ट्यूजडे को आरयू का बुक फेयर विजिट करने आए वरिष्ठ साहित्कार सुधीर विद्यार्थी

साहित्य की किताबों की उपेक्षा देखकर व्यक्त किया दुख

BAREILLY: आरयू के बुक फेयर में स्टूडेंट्स के सिलेबस से रिलेटेड तो काफी बुक्स हैं, लेकिन रुहेलखंड की संस्कृति को उकेरती साहित्य की एक भी बुक नहीं है। जबकि बरेली समेत पूरा रुहेलखंड वरिष्ठ लेखकों की लेखनी से समृद्ध है। हिंदी साहित्य का कोई पब्लिशर भी नहीं है। यही वजह है कि बुक फेयर में केवल वे ही स्टूडेंट इंट्रेस्ट ले रहे हैं जो अपने सब्जेक्ट के रिलेटेड बुक्स की तलाश में रहते हैं। बुक फेयर से साहित्य में इंट्रेस्ट रखने वाले लोग गायब हैं।

साहित्य की किताबें ना के बराबर

बुक फेयर को विजिट करने आए वरिष्ठ साहित्यकार सुधीर विद्यार्थी ने कह कि यूनिवर्सिटी में हिंदी डिपार्टमेंट ना होने की वजह से लोग रचनतात्मक साहित्य में रुचि नहीं ले रहे। आरयू की सेंट्रल लाइब्रेरी तो साहित्य की बुक्स से रिच होनी चाहिए। हिंदी साहित्यक किताबे ना होने की वजह से बुक फेयर का आकर्षण कम हो गया है। उन्होंने बताया कि बरेली और रुहेलखंड के साहित्यकारों की भी घोर उपेक्षा हो रही है। बरेली में रहीं प्रख्यात उर्दू साहित्यकार इस्मत चगुताई, शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा, अशफाकउल्ला खां की जीवनी, निरंकार देव संपूर्ण का बाल साहित्य, बदायूं के द्विजेंद्रनाथ मिश्र, वीरेन डंगवाल आलोचक मधुरेश, पीलीभीत के कथाकार चंडी प्रसाद समेत कई लेखकों की तमाम बुक्स का जिक्र करते हुए कहा कि रुहेलखंड की धरती साहित्य के संदर्भ में काफी रिच है। आरयू के लाइब्रेरी में इनकी किताबें हों तो स्टूडेंट्स भी रुचि लेंगे और लाइब्रेरी का गौरव भी बढ़ेगा।

वीसी को लिखा लेटर

साहित्यकार सुधीर विद्यार्थी ने साहित्य की उपेक्षा पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने वीसी प्रो। मुशाहिद हुसैन और पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ। श्याम बिहारी लाल को लेटर लिखकर ऐसे तमाम लेखकों की पुस्तकें लाइब्रेरी में उपलब्ध कराने को कहा है। उन्होंने कहा कि बुक फेयर का प्रचार-प्रसार खूब करना चाहिए था, जिससे आम लोग भी इसका लाभ उठा सकें।