आगरा। आरटीई (राइट-टू-एजुकेशन) के तहत एडमिशन तो मिल जाता है, लेकिन बस्ता नहीं मिलता। जिम्मेदार अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते जरूरतमंदों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मार्च में बच्चों के एकेडमिक सेशन का रिजल्ट जारी कर दिया गया, लेकिन सब्सिडी की रकम अब तक खातों में नहीं पहुंची।

खातों में नहीं पहुंची रकम

शिक्षा का अधिकार के तहत मिलने वाले लाभ से हजारों बच्चे वंचित हैं। सत्र 2017-18 में आरटीई के तहत तीन हजार से अधिक बच्चों को एडमिशन दिए गए। आरटीई के तहत एडमिशन पाने वाले बच्चों के खातों में पांच हजार रुपये कॉपी, किताब और बैगके लिए देने का प्रावधान है। लेकिन, सत्र समाप्त होने के बाद भी उनके खातों में यह रकम नहीं पहुंची है। 23 मार्च को सभी के रिपोर्ट कार्ड सार्वजनिक कर दिए गए।

रिमाइंडर भेजने का दावा

चित्रा सिनेमा के पास रहने वाली छात्रा सोनम के माता-पिता इस संबंध में कई बार बेसिक शिक्षाधिकारी के कार्यालय में चक्कर लगा चुके हैं। दूसरे खर्चो में कटौती कर उन्होंने अपने बच्चे को किताब और स्टेशनरी मुहैया कराई थी। बीएसए अर्चना गुप्ता ने शासन को रिमाइंडर भेजा है, जिससे बच्चों को उनके अधिकार का लाभ मिल सके। आरटीई एक्टिविस्ट धनवान गुप्ता का कहना है कि इस वर्ष 31 मार्च को सत्र समाप्त हो गया, लेकिन एक भी बच्चे को खर्चे का भुगतान नहीं किया गया।