BAREILLY: मकर संक्रान्ति के पर्व पर श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने में 24 घंटे शेष हैं और रामगंगा नदी का पानी स्नान तो आचमन के योग्य नहीं है। इस बात का खुलासा रामगंगा मित्र ने किया है, उनका कहना है कि नदी के पानी में बॉयो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और डिजाल्व्ड ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा खतरे की जद में है, जिसके साथ ही पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के उस दावे पर भी सवाल खड़े हो गए है, जिसमें वह नदी के पानी को स्वच्छ करार दे रहा है।

 

रामगंगा का जल है दूषित

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पिछले एक महीने से सिर्फ सैम्पल कलेक्ट कर रहा है। इसके लिए रोजा सहायक वैज्ञानिक और अन्य कर्मचारी रामगंगा का विजिट करते हैं। इनकी जांच में रामगंगा के जल में डीओ और बीओडी सामान्य हैं। जबकि, रामगंगा को बचाने में जुटी रामगंगा मित्र का कहना है कि डीओ और बीओडी दोनों का ही परसेंटेज स्टैंडर्ड मानक से अधिक है। रामगंगा मित्र सिर्फ डीओ और बीओडी पर ही जांच नहीं करती है। बल्कि, पीएच, तापमान, घुलित ऑक्सीजन, अपशिष्ट क्लोरीन, धुंधलापन, क्लोराइड, नाइट्रेट, फ्लोराइड, फॉस्फोरस, लौह तत्व, कठोरता, अमोनिया और क्लोरोफॉर्म सहित अन्य बिन्दुओं पर जल की शुद्धता मापने का कार्य करती है।

 

कहां से आ रहा गंदा पानी

नगर निगम रामगंगा के जल को दूषित करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है। कुल 187 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन हैं। जिसमें 46 किलोमीटर ट्रंक व 12 किलोमीटर की मेन ट्रंक लाइन हैं। जो कि तीन भागों में बंटी हुई है। पहली ट्रंक लाइन सर्राफा मार्केट, गंगापुर मूर्ति नर्सिग होम, सूद धर्म कांटा, बानखाना, केलाबाग, नैनीताल रोड होते हुए सिटी स्टेशन के पास मेन ट्रंक में मिल जाती है। दूसरी ट्रंक लाइन बारादरी, शहामतगंज, अयूब खां चौराहा, सिटी स्टेशन तक जाती है। तीसरी ट्रंक लाइन विकास भवन, गंगाचरण हॉस्पिटल, चौकी चौराहा, पोस्टमार्टम हाउस होते हुए सिटी स्टेशन पर मेन ट्रंक में मिल जाती है।

 

बिना ट्रीटमेंट के नदी में प्रवाहित

शहर में बने 8 बड़ा नाला और 116 छोटे नाला के माध्यम ये शहर का 80 परसेंट गंदा पानी देवरनियां नदी और किला नदी में जाता है। जबकि 20 परसेंट गंदा पानी नकटिया नदी में जाता है। इन सहायक नदियों से होते हुए सीवर का पानी आगे जाकर रामगंगा में मिल जाती है। श्मशान भूमि के पास सीवर पंपिंग स्टेशन तो बना हुआ है लेकिन सीवर ट्रीटमेंट प्लांट एक भी नहीं है। हालांकि, नदियों में गंदा पानी जाने से रोकने के लिए 4 सीवर ट्रीटमेंट प्लांट वर्षो पहले से प्रस्तावित है। लेकिन, आज तक एक भी प्लांट पर काम शुरू नहीं हो सका हैं।

 

कैसे लगाएंगें आस्था की डुबकी

रामगंगा में अलग-अलग स्रोत के माध्यम से रोजाना हजारों लीटर गंदा पानी प्रवाहित हो रहा है। जो कि जल में रह रहे जीव-जन्तुओं के अलावा श्रद्धालुओं के लिए काफी हानिकारक है। रामगंगा का जल शुद्ध और निर्मल हो इसके लिए सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत हैं।

 

26 संस्थाएं कर रही काम

रामगंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए शहर में कई संस्थाएं काम कर रही है। मां गंगा बचाओं वेलफेयर सोसाइटी से 26 संस्थाएं जुड़ी हुई है। जिनकी ओर से अवेयरनेस प्रोग्राम और रामगंगा सफाई अभियान चलाया जाता हैं। संस्था दो तरह से काम करती है। जन जागरण और दूसरा घरेलू लेवल पर ही पानी को ट्रीट करने का प्लान। इससे एक फायदा यह होगा सीवर ट्रीटमेंट प्लांट न होने पर भी नदियों में साफ पानी प्रवाहित होगा।

 

एक नजर

नदी के पानी का स्टैंडर्ड

-4- 5 एमजी प्रति लीटर डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन (डीओ) से कम नहीं होना चाहिए।

- 3.5 एमजी प्रति लीटर के आसपास डीओ है।

- 3 एमजी प्रति लीटर बॉयो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) होना चाहिए।

-5-7 एमजी प्रति लीटर के आसपास बीओडी है।

 

रामगंगा मित्र इन बिन्दुओं पर करती हैं जांच

- पीएच, तापमान, घुलित ऑक्सीजन, अपशिष्ट क्लोरीन, धुंधलापन, क्लोराइड, नाइट्रेट, फ्लोराइड, फॉस्फोरस, लौह तत्व, कठोरता, अमोनिया, क्लोरोफॉर्म।

 

रामगंगा के जल का सैम्पल डेली कलेक्ट किया जा रहा है। डीओ और बीओडी का लेवल सामान्य हैं। फैक्ट्रियों को निर्देश दिए गए है कि वह दूषित पानी नदियों में न बहाए।

एके चौधरी, आरओ, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड

 

बीओडी का लेवल स्टैंडर्ड मानक से अधिक हैं। वहीं फास्फोरस, अमोनिया, क्लोरोफार्म भी अधिक मिलता है। लोगों को अवेयर रहने की जरूरत है। ताकि, नदियों के जल को शुद्ध बनाया जा सके।

मोहम्मद आलम, वरिष्ठ परियोजना अधिकारी, डब्ल्यूडब्ल्यूएस