-एसीएम, सीओ और एसीएमओ की कमेटी ने सील किया हॉस्पिटल

-नहीं पहुंचे डॉक्टर शरद अग्रवाल, मैनेजर ने रिसीव किया सुपुर्दगीनामा

BAREILLY: सांई हॉस्पिटल के आईसीयू में आग से दो महिला मरीजों की मौत के मामले में आखिरकार 5 दिन बाद हॉस्पिटल को प्रशासन की कमेटी ने सील कर दिया। आईएमए के डॉक्टर्स के विरोध और सभी हॉस्पिटल को बंद करने की चेतावनी के बाद भी प्रशासन अपने फैसले पर अड़ा रहा। डॉक्टर्स में भी रात तक दो फाड़ हो गए। फ्राइडे दोपहर एसीएम फ‌र्स्ट अरुण मणि त्रिपाठी, एसीएमओ अशोक कुमार और सीओ नीति द्विवेदी की कमेटी ने पूरा हॉस्पिटल खाली कराने के बाद हॉस्पिटल के मेन गेट और रैंप गेट के दोनों शटर पर चार ताले जड़ दिए। सील लगाने के बाद हॉस्पिटल के मैनेजर सतीश कुमार गुप्ता को सीलिंग का सुपुदर्गीनामा थमा दिया गया। सीलिंग के दौरान हॉस्पिटल के मालिक डॉक्टर शरद अग्रवाल नहीं पहुंचे। कुछ कर्मचारियों ने रोजी-रोटी का हवाला देकर कुछ हंगामा किया लेकिन उनकी एक भी नहीं चली।

14 जनवरी की रात हुआ था हादसा

बता दें कि 14 जनवरी की रात करीब साढ़े 3 बजे हॉस्पिटल के सेकंड फ्लोर पर बने आईसीयू में आग लग गई थी। आग लगने के बाद वहां मौजूद स्टाफ फरार हो गया था। आग में दो महिला मरीज राजबाला और मंगला देवी की मौत हो गई थी। हादसे के बाद प्रभारी डीएम सत्येंद्र कुमार ने मजिस्टीरियल जांच के आदेश दिए थे। फायर सेफ्टी, विद्युत सेफ्टी के इंतजाम न होने और बिल्डिंग के सेफ्टी के लिए उपयुक्त न होने पर मजिस्टीरियल जांच के बाद प्रभारी डीएम ने वेडनसडे को हॉस्पिटल को सील करने का आदेश दिया था। जब थर्सडे को सुबह से लेकर शाम तक सीलिंग को रोकने के लिए आईएमए के डॉक्टर्स ने जमकर ड्रामा किया था। शाम को डॉक्टर्स के विरोध के बाद नोटिस चस्पा कर सुबह 11 बजे तक हॉस्पिटल खाली करने का आदेश दिया था।

सुबह 11 बजे तक चले गए सभी मरीज

प्रशासन के सख्त रवैया और नोटिस चस्पा होने के बाद साफ हो गया कि अब सीलिंग की कार्रवाई होगी, जिसके चलते हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने रात में ही मरीजों को डायलिसिस के बाद हॉस्पिटल से जाने के लिए कह दिया। एक-एक कर सुबह 11 बजे तक सभी मरीज हॉस्पिटल से चले गए। हॉस्पिटल से लौटने वाले मरीजों के तीमारदारों में प्रशासन के प्रति गुस्सा भी दिखा। किसी भी तरह की कोई प्रॉब्लम न हो, इसके लिए सुबह से ही फोर्स तैनात हो गई। हॉस्पिटल में स्टॉफ भी पहुंच चुका था और चहल पहल भी शुरू हो चुकी थी। हॉस्पिटल स्टॉफ, मीडिया, और पुलिस बस इंतजार कर रहे थे तो अधिकारियों के पहुंचने और सीलिंग की कारर्1वाई की।

