--VSSD college में थ्री डेज वर्कशॉप का इनॉग्रेशन डॉ। जोशी ने किया

-वर्कशॉप में देश के संस्कृत के एक्सपर्ट जुटे, टेक्निकल पर फोकस

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यन्हृक्कक्त्र : संस्कृत के स्कॉलर को इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग जरूर लेनी चाहिए। संस्कृत विषय के बारे में आधुनिक संचार साधनों में सामग्री उपलब्ध है, लेकिन टेक्निकल नॉलेज न होने की वजह से मेरिटोरियस को ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकती है। जरूरत इस बात की है कि संस्कृत के रिसर्च स्कॉलर को टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग दी जाए ताकि आईटी की फील्ड में अवलेबल सामग्री का यूज अपने एकेडमिक फील्ड में कर सकें। यह विचार कार्यशाला के प्रमुख प्रश्ि1ाक्षक डॉ। मदनमोहन झा ने व्यक्त किए।

सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़ना होगा

वीएसएसडी कॉलेज मे आयोजित वर्कशॉप का इनॉग्रेशन पूर्व केंद्रीय मंत्री व शहर के सांसद डॉ। मुरली मनोहर जोशी ने दीप जलाकर किया। डॉ। जोशी ने कहा कि बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि वह उच्च शिक्षा के उन्नायक थे। वह मृदुभाषी होने के साथ-साथ सौम्य व शालीन थे। किसी भी पीडि़त की मदद करने में हिचकते नहीं थे। अब टाइम आ गया है जब संस्कृत को मुख्य धारा से जोड़ना होगा। सूचना प्रौद्योगिकी से कनेक्ट करना नितांत जरूरी है, जिससे स्टूडेंट्स को भी फायदा मिलेगा। स्पेशल गेस्ट आईआईटी के प्रिंसिपल इंजीनियर डॉ। बीएम शुक्ला ने कहा कि संस्कृत की ऑनलाइन शोध सामग्री उपलब्ध कराई जाए तो बेहतर रहेगा। डॉ। शुक्ला ने बताया कि उन्होंने वेद, उपनिषद, दर्शन, अष्टाध्यायी को ऑनलाइन किया है। वर्कशॉप का संचालन डॉ। शोभा मिश्रा ने किया। प्रोग्राम में वीरेन्द्रजीत सिंह, प्रिंसिपल डॉ। छाया जैन, डॉ। ओम प्रकाश मिश्रा, डॉ। अनीता सोनकर, डॉ। बलदेवानंद सागर, डॉ। मनोज अवस्थी मौजूद रहे।