62

स्थानों पर शहर में लगे है फायर हाइड्रेंट, जलकल की ओर से फायर ब्रिगेड को दी गई सूची के अनुसार

40

स्थानों पर लगे फायर हाइड्रेंट को ठेकेदारों ने सड़क मरम्मत या नवनिर्माण के दौरान नीचे दबा दिया है

22

में कुछ के पाइप खराब हैं तो कई ऐसे हैं जिनके गड्ढों को लोगों ने कूड़ा डालकर पाट दिया है

270

आग लगने की कुल छोटी-बड़ी घटनाएं इस साल अब तक हो चुकी हैं जिले में

04

लोगों की मौत हो चुकी है जनवरी से लेकर मार्च के बीच आग लगने की घटनाओं में

70

नलकूप लगे हैं शहर में, इसमें जोन वन में 13, जोन वन-ए में 12, जोन टू में 20 और जोन थ्री में 5 एवं जोन फोर में 20 नलकूप हैं

17

नलकूप खराब हैं। 53 में अधिकांश की पाइप ओवर साइज है तो कुछ के पाइप में हाइड्रोलिक प्लेटफार्म अर्थात फ्लैंज नहीं लगे हैं

mukesh.chaturvedi@inext.co.in

ALLAHABAD: आग लगती है तो फायर ब्रिगेड की गाडि़यां उसे बुझाने की बजाय पानी ढूंढती नजर आती हैं। क्योंकि, शहर के अधिकांश इलाकों में लगे फायर हाइड्रेंट सड़कों के नीचे दबकर दम तोड़ चुके हैं। जो बचे हैं इस लायक नहीं कि उनसे पानी भरा जा सके। नतीजतन, पानी की तलाश में इतनी देर हो जाती है कि घटनास्थल पर सबकुछ जलकर राख हो जाता है। इस साल जनवरी से मार्च के बीच आग लगने की घटनाओं में चार मौते भी हो चुकी हैं। गर्मी में होने वाली भीषण आग की घटनाओं से जूझने वाला फायर ब्रिगेड विभाग भी इससे इत्तेफाक रखता है। अधिकारियों की मानें तो मौके पर पानी मिल जाए तो घटनाओं से होने वाले जान माल के नुकसान से बचा जा सकता है।

भारी पड़ रही ठेकेदारों की मनमानी

गर्मी का मौसम आते ही अचानक आग लगने की घटनाएं भी बढ़ गई। एहतियातन जलकल विभाग ने फायर ब्रिगेड को शहर में 62 स्थानों पर लगे फायर हाइड्रेंट की सूची सौंपी गई। जब विभाग ने असलियत का पता लगाया तो दावे खोखले साबित हुए। करीब 40 स्थानों पर लगे फायर हाइड्रेंट को ठेकेदारों ने सड़क के नीचे दबा दिया है। बाकी बचे 22 में कुछ के पाइप खराब हैं तो कई ऐसे हैं जिनके गड्ढों को लोगों ने कूड़ा डालकर पाट दिया है। जब दमकलकर्मियों ने टैंक फुल करने के लिए फायर हाइड्रेंट की तलाश की तो केवल निराशा हाथ लगी।

जाम और तंग गलियों में दिक्कत

इस साल जनवरी से अब तक आग लगने की छोटी बड़ी कुल 270 घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें से अधिकतर घटनाओं में तत्काल आग पर काबू पाया जा सकता था लेकिन मौके पर फायर हाइड्रेंट उपलब्ध नही होने से गाडि़यों को पानी की तलाश में लंबा सफर तय करना पड़ा। अधिकारी मानते हैं कि जाम और तंग गलियों से होकर बार-बार गुजरने में अधिक समय लगता है। इससे आग की घटना देखते ही देखते बड़ा रूप धारण कर लेती है। ऐसी परिस्थिति से बचना है तो इन हाइड्रेंट में सुधार किया जाना जरूरी होगा।

