और ऐसा हाल तब है जब पड़ोसी देश चीन राजमार्गों के निर्माण के मामले में भारत से मीलों आगे है.

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और महासचिव रामगोपाल यादव द्वारा लखनऊ में जारी किए गए घोषणापत्र में राजनीतिक फ़ायदे के लिए किए गए वादों, जैसे सवर्णों के लिए आरक्षण, सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागू करने पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया है.

सवर्णों के  आरक्षण के संदर्भ में समाजवादी पार्टी का घोषणापत्र एक आयोग के गठन की बात करते हुए कहता है, "देश में पिछड़ा वर्ग आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग तथा महिला आयोग कार्यरत हैं."

घोषणापत्र के मुताबिक़, "देश में आज भी ऊंची जातियों में बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो ग़रीब हैं, पीड़ित हैं, शोषित हैं. हमारी सरकार इनके हितों के संरक्षण के लिए एक सवर्ण आयोग का गठन करेगी जो अन्य आयोगों के तर्ज़ पर कार्य करेगा."

ब्राह्मणों को अपनी ओर आकर्षित करने का समाजवादी पार्टी का यह प्रयास मायावती के "सर्वधर्म समाज" की एक भोंडी नक़ल है और उत्तर प्रदेश के वर्तमान जातीय समीकरण में अपने दल की स्थिति को मज़बूत करने का एक कमज़ोर प्रयास.

'मुसलमानों को रिहा करेगी'

सपा घोषणापत्रः सवर्णों और मुसलमानों को लुभाने की कोशिश

घोषणापत्र "मुसलमानों और आदिवासी" शीर्षक के अंतर्गत कहता है कि  समाजवादी पार्टी 'विशेष अवसर के सिद्धांत' में यक़ीन करती है. मुसलमानों को उनकी आबादी के अनुपात में नौकरियों में आरक्षण देने के लिए पार्टी ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर इसके लिए संविधान में आवश्यक संशोधन करेगी.

असलियत तो यह है कि समाजवादी पार्टी के इस वादे को अमली जामा पहनाने की हाल में की गई कोशिशें नाकाम रही हैं और जाट आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया भी यही इशारा करती है कि यह वादा पूरा करना मुश्किल होगा.

समाजवादी पार्टी मुसलमानों के साथ विधानसभा चुनाव में किए गए एक वादों में से आज तक एक को भी पूरा नहीं कर पाई है. फिर भी 2014 का घोषणापत्र कहता है कि, "आतंकवाद के झूठे आरोपों में जेलों में बंद बेक़सूर मुसलमानों को रिहा कराने का काम करेगी."

पार्टी ने साथ ही कहा, "समाजवादी पार्टी धर्म एवं जाति के आधार पर जनता के ध्रुवीकरण को देश की एकता और लोकतंत्र के लिए ख़तरा मानती है. इसलिए राजनीति, शिक्षा एवं प्रशासन में इनके इस्तेमाल की घोर विरोधी है."

पार्टी ने साल 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने का भी वादा किया है.

कम्प्यूटर और लैपटॉप

पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने वादा किया था कि प्रदेश में सरकार बनने पर उन सभी व्यक्तियों की वो संपत्ति ज़ब्त कर ली जाएगी जो उनकी आय से अधिक होगी. साल 2012 में बनी अखिलेश सरकार को दो वर्ष से अधिक हो गए हैं लेकिन अभी तक ऐसी कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है.

साल 2009 के घोषणापत्र में आतंकवाद ख़त्म करने के लिए समाजवादी पार्टी ने  पाकिस्तान और बांग्लादेश से संबंध सुधारने की बात कही थी. लेकिन 2014 का घोषणापत्र केवल चीन की बात करता है और कहता है, "समाजवादी पार्टी की सरकार पड़ोसी देशों से अपने रिश्ते सुधारने का काम करेगी."

हाँ, पांच साल पहले और आज के घोषणापत्र में एक समानता अवश्य है. दोनों में ही पार्टी ने वायदा कारोबार (फ़ॉरवर्ड ट्रेडिंग) को अनुमति नहीं देने का वादा किया है.

महंगाई को रोकने के लिए पार्टी ने "दाम बांधो नीति" पर अमल करने का वायदा किया है और कहा है कि "कारख़ाने में बनी चीज़ लागत से डेढ़ गुने से ज़्यादा दाम पर नहीं बिक सकेगी."

International News inextlive from World News Desk