आरटीआई मांगने वाले के एड्रेस का किया जाएगा वैरीफिकेशन

आगरा। अब आरटीआई करने वालों पर राज्य सूचना आयुक्त नकेल कसने की तैयारी कर रहा है। ये इसलिए किया जा रहा है ताकि कोई आरटीआई के नाम पर मिसयूज न कर सके। अब आरटीआई मांगने वाले की पूरी जानकारी संबधित पते और दिए गए नंबर पर कॉल करके ली जा रही है। अकसर कई लोग सूचना के अधिकार के नाम पर दूसरों की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं और उसका मिसयूज करते हैं।

सूचना न देने पर लगता है जुर्माना

जनसूचना मांगने वाले को सूचना उपलब्ध न कराने पर संबंधित अधिकारी पर राज्य सूचना आयुक्त की ओर से अर्थदण्ड लगाया जाता है। इस अर्थदण्ड से बचने के लिए अधिकांश विभागों के अधिकारी संबंधित व्यक्ति को पते के आधार पर ही जनसूचनाएं उपलब्ध करा देते हैं।

अब की जाएगी पूरी पड़ताल

जनसूचना के तहत मांगी जाने वाली जानकारी के लिए अब संबंधित विभाग की ओर से पूरी छानबीन की जाएगी ताकि जनसूचना का मिसयूज न हो सके। अब पते के साथ दिए गए नंबर पर कॉल करके मांगी गई आरटीआई के बारे में पूछा जाएगा ताकि किसी फर्जी व्यक्ति द्वारा गलत तरीके से सूचनाएं न उपलब्ध कर ली जाएं।

आरटीआई मांगने का यह है प्रावधान-

- आरटीआई का संबंधित विभाग को 30 दिन के अंदर जवाब देना होता है।

- एक महीने में जवाब न देने पर रिमांइडर भेजा जाता है जिसका जवाब दो माह के अंदर भेजना होता है।

- दो महीने बाद राज्य सूचना आयुक्त में अपील की जाती है।

- अपील पर राज्य सूचना आयुक्त द्वारा संज्ञान लिया जाता है और संबधित विभाग के अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाता है।

नोएडा में एक आरटीआई कार्यकर्ता रच चुका है साजिश

ये सब इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि नोएडा में आरटीआई और आप कार्यकर्ता चंद्रमोहन ने एक व्यक्ति की हत्या करके अपनी कार में जला दिया था ताकि दुनिया की नजरों में खुद को मरा हुआ साबित कर सके। उसने ये सब अपनी लवर से छुटकारा पाने के लिए किया था। ये भी बात थी कि उस लवर के साथ उसने जीवन गुजारने का फैसला किया था। पुलिस और प्रशासन ने आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रमोहन के बारे में पूरी जांच पड़ताल नहीं की थी।