कई चर्चा, पर आदेश रहा जारी

फ्राइडे सुबह 11 बजे नोटिस का वक्त खत्म हो चुका था, लेकिन प्रशासन की टीम नहीं पहुंची। चर्चा हुई कि डॉक्टर्स प्रशासन से मिलकर सीलिंग की कार्रवाई पर रोक लगाने की कोशिश कर रहे हैं। यहां तक कि डीएम आर विक्रम के वापस आने पर उनसे भी मुलाकात करने की बात की चर्चा हुई। दोपहर 12 बजे के बाद डीएम ने सीडीओ, सीएमओ, एसीएम की टीम को बुलाया और मीटिंग कर हॉस्पिटल कांड की पूरी डिटेल जानी, जिसके बाद प्रभारी डीएम के आदेश को डीएम ने जारी रखा और अधिकारियों को सीलिंग की कार्रवाई करने के निर्देश दिए। डीएम का निर्देश मिलते ही टीमें तैयार हो गई।

सबसे पहले एसीएमओ

दोपहर करीब ढाई बजे सबसे पहले सीलिंग की कार्रवाई के लिए एसीएमओ अशोक कुमार पहुंचे। अशोक कुमार ने स्टॉफ के साथ पूरा हॉस्पिटल चेक किया। इस दौरान स्टॉफ ने कई कमरों में लॉक लगा रखे थे। स्टॉफ ने उसके बाद एसीएमओ को एक रूम में बैठाया और उन्हें चाय-बिस्कुट खिलाया। एसीएमओ ने फोन पर एसीएम को हॉस्पिटल की रिपोर्ट दी। एसीएम व सीओ बारादरी थाना पहुंच गए। जिस वक्त एसीएमओ पहुंचे उस वक्त हॉस्पिटल में डॉक्टर सौरभ और डॉक्टर सचिन थे, जिन्होंने सीलिंग के बाद नोटिस रिसीव करने से इनकार कर दिया। बताया गया कि डॉक्टर शरद अग्रवाल 15 से 20 मिनट में आ रहे हैं, लेकिन वह नहीं पहुंचे।

कहीं कोई अंदर तो नहीं बंद

काफी इंतजार के बाद भी जब डॉक्टर शरद अग्रवाल नहीं पहुंचे, तो फिर एसीएम और सीओ पहुंचे। एसीएम ने तुरंत हॉस्पिटल चेक करने के निर्देश दिए। एसीएमओ बोले कि हॉस्पिटल चेक कर लिया गया है, लेकिन एसीएम ने फिर से चेक करने के लिए कहा। जिसके बाद एसीएम, सीओ और एसीएमओ ने पुलिस की मौजूदगी में हॉस्पिटल चेक किया। इस दौरान लॉक कमरों को भी खुलवाकर चेक किया गया और फिर सभी में हॉस्पिटल स्टाफ से ताले लगवा दिए गए। उसके बाद सभी को हॉस्पिटल से बाहर कर दिया गया। हॉस्पिटल से बाहर करने के बाद मेन गेट पर दो ताले प्रशासन के जड़े गए और सील लगा दी गई। उसके बाद साइड में रैंप के शटर पर भी दो ताले लगा दिए गए और सील कर दिया।

नोटिस पढ़ाकर सभी को किया आउट

हॉस्पिटल सील करने के बाद एसीएम ने हॉस्पिटल के मैनेजर सतीश कुमार गुप्ता को नोटिस पढ़ाने के बाद सुपुर्दगी नामा थमा दिया। इस पर दो कर्मचारियों को गवाह बनाया गया। गवाह में कमल और सचिन बाबू को बनाया गया। सुपुर्दगीनामा थमाने के बाद हॉस्पिटल के लाइट सिस्टम को बंद कराया गया। यही नहीं मैनेजर से कहा भी गया कि किसी तरह की सीलिंग में गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। यदि किसी तरह का कोई हादसा हो तो प्रशासन को अवगत कराएं।

कब क्या क्या हुआ

14 जनवरी-रात करीब साढ़े 3 बजे आईसीयू में लगी आग, दो महिला मरीजों की मौत, एक घायल, स्टॉफ मौके से हुआ फरार, फायर ब्रिगेड ने बुझायी आग, डॉक्टर शरद अग्रवाल भी हुए गायब,

15 जनवरी-प्रभारी डीएम ने एडीएम एफआर और सीएमओ की ज्वाइंट मजिस्टीरियल जांच के दिए आदेश, फायर और बिजली विभाग को भी जांच के आदेश, हॉस्पिटल डॉक्टर्स व स्टाफ पर एफआईआर

