RANCHI : लाइफ स्टाइल में बदलाव, खानपान और देर से प्रेग्नेंसी महिलाओं को डायबिटीक बना रहा है। अगर प्रेग्नेंसी में डायबिटीज हो जाए तो होने वाले बच्चे पर भी इसका असर पढ़ता है। रविवार को 'डायबिटीज इन प्रेग्नेंसी' पर आयोजित कांफ्रेंस में गाइयोकोलॉजिस्ट डॉ शोभा चक्रवती ने कहा कि डायबिटीक महिला के बच्चे की डिलीवरी अच्छे से हो भी जाती है तो उसे डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है। इस मौके पर रोग्स की प्रेसिडेंट डॉ रेणुका सिन्हा, सेक्रेटरी डॉ मधुलिका होरो, एकेडमिक सेक्रेटरी डॉ समरीना आलम समेत बड़ी संख्या में गायनेकोलॉजिस्ट्स मौजूद थीं।

बच्चा हो सकता एब नॉर्मल

प्रेग्नेंसी के दौरान पहले तीन महीने में ही गर्भ में बच्चा डेवलप होता है। ऐसे में डायबिटीज होने की स्थिति में उसका ब्रेन, हार्ट और टेल बोन प्रभावित हो सकता है। इस वजह से बच्चा डिलीवरी के समय एब नार्मल होता है। वहीं जेस्टेशनल डायबिटीज की स्थिति में बच्चे की ग्रोथ असमान्य तरीके से होती है। बच्चे का वजन भी तेजी से बढ़ता है। इस वजह से बच्चे की मौत तक हो सकती है।

तेजी से वेट बढ़ना खतरनाक

अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होता है तो उसका ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। अगर समय पर इसे कंट्रोल नहीं किया जाए तो मदर डेथ रेशियो भी बढ़ जाता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में यह ध्यान रखना जरूरी है कि वेट किसी भी हाल में अधिक न हो। इसके लिए एंटी नेटल चेकअप रेगुलर कराते रहना चाहिए।

ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट जरूरी

किसी महिला की प्रेग्नेंसी जैसे ही कंफर्म होती है तो उसे सबसे पहले ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट कराना चाहिए। इस टेस्ट से एक घंटे पहले महिला को 75 ग्राम ग्लूकोज खिलाया जाता है। इसके बाद टेस्ट करने से यह जानकारी मिल जाती है कि महिला को डायबिटीज है या नहीं। अगर डायबिटीज है तो फिर उसे कंट्रोल करने के लिए दवाई दी जाती है।

डिलीवरी के बाद भी टेस्ट जरूरी

जिन महिलाओं को अचानक से प्रेग्नेंसी के वक्त डायबिटीज होता है उन्हें डिलीवरी के बाद टेस्ट कराना जरूरी है। कुछ लोगों में डिलीवरी के बाद डायबिटीज की बीमारी रूक जाती है, लेकिन कुछ को यह लाइफटाइम के लिए झेलना पड़ता है। इसलिए, डिलीवरी के 40 दिन या तीन महीने बाद टेस्ट कराकर कंफर्म हो जाना चाहिए कि डायबिटीज है भी या नहीं।

कब होता है जेस्टेशनल डायबिटीज

जेस्टेशनल डायबिटीज का तुरंत पता नहीं चलता है। प्रेग्नेंसी के 20 हफ्ते के बाद टेस्ट कराने पर पता चलता है कि उन्हें डायबिटीज है। इस स्थिति में बच्चा तेजी से ग्रोथ करता है, इसलिए महिला की रेगुलर सीटीजी, अल्ट्रासाउंड डॉप्लर कर देखना चाहिए कि बच्चे की कंडीशन कैसी है। इस सिचुएशन में बच्चे का वेट 4 केजी से भी अधिक हो जाता है, जो उसकी मौत की वजह बन सकता है।