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यहां भी पूरी नही होती आस

फायर हाइड्रेंट तो छोडि़ए, जलकल विभाग के नलकूपों से भी फायर ब्रिगेडकर्मियों को सहारा नहीं मिलता है। आंकड़ों के मुताबिक शहर में 70 नलकूप लगे हैं। जोन वन में 13, जोन वन-ए में 12, जोन टू में 20 और जोन थ्री में 5 एवं जोन फोर में 20 नलकूप की सूची फायर ब्रिगेड को सौंपी गई है। इनमें से 17 नलकूप खराब हैं। सही पाए गए 53 नलकूपों में अधिकांश की पाइप ओवर साइज है तो कुछ के पाइप में हाइड्रोलिक प्लेटफार्म अर्थात फ्लैंज नहीं लगे हैं। इससे वाटर टैंकर की पाइप सेट नहीं हो पाती। ऐसे में गिनती के मानक पूर्ण नलकूपों से ही पानी भर कर दमकल आग बुझाती है।

इस साल की बड़ी घटनाएं

24

फरवरी को कटरा निवासी सुमित जायसवाल के घर में लगी आग

28

मार्च कटरा में ही राजलक्ष्मी कलेक्शन में लग भीषण आग

22

मार्च को जानसेनगंज स्थित रंजीत ट्रेडर्स में लगी आग

14

मई को लालकोठी के पीछे जायका रेस्टोरेंट कर्मचारी के घर लगी आग, एक की मौत

10

मई को मुट्ठीगंज स्थित संजय गुप्ता के मोटर पा‌र्ट्स की दुकान में आग

18

अप्रैल 2017 को बकरा मंडी में फर्नीचर की दुकान व तीन फ्लोर बिल्डिंग में लगी आग

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इस साल अब तक हुई घटनाएं

माह घटनाएं

जनवरी 25

फरवरी 20

मार्च में 60

अप्रैल 105

मई में अब तक 60

बाक्स

क्या है फायर हाइड्रेंट

फायर हाइड्रेंट एक पुरानी परंतु कारगर व्यवस्था है। शहरों में सड़कों के किनारे जगह-जगह गड्ढे खोद कर उसमें एक मोटी पाइप लगाई जाती है। इस पाइप का कनेक्शन पेयजल आपूर्ति के लिए बिछाई गई मुख्य पाइप से होता है। गड्ढे में लगाई गई पाइप में खुलने व बंद होने वाले ढक्कन लगाए जाते हैं। आग लगने की घटना होने पर फायरकर्मी ढक्कन को खोल कर अपनी गाड़ी में पानी भरते हैं। गड्ढे में लगी इसी पाइप को फायर हाइड्रेंट के नाम से जाना जाता है।

वर्जन

फायर हाइड्रेंट कुछ सड़क में दब गए हैं तो कुछ खराब हैं। नलकूपों में लगे हाइड्रेंट में भी कई खराब हैं तो कई की पाइप ओवर साइज है। अधिकांश नलकूपों में फ्लैज नहीं लगे हैं। बड़ी घटना होने पर बार-बार भागकर फायर स्टेशन आना पड़ता है, इससे काफी दिक्कत होती है। हालांकि इसके बावजूद प्रयास कर किसी तरह आग पर काबू पाया जाता है। छोटी घटनाएं तो टैंकर के पानी से कवर हो जाती हैं। बड़ी घटना होने पर दिक्कत होती है।

लालजी गुप्ता, एफएसओ

फायर ब्रिगेड के लिए लगाए गए हाइड्रेंट खराब हैं। इसकी जानकारी हमें नहीं है। फायर ब्रिगेड की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है। अगर हमें लिस्ट दी जाए, तो दस दिन के अंदर सभी हाइड्रेंट को ठीक करा दिया जाएगा।

आरडी यादव

प्रभारी जीएम, जलकल