संकटमोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा में ओडिसी नृत्यांगना सोनल मानसिंह का चला जादू

VARANASI

संकटमोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा में शनिवार को प्रख्यात ओडिसी नृत्यांगना सोनल मानसिंह का जादू दर्शकों के सिर चढ़ कर बोला। सोनल के भावपूर्ण नृत्य ने दर्शकों को ओडिसी नृत्य की खासियत से परीचित कराया। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना से की। उसके बाद उन्होंने शंकराचार्य रचित गंगा तरंग रमणीय जटा कलापम् शांताकारम् भुजग सदृश्यम् से भगवान शंकर की स्तुति की। उसके बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन चरित्र को भावनृत्य के जरिये प्रस्तुत किया। बालक रूप में भगवान राम के जगाने के प्रसंग ने दर्शकों को भाव विह्वल कर दिया। कितनों की आंखें पानी की बूंदे टपकाने से खुद को नहीं रोक सकीं। उसके बाद उन्होंने राम वन गमन, धनुष यज्ञ, सीता विवाह आदि प्रसंगों की प्रस्तुति देकर कलयुग के दर्शकों को त्रेतायुग की सैर करायी। खास यह रहा कि आज उनका जन्मदिन भी था। अपने जन्म के दिन बाबा दरबार में हाजिरी लगाकर वे प्रफुल्लित भी थीं तो दूसरी तरफ चार दिन पहले ही अपनी मां से हमेशा के लिए बिछड़ जाने का गम भी उनके आंखों को नम कर रहा था।

झूमते रहे श्रोता

इनके पूर्व पांचवीं निशा के कार्यक्रम का आगाज कोलकाता से आये संतूर वादक पं। तरुण भट्टाचार्य व उनके साथियों की प्रस्तुति से हुआ। उन्होंने राग भोपाली में रचना प्रस्तुत की। श्रोतागण संतूर के तारों के साथ खुद को भी झंकृत महसूस करते रहे। कार्यक्रम की अगली कड़ी के रूप में उस्ताद आशीष खां, शिराज खां व अतीश मुखोपाध्याय के सरोद त्रिवेणी से हुआ। सरोद के तारों पर एक साथ मचलती उंगलियां और उनसे निकल रहे स्वरलहरियों पर श्रोता झूमते से नजर आये।