ज्यादा से ज्यादा किसी सिपाही के जेब में 20 रुपये गए होंगे। सिर्फ इसलिए ताकि सिपाही अपनी जिम्मेदारी से कुछ सेकेण्ड के लिए आंखे मूंद ले और ट्रैक्टर को नो एंट्री में दौड़ने की परमिशन मिल जाए। हुआ भी यही। ट्रैक्टर नो एंट्री के नियमों को धता बताते हुए तंग रास्ते पर धूल उड़ाने लगा। तभी एक हादसा हुआ। एक मासूम ने ट्रैक्टर के नीचे आकर जान गंवा दी। ये हादसा हुआ भेलूपुर थाना एरिया के सुदामापुर मुहल्ले में। डिटेल पढि़ये अंदर

ट्रैक्टर ने मासूम का रौंदा, मचा हंगामा

- नो इंट्री में घुसे टै्रक्टर से कुचल कर मासूम की मौत

- सुदामापुर में हुई घटना के बाद पब्लिक ने किया जमकर हंगामा

VARANASI : नो इंट्री में घुसे टै्रक्टर ने मंगलवार को मासूम की जान ले ली। भेलूपुर थाना एरिया के सुदामापुर में दस वर्ष का बालक सरकारी खाद्यान लदे टै्रक्टर की पहिए के नीचे आ गया। मौके पर उसकी मौत हो गयी। घटना से नाराज स्थानीय लोगों ने जमकर हंगामा किया। शाम को साढ़े पांच बजे हुई घटना के बाद लगभग ढाई घंटे पुलिस और पब्लिक के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई। पब्लिक ने चालक और खलासी की जमकर पिटायी की। मासूम के शव को रोड पर रखकर चक्का जाम कर दिया। टै्रक्टर फूंकने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। स्थानीय लोगों का कहना है चंद रुपयों के लिए पुलिसकर्मी बड़े वाहनों को नो इंट्री में घुसने देते हैं। रुपयों का लालच ही मासूम की मौत का वजह बना।

निकला था बिस्कुट लेने

कोल्हुआ विनायका का रहने वाला राजेश सोनकर के परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटे विशाल, खुशहाल और चेतन हैं। राजेश परिवार का पेट भरने के लिए सब्जी बेचता है। पत्नी आसपास के घरों में बर्तन साफ करती है। शाम को साढ़े पांच बचे खुशहाल (दस साल) एरिया के ही एक लड़के करन के साथ घर से बिस्कुट लेने निकला था। करन साइकिल चला रहा था जबकि खुशहाल उसके पीछे दौड़ लगा रहा था। दोनों सुदामापुर पहुंचे तभी तेज रफ्तार टै्रक्टर उनके सामने आ गया। टै्रक्टर की चपेट में आने से दोनों बच नहीं सके। करन सायकिल समेत रोड किनारे गिरा जबकि खुशहाल टै्रक्टर के नीचे आ गया। पिछला पहिया उसके सिर को कुचलते हुए निकल गया। मासूम का सिर बुरी तरह से कुचल गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गयी।

पब्लिक ने खोया आपा

आसपास मौजूद लोग घटना स्थल की तरफ दौड़े। मासूम की मौत की जानकारी होते ही बौखला गए। ट्रैक्टर चालक और खलासी को पकड़कर लात-घूसों से पिटाई करने लगे। टै्रक्टर पर सवार तीन-चार मजदूर जान बचाकर भाग निकले। सूचना मिलने पर पहुंची भेलूपुर पुलिस ने किसी तरह से अधमरे हो चुके चालक और खलासी को पब्लिक के हाथों बचाया। तब तक भारी सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो चुकी थी। शव को सड़क पर रखकर चक्का जाम कर दिया। स्थिति बिगड़ते देख आसपास के थानों की भारी फोर्स मौके पर पहुंच गयी। स्थानीय लोग गेहूं लदे टै्रक्टर को फूंकने जा रहे थे। पुलिस ने किसी तरह उन्हें रोका। इसके बाद मुआवजे की मांग को लेकर शव को रोड पर रखकर जाम लगा दिया।

डीएम को बुलाने की थी मांग

हंगामा रहे भीड़ की मांग थी कि डीएम को मौके पर बुलाया जाए। इस बीच पुलिस ने बच्चे की डेडबॉडी को पोस्टमार्टम के लिए कब्जे में लेने की कोशिश की तो पब्लिक और भड़क गयी। तब तक एसपी सिटी व एसीएम फ‌र्स्ट वहां पहुंचे। स्थानीय विधायक ज्योत्सना श्रीवास्तव भी आ गयीं। एसीएम ने बताया कि डीएम इस घटना में पीडि़त परिवार को मुआवजा देने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिख रहे हैं। इस आश्वासन और विधायक की मध्यस्थता से पब्लिक का गुस्सा शांत हुआ।

