RANCHI:  एक महीना में गैस के दाम की बढ़ोत्तरी का औसत देखें हर दिन चार रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है। एक सितंबर से पहले तक रसोई गैस के दाम 568.50 रुपये थे। 74 रुपये की बढ़ोत्तरी के बाद इनका रेट 642.50 रुपये हो गया था। अब दो अक्टूबर से 14.2 किलो के सिलिंडर के लिए ग्राहकों को 691.50 रुपये देने होंगे। हालांकि ग्राहकों के खाते में 146.03 रुपये की जगह 191.20 रुपये आयेंगे। इसमें कुल 49 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है।

 

बढ़ते दाम से पड़ रहा बुरा प्रभाव

रांची के एक एलपीजी डीलर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ऐसे समय में जब क्रूड के रेट अंतराष्ट्रीय स्तर पर निचले स्तर पर चल रहे हैं पेट्रोल-डीजल और एलपीजी के बढ़ते रेट सरकार की लोकप्रियता पर बटटा लगा रहे हैं। ऐसा करके सरकार आम जनता की नाराजगी मोल ले रही है। एलपीजी गैस का रेट बढ़ने से जनता हमलोगों से सवाल पूछती है। ऐसे में हमारे लिए डील करना मुश्किल हो जाता है।

 

महंगाई को बढ़ावा दे रही सरकार

गृहिणी ज्योति दास ने बताया कि एक तरफ सरकार उज्जवला योजना के तहत फ्री एलपीजी दे रही है वहीं दूसरी ओर मध्यमवर्गीय लोगों की रसोई गैस लगातार महंगी कर रही है। वर्ष 2008 में रसोई गैस की दर लगभग 400 रुपये सिलिंडर थी। अब यह लगभग 700 रुपये हो गयी है। यह आम आदमी के साथ ज्यादती नहीं तो और क्या है। वहीं गृहिणी मीरा ने बताया कि रसोई गैस ऐसे कमोडिटी है जिससे घर का बजट प्रभावित होता है। सरकार दो महीने में इसके रेट लगभग 120 रुपये बढ़ा चुकी है। पेट्रोल और डीजल के रेट ऐसे ही रोज बढ़ रहे हैं।

 

आइवीआरएस सिस्टम भी परेशानी की वजह

- ऑटोमेटिक इंटरएक्टिव वाइस रिस्पांस में जीरो दबाते ही सब्सिडी खत्म हो जाती है। यहां समस्या यह होती है कि एक बार 1 दबाने पर गैस सिलिंडर बुक नहीं होता है। ऐसे में कंफ्यूज्ड कंज्यूमर जीरो दबा देते हैं और एलपीजी सब्सिडी समाप्त हो जाती है। जुलाई 2016 तक 1.16 लाख लोग झारखंड में गैस सब्सिडी छोड़ चुके हैं। इनमें वैसे लोग भी शामिल हैं जिनके आइवीआरएस सिस्टम में गलती से जीरो का नंबर दब गया।