16 जनवरी-फायर और बिजली विभाग की टीम के साथ एडीएम एफआर ओर एसीएमओ ने जांच की, जांच में बिल्डिंग में फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं पाए गए। बिजली विभाग की जांच में ओवरलोडिंग और वायरिंग सही नहीं पायी गई

17 जनवरी-बिजली, विद्युत और मजिस्ट्रेट की ज्वाइंट जांच के बाद प्रभारी डीएम सत्येंद्र कुमार ने हॉस्पिटल को सील करने का आदेश जारी कर दिया। इधर, आईएमए के डॉक्टर्स हॉस्पिटल के समर्थन में आ गए।

17 जनवरी-सीएफओ ने दोबारा पूरी बिल्डिंग का निरीक्षण किया। इस दौरान पाया कि हादसे के वक्त फायर एक्सटिंग्यूशर में लेबल मार्च 2017 के थे और लेबल चेंज कर जून 2018 के कर दिए गए।

18 जनवरी-डॉक्टर्स ने विरोध शुरू कर दिया और सीडीओ का घेराव किया। यही नहीं शाम को टीम सीलिंग करने पहुंची तो भी विरोध कर हड़ताल की चेतावनी दी। जिसके बाद सुबह 11 बजे तक सभी मरीजों को बाहर करने की मोहलत दी गई

19 जनवरी-डीएम आर विक्रम सिंह बरेली पहुंचे और सीडीओ, एसीएम, और सीएमओ के साथ मीटिंग की। दोपहर बाद टीम हॉस्पिटल पहुंची और फिर हॉस्पिटल को सील कर दिया।

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रोजी-रोटी का संकट हो गया, हंगामा

हॉस्पिटल पर कार्रवाई का स्टॉफ शुरू से ही विरोध कर रहा है। सभी रोजी-रोटी के संकट का हवाला देते हुए प्रशासन की कार्रवाई को गलत ठहरा रहे हैं। फ्राइडे को भी जब टीम हॉस्पिटल को सील कर रही थी तो कर्मचारियों ने हंगामा शुरू कर दिया। जिसके बाद एसीएम के आदेश पर सभी को बाहर कर दिया गया। उसके बाद कर्मचारियों ने बाहर ड्रामा शुरू कर दिया। कई कर्मचारी मीडियाकर्मियों से भी उलझ गए, लेकिन सीलिंग की कार्रवाई पर कोई रोक नहीं लगी। हॉस्पिटल की स्टॉफ किरन सबसे ज्यादा परेशान थी। उसकी आंख से आंसू निकल रहे थे। वह कई वर्षो से हॉस्पिटल में काम कर रही थी। इसी तरह से शिवांगी, हरज्ञान समेत कई स्टाफ परेशान दिखे। कई स्टॉफ ने बताया कि डॉक्टर ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सब कुछ जल्द ही सही हो जाएगा।

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प्रशासन पर दर्ज कराऊंगा एफआईआर

प्रशासन के नोटिस चस्पा होने के बाद रात से ही मरीजों ने हॉस्पिटल से जाना शुरू कर दिया था। फ्राइडे सुबह 11 बजे तक सभी मरीज चले गए। सुबह हॉस्पिटल से जाते वक्त कई मरीजों के तीमारदार में डॉक्टर के प्रति हमदर्दी और प्रशासन के प्रति गुस्सा साफ नजर आया। तीमारदारों का आरोप था कि प्रशासन ने जबरन कार्रवाई की है। यदि किसी ट्रेन में हादसा होता है तो क्या ट्रेन चलाना बंद कर दिया जाता है। सुबह हॉस्पिटल से कमलेश, हिदायत अली, हरजिंद्र सिंह निकले। हरजिंद्र के परिजनों ने ज्यादा गुस्सा दिखा। परिजनों ने कहा कि यदि हरजिंद्र को कुछ हो गया तो वह प्रशासन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे।

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हॉस्पिटल के सभी ब्लोअर एक कमरे में बंद

