RANCHI : एक ओर जहां गवर्नमेंट की ओर से रिसर्च को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं रिनपास में एक स्टूडेंट को पीएचडी करने से रोके जाने की बात सामने आई है। इसके लिए यूजीसी के रूल्स एंड रेगुलेशंस भी दरकिनार कर दिए गए हैं। ऐसे में पीएचडी की खातिर स्टूडेंट पिछले चार महीनों से चक्कर लगा रहा है।

पीएचडी में हो रही टेंशन

सीआईपी से ख्0क्क् में उमेश कुमार ने साइकियाट्रिक सोशल वर्क में एमफिल किया। इसके बाद इन्होंने इसी साल भ् अप्रैल को पीएचडी करने के लिए रिनपास के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ जय प्रकाश को गाइड बनाकर आवेदन डिपार्टमेंटल रिसर्च कमिटी के चेयरमैन डॉ अमोल रंजन को प्री-रजिस्ट्रेशन प्रेजेंटेशन के लिए भेजा, ताकि सिनॉपसिस सबमिट किया जा सके। डीआरसी के चेयरमैन पहले तो आज और कल का बहाना बनाकर उमेश कुमार को टालते रहे और फिर इनके पीएचडी के प्री रजिस्ट्रेशन प्रजेंटेशन पर रोक लगा दी। स्टूडेंट उमेश का कहना है इसे रोके जाने की वजह उन्हें नहीं बताई गई।

तीन महीने तक लटका रहा मामला

डिपार्टमेंट ऑफ साइकियाट्रिक सोशल वर्क के एचओडी और डीआरसी के चेयरमैन डॉ अमोल रंजन का तर्क है कि उमेश कुमार को पीएचडी के प्री -रजिस्ट्रेशन प्रेजेंटेशन की इजाजत इसलिए नहीं दी जा रही है कि वे यहां के स्टूडेंट नहीं हैं। हालांकि, यह बताने में भी एचओडी महोदय को तीन महीने लग गए। दूसरी ओर रिनपास के डायरेक्टर ने क्0 अप्रैल को प्री- रजिस्ट्रेशन सेमिनार आयोजित करने को कहा, पर इसे भी रोक दिया गया। एचओडी ने रिनपास के डायरेक्टर की बात भी नहीं मानी।

यह है यूजीसी का नियम

यूजीसी के रूल्स एंड रेगुलेशन के मुताबिक, पीएचडी करने के लिए पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट क्वालिफाई करना होगा। इसके अलावा एमफिल करने के बाद पीएचडी के लिए डायरेक्ट रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।