BAREILLY: बिजनौर के लॉ कॉलेज में मा‌र्क्स दिए जाने को लेकर हुए फर्जीवाड़े पर आरयू पर्दा डालने की कवायद में जुट गया है। बिजनौर के इस कॉलेज में स्टूडेंट्स को वाइवा और प्रैक्टिकल में जमकर बढ़ाकर मा‌र्क्स दिए गए थे। यहां तक कि जो अब्सेंट थे उनको भी मा‌र्क्स दे दिया गया। इसका खुलासा हुआ तो हंगामा मच गया। अब यह मामला कॉलेज और आरयू दोनों के लिए गले की फांस बनता जा रहा है। आरयू ने भी इसकी जांच कराने के आदेश दिए हैं। लेकिन जांच कौन करेगा, कमेटी में कौन-कौन होगा इसका खुलासा नहीं कर रहा है। सोर्सेज की मानें तो इस गड़बड़ी के खुलासे के बाद कॉलेज आरयू से ट्यूनिंग तेज कर दी। अब दोनें के बीच गठजोड़ बन रहा है और पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

क्या था मामला

कृष्णा कॉलेज, बिजनौर के एलएलबी स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल व वाइवा में दिए गए मा‌र्क्स को बाद में बढ़ा दिया गया था। ये सभी स्टूडेंट एलएलबी चौथे सेमेस्टर के थे और दूसरे बैच में इनका एग्जाम लिया गया था। यूनिवर्सिटी की तरफ से एक्सटर्नल डॉ। राजकुमार सोनकर थे जबकि कॉलेज की तरफ से इंटर्नल डॉ। परवेज खान थे। इस गड़बड़ी का खुलासा तब हुआ जब शक होने पर अवार्ड लिस्ट से मा‌र्क्स को मिलाए गए। करीब 75 स्टूडेंट्स के मा‌र्क्स बढ़ा दिए गए थे। यही नहीं करीब 10 स्टूडेंट्स अब्सेंट थे। उनको भी मा‌र्क्स प्रदान किए गए। खुलासे के बाद एक्सटर्नल डॉ। राजकुमार ने आरोप लगाए कि कॉलेज ने ही सारी गड़बड़ी की है। उनके फर्जी हस्ताक्षर कर नई लिस्ट तैयार कर दी गई। एक और मामले में छठे समेस्टर के स्टूडेंट्स को भी प्रैक्टिकल्स में जमकर बढ़ाकर मा‌र्क्स दिए गए हैं। इसका भी खुलासा अवार्ड लिस्ट से क्रॉस चेक होने के बाद मालूम चला।

आरयू की जांच प्रक्रिया शक के घेरे में

खुलासे के बाद आरयू में भी हलचल पैदा हो गई। घपले को लेकर सारा ठीकरा कॉलेज पर मढ़ दिया गया। आरोप है कि ऐसे अधिकांश सेल्फ फाइनेंस कॉलेज ये फर्जीवाड़ा करते आ रहे हैं। इसके बाद आनन-फानन में जांच के आदेश दे दिए गए। लेकिन यह जांच भी शक के घेरे में आ गई है। रजिस्ट्रार एसएल मौर्य ने बताया कि मामला गंभीर है। इसके जांच के आदेश दे दिए गए हैं। कमेटी बना दी गई है जो पूरे मामले की रिपोर्ट देगी। लेकिन कमेटी में कौन-कौन है इस बात का खुलासा नहीं किया जा रहा है। सोर्सेज की मानें तो कॉलेज के दबाव में आरयू मामले को निपटाने में जुट गया है। कमेटी है भी तो जानबूझकर खुलासा नहीं किया जा रहा है। ताकि अपने तरीके से रिपोर्ट बनाई जा सके।