- सुबह 9 से शाम 6 बजे तक डीआरटी की टीम ने नाप डाली फैक्ट्री की जमीन और हर एक कील

- कोर्ट रिसीवर के मुताबिक जमीन व अन्य सामान की नीलामी कर अदा होगा बैंक कर्ज और वर्कर्स का बकाया भुगतान

BAREILLY:

रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर मेगा प्रोजेक्ट लगाने की मुहिम पर ग्रहण लग गया है। करोड़ों रुपयों के बकाया की वसूली को लेकर मंडे को डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल की टीम ने रबड़ फैक्टी की जमीन से लेकर फैक्ट्री में लगाई गई एक-एक कील को नाप डाला। जमीन से लेकर फैक्ट्री की धुआं उगलने वाली चिमनी तक की नापजोख का डाटा वैल्युएशन के लिए सुरक्षित कर लिया है। जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट में सबमिट करने के बाद आखिरी नोटिस फैक्ट्री ओनर को जारी होगा। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

जमीन बेचकर वसूलेंगे बकाया

जानकारी देते हुए डीआरटी के रिसीवर एनवी ठक्कर ने बताया कि फैक्ट्री ओनर ने फैक्ट्री में लगे इक्विपमेंट्स के लिए करीब 14 बैंकों से 283 करोड़ रूपए का लोन लिया था। फैक्ट्री 19 वर्षो से बंद पड़ी है, ऐसे में मौजूद इक्विपमेंट्स की लागत से बकाया की भरपाई नहंीं होने की संभावना है। पूर्व में ही हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी कर कहा है कि फैक्ट्री की जमीन से लेकर कील तक की नीलामी कर क र्मचारियों और बैंकों का बकाया भुगतान किया जाए। जिसके आधार पर मंडे को जमीन समेत फैक्ट्री के हर एक सामान का डाटा मेनटेन कर वैल्युएट किया गया है।

सुबह 9 बजे पहुंच गई टीम

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में प्रकाशित खबर को पढ़कर फैक्ट्री वर्कर्स वहां पहले ही मौजूद थे। जिन्होंने डीआरटी की टीम से मुलाकात की। टीम ने कर्मचारियों के पाई-पाई के भुगतान का आश्वासन दिया। इसके बाद टीम ने वहां लगे सामान की लिस्ट बनाई। वर्षो पहले लगाई गई मशीनों का वर्तमान मूल्य दर्ज करते रहे। रबड़ फैक्ट्री स्थित कॉलोनी भी नापी गई। बताया कि 1380 एकड़ जमीन फैक्ट्री को लीज पर सरकार ने दी थी। जिसमें से वर्ष 2002 में 25 एकड़ जमीन हाइवे के निर्माण के लिए लेकर केंद्र सरकार ने तत्कालीन सर्किल रेट के आधार पर करीब साढ़े चार करोड़ रुपए का मुआवजा दिया था।

आईसीआईसीआई ने की पहल

फैक्ट्री पर यूं तो कुल 14 बैंकों का उधार है लेकिन कंपनी जब डिफाल्टर घोषित हुई तो सबसे पहले आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी वसूली के लिए पहल की। बॉम्बे हाईकोर्ट में वर्ष 1999 में मामला दायर किया गया। जिसके बाद से अन्य ने भी अपने बकाया वसूली के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। टीम के साथ मौजूद आईसीआईसीआई बैंक के लॉ ऑफिसर महेश शाह ने बताया कि बैंक्स को अपना पूरा बकाया चाहिए। जमीन समेत इक्विपमेंट्स की नापजोख के दौरान डीआरटी से टेक्नीकल टीम में राजेश जादव, अवधूत और सागर वैल्युअर के तौर पर मौजूद रहे। इसके अलावा फैक्ट्री कर्मचारी प्रमोद करयानी, हजारी लाल, अशोक मिश्रा टीम के साथ वैल्यूएशन के दौरान मौजूद रहे।

मैन्युफैक्चरिंग हब का प्रस्ताव

लास्ट ईयर से ही रबड़ फैक्ट्री की 1250 एकड़ जमीन पर बड़ा प्रोजेक्ट लगाने की सरकार की योजना है। इसे मल्टी क्लस्टर की तर्ज पर विकसित करने की योजना है। जिसमें इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग हब, फूड पार्क बनाया जाना प्रस्तावित है। जिसका जिम्मा यूपीएसआईडीसी को सौंपा गया है। परियोजना का बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए करीब 710 करोड़ रुपए का प्रपोजल बना है।

उधारदाताओं की लिस्ट

- एसबीआई म्युचुअल फंड ट्रस्टी को प्राइवेट लिमिटेड

- स्पेसिफाइड अंडरटेकिंग ऑफ यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया

- लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया

- जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया

- ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

- न्यू इंडिया एस्युरेंस कंपनी लिमिटेड

- यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी

- आईसीआईसीआई बैंक

- रिलायंस सेंटर

- यूटीआई म्युचुअल फंड

- स्ट्रेस्ड एसेट्स स्टैबिलाइजेशन फंड, आईडीबीआई

- इंडस्ट्रियल फाइनेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया

- एल्केमिस्ट एआरसी

- आईएआरसी

बॉक्स मैटर

हाईकोर्ट में किया जाएगा काउंटर फाइल

रबड़ फैक्ट्री की जमीन राज्य सरकार की है। रबड़ फैक्ट्री के मालिक को जमीन एग्रीमेंट के तहत 3 लाख 20 हजार रुपए में दी गई थी। एग्रीमेंट के तहत फैक्ट्री बंद होने या उत्पादन बंद होने पर जमीन सरकार को वापस हो जाएगी और 3 लाख 20 हजार रुपए वापस कर दिए जाएंगे। शासन स्तर पर फाइल गायब हो गई थी, जिसके बाद बरेली प्रशासन के जरिए दोबारा फाइल तैयार कराई गई है। जिसमें एग्रीमेंट के कागज भी लगाए गए हैं। हाईकोर्ट से डीआरटी की टीम बरेली आयी थी। अब इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के नोटिस की पूरी डिटेल निकलवायी जा रही है। शासन को पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा और बॉम्बे हाईकोर्ट में काउंटर फाइल किया जाएगा। इस केस में 5 अप्रैल को अगली सुनवाई है। उससे पहले कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। रबड़ फैक्ट्री की जमीन को नीलाम नहीं होने दिया जाएगा। हर हाल में इसे बचाकर मेगा प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा।

आर विक्रम सिंह, डीएम

डीआरटी की टीम ने जो भी कार्रवाई की उस पर मैं कोई टिपण्णी नहीं कर सकता। मेरा मकसद फैक्ट्री के वर्कर्स को लाभ दिलाना है। वह किसी भी जरिए से हो पहला हक वर्कर्स का ही होगा।

संतोष गंगवार, केंद्रीय मंत्री

डीआरटी की टीम ने फैक्ट्री की जमीन व अन्य सभी सामानों की नापजोख कर लिया है। वैल्युएशन के बाद रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करेंगे। फैक्ट्री ओनर को लास्ट नोटिस जारी होगी। संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो कोर्ट के आदेशानुसार नीलामी की प्रक्रिया शुरू होगी।

एनवी ठक्कर, कोर्ट रिसीवर