-एक ट्रैक पर नहीं दौड़ पाएंगी दो ट्रेनें, टूटी पटरी होने पर खुद लग जाएंगे ब्रेक

-डिवाइस को पेटेंट कराने में जुटे असिस्टेंट प्रो। अतुल सरोजवाल

-बीते एक साल से डिवाइस पर काम कर रहे थे बीटेक फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स, रेल मंत्रालय को भेजा जाएगा मॉडल

BAREILLY :

आरयू के बीटेक स्टूडेंट्स ने ट्रेन सेफ्टी का एक किफायती डिवाइस तैयार किया है, जो यात्री सुरक्षा के लिहाज से मील का पत्थर साबित होगा। टेक्निक ऐसी की एक ट्रैक पर दो ट्रेनें आमने-सामने होने या फिर पटरी टूटी होने पर ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा। स्टूडेंट्स के इनोवेशन से उत्साहित यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डिवाइस को पेटेंट कराने में लगे हुए हैं, जिसके बाद वह रेलवे को सेफ्टी मॉडल का प्रपोजल भेजेंगे।

एक साल से चल रही थी मशक्कत

आरयू के बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रो। अतुल सरोजवाल ने बताया कि देश में आए दिन होने वाले ट्रेन हादसों ने उन्हें विचलित कर दिया। इसलिए उन्होंने एंटी कोलिजन डिवाइस (एसीडी) बनाने का फैसला लिया। क्योंकि, वे इस पर पीएचडी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि डिवाइस के प्रयोग से रेल दुर्घटनाओं में कमी आएगी। उन्होंने बीटेक फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स अंकित, अश्वनी, रजत प्रताप सोनकर, संजय यादव, यश मिश्रा के साथ मिलकर एसीडी पर काम शुरू किया। एक साल की कड़ी मशक्कत के बाद उन्होंने एसीडी बनाकर तैयार कर ली है।

सेंसर पर काम करेगी एसीडी

उन्होंने बताया इंजन में एसीडी लगने के बाद ट्रेन का संचालन ऑटोमेटिक डिवाइस करने लगेगी। ट्रेन की पटरी में लगा रेडियो फ्रीक्वेंसी सेंसर सिस्टम जीपीएस सिग्नल देगा। सेंसर सिस्टम डिवाइस को एक ही पटरी पर आ रहीं दो ट्रेनों की सूचना 1600 मीटर पहले दे देगा। इसके बाद डिवाइस ऑटोमेटिक ब्रेक लगाना शुरू कर देगी। दोनों ट्रेनें एक दूसरे से टकराने से 400 मीटर पहले रुक जाएंगी। इससे रेल हादसा टल जाएगा।

खर्चा होगा आधा

उन्होंने बताया कि ट्रेन हादसों को रोकने के लिए इंडियन रेलवे के पास ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निग सिस्टम और ट्रेन कोलिजन एवॉइड सिस्टम है, लेकिन कैग की रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे को इस सिस्टम पर 10 लाख प्रति किमी के हिसाब से खर्च करने होते हैं। जबकि, रेलवे को एसीडी पर पांच लाख रुपए से भी कम प्रति किमी के हिसाब से खर्च करने होंगे।