैपिटल लेटर में लिखें, ताकि उसे पढ़ने में मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो। लेकिन, इसके बाद भी रिम्स के कुछ डॉक्टर मरीजों को जेनरिक की बजाय ब्रांडेड मेडिसीन प्रेस्क्राइब कर रहे हैं।

जेनरिक दवा देख भड़के डॉक्टर
विश्वनाथ ने बताया कि उन्होंने चार दिन पहले अपने मरीज को मेडिसीन वार्ड में डॉ उमेश प्रसाद की यूनिट में एडमिट कराया है। डॉक्टर ने जो दवा प्रेस्क्राइब की, उसे दवाई दोस्त शॉप से खरीदकर लाया। लेकिन, उस दवा को देखते ही डॉक्टर भड़क गए। उन्होंने दवा को नकली तक बता दिया। इतना ही नहीं, उस दवा को बदलकर राजधानी मेडिकल से खरीदकर लाने को कह दिया, तभी इलाज करेंगे।

दवा को वापस करने पर किया मजबूर
सुरेश सिंह ने बताया कि अपने मरीज को इलाज के लिए भर्ती कराया है। कुछ दवा तो हास्पिटल से मिल गया, लेकिन बाकी दवा खरीदकर लाने को कहा गया। इमरजेंसी के पास की दुकान से दवा लेकर गए तो उसे लौटाने के लिए कह दिया गया। इस बारे में जब पूछा कि दवा में क्या दिक्कत है। तो डॉक्टर ने कहा कि ये दवा लौटाकर दूसरी दुकान से दवा लेकर आओ।