-रिजर्व पुलिस लाइंस में जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं पुलिसकर्मी और उनकी फैमिली

-भूकंप के झटकों ने तोड़ी हिम्मत, घरों के भीतर जाने में हो रही घबराहट

LUCKNOW: छत छोड़ चुकी सरियाप्लास्टर उखड़ी दीवारेंऔर लोच मारी हुई बालकनीबॉलीवुड फिल्मों में किसी खंडहर का यह सीन आपने कई बार देखा होगा। पर, बिलकुल यही सीन अगर आपको लाइव देखना हो तो सिर्फ रिजर्व पुलिस लाइंस तक ही जाना होगा। आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ ऐसे ही खंडहरनुमा जर्जर मकानों में पुलिसकर्मी और उनकी फैमिलीज रहने को मजबूर हैं। लंबे समय से इन जर्जर मकानों में अपना आशियाना बनाए इन पुलिसकर्मियों के लिये अब तक तो सबकुछ ठीक था। लेकिन, शनिवार को जब से राजधानी में भूकंप के झटके महसूस हुए, दूसरों की सुरक्षा करने वाले पुलिसकर्मी खुद के जीवन को लेकर खौफजदा हैं। आलम यह है कि अधिकांश पुलिसकर्मी और उनकी फैमिलीज भूकंप की दहशत में अपने इन मकानों के भीतर जाने से भी कतराने लगे हैं।

'कब क्या टपकेगा पता नहीं'

पुलिस लाइंस क्वार्टर में ख्0 साल से रहने वाले मुकेश ने बताया जब से वह इस कॉलोनी में रहने आए तब से यहां के क्वार्टर्स की हालत खराब ही है। हां यह जरूर है कि समय के साथ-साथ इसकी हालत और भी ज्यादा बदतर होती जा रही है। मुकेश के मुताबिक, पांच साल पहले वह एक दिन अपने घर के सामने खड़े थे। तभी अपोजिट वाले क्वार्टर की बालकनी अचानक भरभराकर धराशायी हो गई और नीचे रहने वाले फॉलोवर लल्लन प्रजापति के बेटे अजय के पैर में फ्रैक्चर हो गया। उन्होंने बताया कि समय के साथ यह क्वार्टर इस कदर जर्जर हो चुके हैं कि इनका कब कौन सा हिस्सा टपककर नीचे आ गिरेगा, पता ही नहीं।

नहीं होती रिपेयरिंग

इसी कॉलोनी में रहने वाले सुमित ने बताया कि उनके क्वार्टर की बालकनी भी दो साल पहले भरभराकर नीचे आ चुकी है। जिसके बाद वह बांस की सीढ़ी के जरिए क्वार्टर में आना-जाना जारी रहा। काफी समय बाद टूटे हुए हिस्से की रिपेयरिंग हो सकी। कॉलोनी में रहने वाली पुलिसकर्मियों की फैमिलीज भी कॉलोनी की हालत से बेहद खफा दिखीं। लोगों का कहना था कि क्वार्टर्स की हालत बिलकुल खस्ता है। कई बार शिकायत करने के बावजूद ऑफिसर्स रिपेयरिंग को लेकर गंभीर नहीं होते। लोगों का कहना है कि अगर ऑफिसर्स एक दिन किसी क्वार्टर में रहकर बिता लें तो उन्हें हकीकत का पता चले।

भूकंप ने तोड़ी हिम्मत, ग्राउंड में बीत रही रात

ऐसे ही एक जर्जर क्वार्टर में रहने वाली सुधा ने बताया कि शनिवार को आए भूकंप के झटकों ने तो सबकी हिम्मत ही तोड़कर रख दी है। अब तो आलम यह है कि क्वार्टर में रहने वाले लोग अपने घरों के भीतर जाने से भी कतरा रहे हैं। सुधा के मुताबिक, जब से भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं तभी से हर क्वार्टर में केवल लेडीज खाना बनाने के लिये भीतर जाती हैं और खाना बनाने के बाद वे उसे लेकर पुलिस लाइंस ग्राउंड पहुंच जाती हैं। जहां वे और उनकी फैमिली खाना खाती हैं। इसके बाद वे लोग वहीं ग्राउंड में ही सो जाते हैं।

-क्वार्टर्स की हालत बेहद खराब है। भूकंप के बाद से तो घरों में जाने से ही डर लगता है।

मुकेश

-जर्जर क्वार्टर्स की शिकायत कई बार की गई लेकिन रिपेयरिंग को लेकर कोई भी गंभीरता नहीं दिखाता।

राहुल

-भूकंप के बाद तो घर देखकर रूह कांपती है। हम लोग डर के मारे पुलिस लाइंस ग्राउंड में ही रात गुजार रहे हैं।

सुधा

-मेरे क्वार्टर की बालकनी एक बार धराशायी हो चुकी है। अगर तेज भूकंप आया तो पूरी की पूरी कॉलोनी भी धराशायी हो सकती है।

सुमित