मौनी अमावस्या पर संगम नोज पर दिखा आस्था का विहंगम नजारा

किसी ने लेटकर तय की संगम की दूरी तो कोई बना श्रवण कुमार

ALLAHABAD: मौनी अमावस्या पर हर किसी की लालसा होती है कि वह संगम में पुण्य की डुबकी लगाए, फिर चाहे वह बालक हो, नौजवान या बूढ़ा। संगम नोज पर इन सभी की आस्था का विहंगम नजारा मंगलवार को दिखा। मोक्ष की कामना मन में लेकर अमावस्या स्नान को पहुंचे श्रद्धालुओं में कई ऐसे श्रद्धालु भी दिखे जिनकी उम्र और बीमारी पर आस्था भारी पड़ी। किसी ने श्रवण कुमार जैसा जज्बा दिखाकर मां को संगम स्नान कराया तो कोई लकवा से ग्रसित होने के बावजूद परिजनों के सहारे पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचा।

लेटकर तय किया फासला

महावीर पुल से पहले पावर हाउस से सटे शिव योगी स्वामी का शिविर है। अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर का निर्माण पूरा हो इसके लिए उन्होंने अपने शिविर से जमीन पर लेटकर संगम नोज का फासला तय किया। जब स्वामी जी गंगा सेना शिविर के सामने पहुंचे तो हर कोई कौतुहल निगाहों से उनकी आस्था को देखता रहा।

मां को कंधे पर लेकर आया

यही नहीं आधुनिक युग के श्रवण कुमार यानि मप्र के सीधी से पहुंचे राजेश कुमार ने सौ वर्ष की मां को काली सड़क से कंधे पर बैठाकर संगम नोज पहुंचाया। काली सड़क से संगम नोज का सफर पूरा करने में उसे चार किमी का फासला तय करना पड़ा।

कंधे के सहारे पहुंचे संगम

गोरखपुर से आए आद्या प्रसाद मिश्रा के परिजनों ने भी आस्था का नमूना पेश दिया। श्री मिश्रा लकवा से ग्रसित हैं, लेकिन इसके बावजूद उनका बेटा उन्हें लेकर संगम पहुंचा। यहां उन्होंने डंडे और बेटे अमित मिश्रा के कंधे के सहारे संगम में पुण्य की डुबकी लगाई। यही नहीं कई स्नानार्थी तो छह-छह महीने के बच्चों को गोद व कंधे पर लेकर संगम पहुंचे।

यह देवताओं की भूमि है। यहां हर श्रद्धालु कोई ना कोई कामना लेकर ही पहुंचता है। लेकिन पहली बार ऐसी आस्था दिखाई दी जिसने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया।

अमित कुमार चौरसिया

हम लोगों को गंगा मइया की आस्था खींचकर लाई है। लेकिन यहां आने पर देखा कि ऐसे श्रद्धालु भी आए हैं जिनकी आस्था के आगे हमारी श्रद्धा कम पड़ गई।

आलोक प्रजापति

आस्था से बड़ी कोई चीज नहीं होती है। इसी के सहारे हर मुश्किलों से लड़ा जा सकता है। यह बात अमावस्या स्नान के दौरान प्रमाणित हो गई है।

राम खेलावन मिश्रा

संगम नोज पर फासला तय करके पहुंचा तो ना जाने कितने रंग आस्था के दिखाई दिए। इसलिए आधा घंटे रुककर सभी नजारों को कैमरे में कैद करता रहा।

माताफेर सिंह