हॉस्पिटल में आग ब्लोअर हीटर से लगी थी। जिसके बाद हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने सभी ब्लोअर हीटर को निकालकर न्यूट्रीशनिस्ट के रूम में रखवा दिया गया। जब पुलिस हॉस्पिटल सील करने के दौरान चेकिंग कर रहा था तो इस रूम का लॉक खुला हुआ था। जब इसे खोलकर देखा तो अंदर ब्लोअर रखे हुए थे। जिसके बाद इस रूम में भी ताला लगवा दिया गया।

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इन लोगों की लापरवाही से हुआ हादसा

जिस वक्त हादसा हुआ, उस वक्त हॉस्पिटल में डॉक्टर समेत 16 लोगों का स्टाफ था। हॉस्पिटल प्रशासन ने पुलिस को इन सभी की लिस्ट नाम, पता, पद, ड्यूटी स्थल और मोबाइल नंबर के साथ सौंप दी है। अब इन सभी के रोल की जांच की जा रही है। पुलिस जांच में इनका नाम शामिल किया जाएगा। जांच में डॉक्टर शरद अग्रवाल का भी नाम शामिल किया जाएगा। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के पास वह सभी नाम हैं, जो हादसे के वक्त हॉस्पिटल में मौजूद थे और फिर वहां से भाग गए थे।

यह स्टॉफ था मौजूद

-जितेंद्र कुमार-कम्पांडर-आरआईसीयू

-उमेश कम्पाउंउर-आरआईसीयू

-सोनी, सफाईकर्मी आरआईसीयू

-कांती देवी सफाईकर्मी-आरआईसीयू

-डॉक्टर सचिन-ईएमओ

-अमित सिंह चौहान, कम्पाउंडर -इमरजेंसी ड्यूटी

-विद्यावती सफाईकर्मी-जनरल वार्ड

-आदेश मौर्या-डायलिसिस

-पुष्कर सिंह पटेल-रिसेप्शन

-महेंद्रपाल, कम्पाउंडर-जनरल वार्ड

-रोहित सफाईकर्मी-ओपीडी

-तारावती वार्ड आया-जनरल वार्ड

-मोहित वार्ड ब्वॉय-जनरल वार्ड

-विमलेश मिश्रा-सिक्योरिटी गार्ड

-अंजू पांडेय-सिस्टर

-रामवती, वार्ड आया-

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डॉक्टर्स नहीं हो सके एकजुट

सांई हॉस्पिटल को सीज करने के आदेश के बाद डॉक्टर्स लॉबी इकट्ठा हो गई थी। आईएमए भी हॉस्पिटल के पक्ष में खड़ा हो गया था और प्रशासन की कार्रवाई को गलत ठहराने में लग गया। यही नहीं हॉस्पिटल सील होने पर आईएमए सभी हॉस्पिटल में ताला जड़कर हड़ताल पर जाने की धमकी दे दिया था। डॉक्टर्स मीडियाकर्मियों से भी उलझ गए थे। रात में सीलिंग के दौरान भी डॉक्टर्स इकट्ठा हो गए लेकिन यहां पर डॉक्टर्स अलग-अलग गुट में बंट गए। यहां भी राजनीतिक द्वेष नजर आया। रात में आईएमए अध्यक्ष प्रमेंद्र महेश्वरी के न होने पर दूसरे डॉक्टर्स भड़क गए। रात में पूर्व मेयर डॉक्टर आईएस तोमर भी पहुंच गए थे। रात में जब पुलिस ने सरकारी काम में बाधा देखते हुए हंगामा कर रहे डॉक्टर्स की वीडियो बनानी शुरू कर दी थी तो फिर सब वहां से गायब हो गए थे। उम्मीद थी कि डॉक्टर्स सुबह सीलिंग की कार्रवाई का विरोध करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

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सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा

डॉक्टर्स के एक हॉस्पिटल को लापरवाही के बावजूद बचाने के मामले की सोशल मीडिया पर भी जमकर चर्चा हो रही है। आम पब्लिक का डॉक्टर्स के प्रति गुस्सा भी साफ झलक रहा है। कई लोग डॉक्टर्स के इस विरोध को जायज ठहरा रहे हैं तो अधिकांश लोग इसे गलत भी बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि हॉस्पिटल में मानक पूरे करने चाहिए।