308 के मुकदमें में था वांछित, सजा को लेकर चल रहा था परेशान

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ALLAHABAD: यमुनापार में घूरपुर थाना क्षेत्र के बीकर गांव में शुक्रवार की सुबह एक बालू व्यवसायी ने बेडरूम में खुद को कनपटी पर गोली मार ली। परिजन आनन-फानन में उसे एसआरएन हॉस्पिटल ले गये, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना से परिजनों में कोहराम मचा है।

सजा मिलने का था खौफ

घूरपुर थाना क्षेत्र के बीकर गांव निवासी आशीष निषाद उर्फ मोनू (25) पुत्र स्व। अशोक कुमार गांव में रहकर बालू का कारोबार कर रहा था। कुछ महीने पहले आशीष पर धारा 308 के तहत मुकदमा कायम हुआ था। वह इस केस में वांछित चल रहा था। इस सिलसिले में न्यायालय में गवाहों का बयान भी हो चुका था। गवाहों के बयान के बाद वह मुकदमे में सजा को लेकर पिछले कुछ दिनों से परेशान चल रहा था। शुक्रवार की भोर में जब पत्‍‌नी बाथरूम के लिए गई थी। तभी आशीष ने तमंचा निकाला और फिर कनपटी से सटाकर गोली दाग दी। पत्‍‌नी ने ने गोली चलने की आवाज सुनी तो कमरे की ओर दौड़ी। आशीष को खून से लथपथ जमीन पर तड़पते देख चीख पड़ी। परिजनों ने मामले की जानकारी पुलिस को दी और सुनील को एसआरएन हास्पिटल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पहले मिली हत्या की सूचना

उधर गांव में गोली चलने की सूचना पर किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी कि गांव में एक युवक की हत्या कर दी गयी है। इतना सुनते ही पुलिस महकमे में हड़कम्प मच गया। मौके पर एसपी यमुनापार अशोक कुमार, सीओ बृजनन्दन राय समेत आठ थानों की फोर्स, एक ट्रक पीएसी, फायर बिग्रेड वाहन, वज्र वाहन पहुंच गया। एसपी क्राइम व एलआईयू की टीम भी बीकर गांव पहुंच गयी। जांच में पता चला कि हत्या नहीं युवक ने खुदकुशी की है। पुलिस ने शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। मौके से तमंचा बरामद कर लिया।

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परिवार का करता था भरण पोषण

बालू के व्यवसाय से आशीष की अच्छी कमाई हो रही थी। पूरे परिवार का वह खुद भरण पोषण करता था। दो साल पहले ही उसका विवाह जगदीशपुर गांव की कल्पना निषाद से हुई थी। चार महीने पहले घर उसके एक बेटा हुआ। घर में खुशी का माहौल था। इसी बीच एक मुकदमें में वांछित मृतक के खिलाफ कोर्ट में गवाही हुई। जिसके कारण उसे सजा का भय सताने लगा, उसे डर था कि कहीं कोर्ट उसे सजा न सुना दें। तीन भाइयों एवं दो बहनों में बड़ा आशीष पर दो भाइयों में शिवाजी 15, शुभम 7, अंर्चना 18 की पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी भी पिता की मौत के बाद आशीष के कन्धे पर थी। ऐसे में उसकी मौत से पूरा परिवार सदमें है। अब परिवार का भरण पोषण कौन करेगा।