-एक्सक्लूसिव

<द्गठ्ठद्द>- हमीरपुर से अवैध खनन की मौरंग लाने पर दो शहरों और कालपी से तीन शहरों के आरटीओ अधिकारियों को देना पड़ता है पैसा

-पैसे पहुंचने पर दलाल संबंधित ट्रकों के नंबर आरटीओ अधिकारियों को भेज देता है, जिसके बाद चेकिंग के दौरान उन पर कार्रवाई नहीं होती

KANPUR: रोक के बावजूद अवैध खनन का 'खेल' कैसे खुलेआम खेला जा रहा है। इसका खुलासा आई नेक्स्ट ने शुक्रवार के अंक में किया था। इसके बाद की कड़ी की बात करें तो इस खेल में सबसे बड़े गुनहगार आरटीओ अधिकारी हैं। आरटीओ अधिकारी कैसे अवैध खनन के खेल में शामिल हैं? इसके लिए पढि़ए ये खबर।

मौरंग व्यापारी से आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बात की तो उसने बताया कि हमीरपुर से कानपुर तक मौंरग आने में दो शहर के आरटीओ अधिकारियों को पैसे देने पड़ते हैं। उसने बताया कि ये पैसे वो खुद नहीं लेते बल्कि ट्रांसपोर्ट कंपनी चला रहे कुछ लोग इसमें दलाल का काम करते हैं। उसने बताया कि एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में वो भी अपने 10 डम्पर का पैसा हर महीने की 1 तारीख को जमा कर देता है। एक डम्पर के वो करीब 1000 रुपए लेता है। इसके बाद उसकी जिम्मेदारी होती है कि वो दोनों शहर के आरटीओ अधिकारियों तक रिश्वत के पैसे पहुंचाए।

एक डम्पर के महीने में 3 लाख

एक डम्पर के 1000 एक दिन तो 10 गाडि़यों के 10,000 और महीने में 30 दिन का गुणा कर दें तो ये रकम पहुंच जाती है तीन लाख। इसमें से सवा लाख रुपए दोनों शहर के आरटीओ अधिकारियों को और करीब 50,000 रुपए ट्रांसपोर्ट कंपनी का मालिक लेता है अपनी दलाली। अगर बात कालपी की करें तो यहां कानपुर नगर, कानपुर देहात के अलावा कालपी के आरटीओ अधिकारियों को हिस्सा देना पड़ता है। यानि अगर कालपी से मौरंग मंगवा रहे हैं तो फिर 500 रुपए और महंगी हो जाएगी।

पैसे के बाद रोक नहीं

जब आरटीओ अधिकारियों के रिश्वत के पैसे आप हर महीने की एक तारीख को पहुंचा देंगे तो दलाल यानि ट्रांसपोर्ट कंपनी का मालिक उन ट्रकों के नंबर हर आरटीओ अधिकारी को फोन पर भेज देंगे जिसके बाद रोड पर चेकिंग करते वक्त वो उनका चालान नहीं करेंगे।

हमको बहुत कम मिलता है

जब इस खुलासे पर आई नेक्स्ट ने आरटीओ के अधिकारी से बात की तो उनका कहना था कि मेरा नाम न पब्लिश करें, क्योंकि हम लोगों को बहुत कम हिस्सा मिलता है। इस काली कमाई का बड़ा हिस्सा तो लखनऊ पहुंचता है। ऐसे में हम लोगों को न फंसाइए। ऊपर बैठे लोगों को सबकुछ मालूम है तो हम क्या करें। अब आप खुद समझ सकते हैं कि जिस विभाग के ऊपर ऐसे ट्रकों की रोकनी की जिम्मेदारी है वो क्या कर रहा है। ऐसे में कैसे रुकेगा अवैध खनन

चुप्पी क्या कहती है?

आरटीओ प्रवर्तन सुनीता वर्मा और आरटीओ वीके सिंह से जब इस मामले पर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन बंद कर लिया।