- प्रदेश सरकार ने 56 साल पुराना कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम खत्म कर नया मॉडल लागू करने की ओर बढ़ाए कदम

- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 2010 में एग्री यूनिवर्सिटीज के लिए तैया किया था ये मॉडल

-यूपी काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च(उपकार) के डीजी ने मॉडल एक्ट गवर्नमेंट को सौंपा

KANPUR: स्टेट की सभी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज में अब एक जैसी पढ़ाई होगी। स्टूडेंट्स को एक ही सिलेबस पढ़ाया जाएगा। इससे न सिर्फ एजुकेशन का स्तर सुधरेगा बल्कि स्टूडेंट्स को कॉम्पटीशन फाइट करना भी आसान हो जाएगा। क्योंकि प्रदेश सरकार ने कृषि विश्वविद्यालयों के लिए भ्म् साल पूराने अधिनियम को समाप्त करके नया मॉडल लागू करने की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिया हैं। ये नया मॉडल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने डेवलप किया है। देश के ज्यादातर राज्यों के एग्री यूनिवर्सिटी में यह मॉडल पहले ही लागू किया जा चुका है। नया मॉडल लागू होने से कई अहम बदलाव आएंगे। एग्री विश्वविद्यालयों में एक सिलेबस होने के साथ ही वाइस चांसलर, डीन व डायरेक्टर का टेन्योर तीन साल से बढ़कर भ् साल हो जाएगा। प्रोफेसर्स और स्टूडेंट्स को भी फायदा मिलेगा। यूपी काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च(उपकार) के डायरेक्टर जनरल ने मॉडल एक्ट गवर्नमेंट को सौंप दिया है।

भ्म् साल पुराना अधिनियम खत्म होगा

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश की सभी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज में एक समान व्यवस्था लागू करने के लिए कवायद की थी। परिषद ने साल ख्0क्0 में एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के लिए मॉडल एक्ट बनाया था। इस एक्ट को सभी कृषि विश्वविद्यालयों में लागू करना था। अहम बात यह है कि इस मॉडल के अस्तित्व में आने से प्रोफेसर व स्टूडेंट्स को भी फायदा मिलेगा। माडल के अस्तित्व में आने से भ्म् साल पुराना अधिनियम खत्म हो जाएगा।

असेंबली में पास होने के बाद गवर्नर के पास जाएगा

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मॉडल को लागू करने की कवायद में डीजी उपकार प्रो। राजेन्द्र कुमार अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होनें इस मॉडल एक्ट को यूपी गवर्नमेंट को सौंप दिया है। असेंबली में पास होने के बाद इसे गवर्ननर के पास अप्रूवल के लिए भेज दिया जाएगा।

इन राज्यों ने लागू किया

डीजी उपकार प्रो। राजेन्द्र कुमार ने बताया कि देश के कुछ राज्यों ने इस नए मॉडल को लागू कर दिया है। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, हिमांचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज में इसे लागू कर दिया गया है। जरूरत के मुतातिबक, समय-समय पर मॉडल में अपडेट किया जाएगा। स्टूडेंट्स को अब एक जैसी एजुकेशन मिलेगी।

इन विश्वविद्यालयों का बढ़ेगा स्तर

यूपी के चन्द्रशेखर आजाद एग्रीकल्चर एण्ड टेक्निकल यूनिवर्सिटी कानपुर, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय फैजाबाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ, डीम्ड एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी नैनी इलाहाबाद और बांदा कृषि विश्वविद्यालय में ये मॉडल लागू होगा। कृषि विश्वविद्यालयों में नये मॉडल एक्ट के आने से स्टूडेंट का सिलेबस समय समय पर अपग्रेड किया जाएगा। स्टूडेंट्स के बीच कॉम्पटीशन की भावना जाग्रत होगी।

उपकार का नाम चेंज करने सलाह

डीजी उपकार ने यूपी काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च का नाम चेंज करने की सिफारिश भी की है। सिफारिश मान ली गई तो उपकार का नया नाम यूपी काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च एंड एजुकेशन हो जाएगा।

बॉक्स

नया मॉडल लागू होने पर

- वीसी का कार्यकाल फ् की जगह भ् साल का होगा

- डीन का कार्यकाल भ् साल का होगा

- डायरेक्टर एक्सटेंशन का कार्यकाल भ् साल को होगा

- डायरेक्टर रिसर्च का कार्यकाल भ् साल का होगा

-- देश की सभी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स पढ़ेंगे एक जैसा सिलेबस

- एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का कायाकल्प आईसीएआर करेगा

- बजट के लिए कृषि विश्वविद्यालयों को दिक्कत नहीं होगी

- स्टूडेंट्स को नेशनल लेवल पर कॉम्पटीशन बीट करने में हेल्प मिलेगी

'भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के माडल एक्ट ख्0क्0 का 8भ् परसेंट बेस लिया गया है। इस मॉडल को बनाकर गवर्नमेंट को सौंप दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा। जिसके बाद इसे कुलाधिपति के पास भेजा जाएगा.'

प्रो। राजेन्द्र कुमार, डीजी यूपी काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च