बसों की टूटी सीट पर सफर करने में पैसेंजर्स को होती हैं मुश्किलें

किसी बस में सीट टूटी तो किसी में सीट पर निकली कील, मजबूर हैं पैसेंजर्स

BAREILLY: उत्तर-प्रदेश परिवहन निगम है स्वागत को तैयार, आराम का सफर और सुरक्षित है अपनों का है कितना प्यार जी हां, इन दिनों अधिकारियों का नंबर डायल करने पर कुछ ऐसी ही कॉलर ट्यून सुनाई पड़ती है लेकिन यह बात सिर्फ कॉलर ट्यून तक ही सीमित है। हकीकत इससे जुदा है। परिवहन निगम की बसों में आप सफर करेंगे तो आराम और सुरक्षा की बात तो भूल ही जाएं। न बेहतर सीट, न फर्श, न ही फ‌र्स्ट एड बॉक्स ऊपर से कंटक्टर और ड्राइवर्स की बदसलूकी अलग।

सीट पर कील बैठे कहां

परिवहन निगम की कई बसों में सीट टूटी हुई हैं। इसके चलते पैसेंजर्स को मजबूरन खड़े होकर भी जर्नी करना पड़ जाता है। बसों की सच्चाई जाने के लिए जब आई नेक्स्ट टीम बस नंबर यूपी 25 टी 9670 में गई तो बस की हालत खस्ता मिली। दो पैसेंजर बैठने वाली सीट की एक सीट गायब थी। दूसरी सीट लोहे के फ्रेम से जुड़ी थी लेकिन इस हिल रही थी। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि खराब रोड पर पैसेंजर्स को कितने हिचकोले झेलने पड़ते होंगे। एक सीट पर तो कील निकली हुई थी। अब ऐसे में रोज पैसेंजर्स को कील चुभती तो जरूर होगी।

'कांटो' भरा है बस का फर्श

बसों के फर्श लोहे की चादर के बने हैं। दिक्कत यह है कि कई जगह से फर्श टूटे और मुड़े हैं। जो बस में चढ़ने के दौरान पैसेंजर्स के पैर में लग जाते हैं। इसके चलते कई बार पैसेंजर्स जख्मी भी हो जाते हैं लेकिन, अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं जा रहा है। इसके अलावा कई बसों के अंदर लगे बल्ब भी टूटकर होल्डर से लटकते मिले। इससे तो एक बसों के अंदर रात में अंधेरा रहता है। इसके चलते पैसेंजर्स को उतरने-चढ़ने में दिक्कत अाती है।

फ‌र्स्ट एड बॉक्स भी नहीं

बसों में फ‌र्स्ट एड बॉक्स भी नहीं है। यदि पैसेंजर्स को किसी वजह से जख्मी हो जाते हैं तो उन्हें फ‌र्स्ट एड बॉक्स न होने से उन्हें सही ट्रीटमेंट भी नहीं मिलेगा। कई बसों में हालत यह है कि फ‌र्स्ट एड बॉक्स में मलहम, बैंडेड और पट्टी की जगह मॉसकिटो पड़ा हुआ है। बरेली रीजन में परिवहन निगम की 460 बसें है। लेकिन, इनमें से शायद ही किसी में फ‌र्स्ट एड की व्यवस्था होगी। अब ऐसे में साफ है कि पैसेंजर्स को दवाएं लेकर ही चलना पड़ेगा। वरना उन्हें प्राथमिक उपचार मिल पाएगा।

शिकायत तो कोई सुनता ही नहीं

ऐसा नहीं है कि इन बातों की जानकारी संबंधित अधिकारियों को नहीं है। कंडक्टर और ड्राइवर द्वारा जानकारी दिए जाने के बाद भी बसों के फिटनेस पर अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जबकि परिवहन निगम जर्जर बसों के भरोसे पैसेंजर्स को सुहाने सफर का की बात कर रहा है।

नहीं रिसीव हुआ फोन

इस संबंध में जब आई नेक्स्ट ने सर्विस मैनेजर राज नारायण वर्मा से बात करनी चाही तो फोन रिसीव नहीं हुआ। जबकि, उनके नंबर पर दो बार फुल रिंग गयी। और तीसरी बार उनका नंबर नॉट रिचेबल हो गया।

बसों की मेंटेनेंस का वर्क एसएम देखते हैं। उन्हें बसों की निगरानी करनी चाहिए। यदि बसों में दिक्कत है तो इसकी मरम्मत के लिए एसएम को निर्देशित किया जाएगा।

एसके शर्मा, आरएम

बस की सीट टूटी है। इसके बार में अधिकारियों को बताया गया था। लेकिन, सीट नहीं बदली गई।

बब्लू, संविदा ड्राइवर

बेटी के इलाज के सिलसिले से शहर आना पड़ा था। बस के फर्श भी टूटे पड़े हैं। जिसके चलते मुझे चोट भी लग गयी।

शैवर खान, पैसेंजर