- मेडिकल हब आगरा, लेकिन मानकों की चल रही अनदेखी
आगरा। ताजनगरी सिर्फ पर्यटन ही नहीं, बल्कि मेडिकल हब भी माना जाता है। लेकिन, यहां स्वास्थ्य सेवाएं बीमार हो चुकी हैं। गली-मोहल्लों में अस्पताल चल रहे हैं, जहां स्वास्थ्य सेवाओं के मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
बदहाल स्थिति में सेवाएं
सिटी में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल स्थिति में हैं। एक डॉक्टर की डिग्री से दो-दो कमरों के 10 अस्पताल संचालित हो रहे हैं। अस्पतालों में अव्यवस्थाओं को लेकर आए दिन रिपोर्ट्स आती हैं। अभियान भी चलाए जाते हैं, लेकिन इन सभी का कुछ दिनों तक प्रभाव रहता है और फिर से स्वास्थ्य सेवाएं पुराने ढर्रे पर चली जाती हैं।
मरीजों के बंटवारे का बड़ा रैकेट
आगरा में जगह-जगह फैले अस्पतालों में मरीज लेने का कॉम्पिटिशन ऐसा है कि इसके लिए बकायदा एजेंट भी काम कर रहे हैं। ये एजेंट अस्पतालों में मरीज भेजते हैं, जिसके एवज में उनको कमीशन भी मिलता है। यही नहीं प्राइवेट अस्पतालों का रैकेट इस स्तर पर फैला हुआ है कि एसएन मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को भी खींच लेने में कोई गुरेज नहीं करते।
सबका कमीशन होता है तय
एसएन में काम करने वाले वार्ड ब्वॉय और अन्य कर्मचारियों को प्रत्येक मरीज के भेजने पर कमीशन भी दिया जाता है। मरीजों को भेजने के लिए वार्ड ब्वॉयज द्वारा तीमारदारों को भ्रमित भी करवाया जाता है। वहीं, एंबुलेंस चालक भी इससे अछूते नहीं। किसी इमरजेंसी की स्थिति में मरीजों को सरकार अस्पताल न ले जाकर उन्हें सीधे उस प्राइवेट अस्पताल में ले जाया जाता है, जहां उन्हें कमीशन मिलता है।
झोलाछापों पर भी नहीं कोई लगाम
ग्रामीण इलाकों में काम कर रहे झोलाछापों पर भी स्वास्थ्य विभाग का कोई नियंत्रण नहीं। कई बार एक्शन लेने के बाद भी गांवों में झोलाछाप डॉक्टर काम कर रहे हैं। मरीजों की जान को खतरे में डाल रहे हैं। झोलाछापों के कारण जान गंवाने वाले मरीजों की रिपोर्ट्स आए दिन आती हैं। उन पर कार्रवाई भी होती है लेकिन बाकी ऐसी कार्रवाई से अछूते रहते हैं।