खूब इस्तेमाल होता है चोर रास्ता

मासूम को मौत देने वाला टै्रक्टर मंडुवाडीह स्थित एफसीआई गोदाम से गेहूं लादकर सरकारी राशन की दुकानों तक पहुंचाने जा रहा था। इस पर भारत सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली बोर्ड सरकारी खाद्यान केन्द्र काशी विद्यापीठ ब्लाक लिखा हुआ था। नो इंट्री के दौरान शहर के अंदर पहुंचने के लिए टै्रक्टर ने इस चोर रास्ते का इस्तेमाल किया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि नो इंट्री के दौरान टै्रक्टर और ट्रक अक्सर इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने रोकने के लिए तैनात पुलिसकर्मियों को ये रुपये थमाते हैं और आसानी से चले आते हैं। दुर्घटना करने वाला टै्रक्टर भी इसी तरह महमूरगंज से बड़ी गैबी, सुदामापुर आ गया। इस दौरान कई स्थानों पर पुलिस पिकेट के सामने से होकर गुजरा था।

भार पड़ी परिवार से नाराजगी

बच्चे की लाश के पास मौजूद राजेश और उसकी पत्नी रो-रोकर बेहाल हो रहे थे। राजेश बार-बार यही कह रहा था कि बेटा लौट आओ, अब मैं नाराज नहीं होऊंगा। परिवार में कुछ विवाद को लेकर तीन दिन पहले राजेश सामने घाट रहने वाले बड़े भाई रमेश के पास चला गया था। बेटे की मौत की जानकारी हुई तो बदहवास भागता हुआ पहुंचा। देर तक लाश को सीने से लगाए आंसू बहाता रहा।

जान की कीमत ख्0 रुपये

रोक के बावजूद धड़ल्ले से शहर में दौड़ रहे टै्रक्टर मौत के परवाने साबित हो रहे हैं। जिन सड़कों पर बिना किसी से बदन रगड़े पैदल चलना भी आसान नहीं है उन पर भारी भरकम ट्राली के साथ टै्रक्टर आने पर क्यो होता होगा आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। भीड़-भाड़ के वक्त टै्रक्टर के शहर में दौड़ने पर रोक है। इसे प्रभावी बनाने के लिए तमाम आदेश-निर्देश दिए गए, तमाम कवायदें की गयी लेकिन सब बेकार साबित हुई। टै्रक्टर शहर की हर सड़क पर बे रोकटोक दौड़ रहे हैं। लोगों को मौत के नींद सुला रहे हैं।

नोट थमाओ निकलते जाओ

-सुबह सात बजे से रात दस बजे तक नो इंट्री के दौरान शहर में टै्रक्टर को घुसने के लिए महज चंद रुपये चुकाने पड़ते हैं।

- आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई के लिए बड़े वाहन सुबह 9 से क्क् बजे के बीच शहर में आ सकते हैं।

- हालांकि बड़े वाहन किसी भी पिकेट पॉइंट पर ख्0 रुपये चुकाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। फिर इन्हें कोई नहीं रोकता।

- सिटी में नो एंट्री के वक्त ट्रैक्टर और ट्रक कड़ाई से रोक है मगर कुछ जगह इस रोक पर भी रुपया देने पर अघोषित छूट मिल जाती है।

-कहीं तो वर्दीधारी खुद रुपये थामते हैं तो कहीं-कहीं उन्होंने अपने गुर्गे पाल रखे हैं तो वसूली का काम करते हैं।

हर जगह है इनकी पहुंच

-टै्रक्टर मुख्य रूप से कृषि कार्य के लिए होते हैं लेकिन शहर में इनका कामर्शियल यूज होता है

- टै्रक्टर का इस्तेमाल सबसे अधिक इस्तेमाल बिल्डिंग मैटेरियल के सामानों की ढुलाई के लिए होता है

-ट्रैक्टर से बालू, सीमेंट, सरिया समेत ढेरों सामानों को एक से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जाता है

-इसके साथ ही गल्ला, भूसा, मवेशी की ढुलाई भी इसके जरिए होती है।

-सिटी के बीच मौजूद ईट-बालू मंडी में टै्रक्टर के जरिए सामान पहुंचते हैं।

-सारनाथ, मंडुवाडीह, डाफी समेत कई स्थानों पर हर वक्त दर्जनों टै्रक्टरों का आना-जाना लगा रहता है

-टै्रक्टर के जरिए इसे इस्तेमाल करने वाले मोटी कमाई करते हैं।

-अब तो छोटे डाला वाले टै्रक्टर भी खूब शहर में दौड़ रहे हैं जो आसानी से सकरी गलियों में दाखिल हो जाते हैं

बेकार है सारी कवायद

-भीड़-भाड़ के वक्त शहर में बड़े वाहनों का प्रवेश रोकने के लिए नो इंट्री का नियम है

-शहर के इंट्री प्लेस पर कई चेकिंग प्वाइंट बनाए गए हैं

-पुलिस और टै्रफिक पुलिस के आला अधिकारी समय-समय पर इसकी समीक्षा करते हैं

-शहर के चौराहों पर सीसी टीवी कैमरा लगाने की कवायद भी इसका खास वजह है

-किसी वाहन के शहर में प्रवेश पर जुर्माना से लेकर सीज करने तक का नियम है

-सारी कवायद के बाद भी शहर में हर वक्त लगभग पचास से सौ टै्रक्टर दौड़ लगाते दिखते हैं

-नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सीज की कार्रवाई महज दिखावा साबित होती है

नोट इंट्री में बड़े वाहन कैसे चले आ रहे हैं। इसकी जांच करायी जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। नो इंट्री के नियम को और कड़ा करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे ताकि होने वाले हादसे रोके जा सकें।

सुधाकर यादव, एसपी सिटी