- सामाजिक एकता के लिए नौ बिंदुओं पर आम सभा की सहमति

- मंदिर में संत सभा के समापन के बाद सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के मुद्दे भी शामिल

- एक दो माह में संत अपने-अपने क्षेत्र में शुरू कर देंगे कार्य

GORAKHPUR: देश में टूट चुके सामाजिक ताने-बाने को जोड़ने और नए सिरे से खड़ा करने का काम देश की संत सभा करेगी। इसके लिए संत सभा ने नौ बिंदु आम सहमति बनी है। गोरखनाथ मंदिर में चल रही दो दिवसीय संत सभा में उपस्थित लगभग देश के 500 से अधिक संतों की उपस्थिति में हुई चर्चा के बाद यह सहमति बनी। इन नौ बिंदुओं पर संत सभा कार्य करके समाज में फैली कुरीतियों को दूर करेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय सन्त सभा के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी गोविन्द देव गिरी ने कहा कि इसके अलावा इस कार्यक्रम में कई अन्य बड़े मुद्दों पर भी चर्चा की गई है।

गांव-गांव जाएंगे संत

स्वामी गोविंद देव महाराज ने कहा कि हिन्दू शक्ति का आराधक है। ब्रिटिश सरकार द्वारा 1818 में प्रकाशित भारत का नक्शा आज संख्या बल के कारण ही सिकुड़ता चला गया है। जिन-जिन भू-भाग में हिन्दू संख्या घटी, वह क्षेत्र भारत से कटता गया। इसे हिन्दू समाज अपनी कमजोरी समझे, उसका मूल्यांकन करें और समाधान के मार्ग का निर्माण करे। उन्होंने कहा कि हम संत अब गांव-गांव जाएंगे और सामाजित समरसता का अलख जगाएंगे। गीता-मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज ने कहा कि सन्त-महात्मा भारत माता की सेवा, राष्ट्रीय एकता-अखण्डता के लिए चलाए जाने वाले किसी और जनजागरण के अभियान का सहभागी बनेंगे। दुग्धेश्वरनाथ मंदिर गाजियाबाद के महन्त महामण्डलेश्वर नारायण गिरि ने कहा कि गांव-गांव संत सामाजिक समरसता के मंत्र लेकर जाएंगे और हिन्दू एकता के लिए अभियान चलाएंगे।

पुराने तेवर में दिखे योगी

संत सभा को समापन सत्र को योगी आदित्यनाथ ने अपने पुराने उग्र भाषण वाले तेवर में संबोधित करते हुए साफ संकेत दे दिया कि अब आने वाले समय में हिन्दू हित के लिए कुछ भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में हिन्दू समाज की रक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों परंपराओं का संत वाहक बनें। एक हाथ में लोटा तो एक हाथ में सोटा लेकर चलेंगे। उन्होंने कहा कि शरीर तभी रोगों से लड़ सकता है, जब प्रतिरोधक क्षमता ठीक हो। हिन्दू समाज को भी स्वस्थ रहने के लिए अपनी प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखनी होगी। धर्मातरण और बिछड़े अपने बंधु-बांधवों की घर वापसी का मार्ग प्रशस्त करना होगा। हिन्दू समाज एकता के सूत्र में जिस दिन बंध जाएगा, सत्ता समाज की दासी हो जाएगी।

यह संत रहे मौजूद

जितेन्द्रनाथ महाराज, सुरेशानन्द महाराज, दिव्यानन्द महाराज, स्वामी चिन्मयानन्द महाराज, गर्भुस्वामी महाराज, स्वामी रामानुजचार्या ब्रह्मचारी महराज, राम नयनदास महाराज, पूज्य बाबा रामदास महाराज, स्वामी हरीहरचरण भारती, अतुल कृष्ण महाराज सहित कई अन्य संत उपस्थित रहे। समारोह को सफल बनने वालों में प्रमुख रूप से अशोक जालान, नवलकान्त शाह, अरूण कुमार अग्रवाल उर्फ लाला, अतुल सर्राफ, प्रमोद मातनहेलिया, सीताराम जायसवाल, जीएस राय, अमित सिंह, फतेह बहादुर सिंह, अतुल सिंह, अवधेश सिंह, महेन्द्रपाल सिंह, विपिन सिंह, वीरसिंह सोनकर, धर्मदेव चैहान, रामलखन, शिवमूर्ति, सुबेदार, अखिलेश, विद्युत राय, विजय कौशिक, रामचन्द्र पाण्डेय, मुकेश खांडेकर, बालमुकुन्द पाण्डेय, उपेन्द्र दत्त शुक्ला, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, सुनील सिंह, रामलक्ष्मण, अरूणेश शाही, जर्नादन तिवारी, ई। पीके मल्ल, डॉ। सत्येंद्र सिन्हा, डॉ। प्रदीप राव सहित कई अन्य लोगों ने सहयोग दिया।

इन बिंदुओं पर बनी सहमति

- समता-ममता-बंधुत्व आधारित कार्य का विस्तार करें

- गरीबों-असहायों के लिए चिकित्सा की निशुल्क व्यवस्था करें

- सभी पढ़े-सभी बढ़े का अभियान लें। शिक्षा को सेवा का माध्यम बनाएं। एकल विद्यालय, छोटे विद्यालय, कम खर्च के विद्यालय चलाए।

- साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक भजन, कीर्तन, पूजन और यज्ञ का आयोजन कर सभी समाज को एक साथ लाने का कार्य करें

- मठ-मन्दिर एवं धार्मिक-संस्थान अपनी सम्पत्ति का उपयोग सेवा कार्यो में करें

- अपने सभी सन्त-महात्मा के उत्सवों में सम्मिलित हों और संतों को जातियों में न बंटने दें।

- समाज के उपासकों के लिए छोटे-छोटे मन्दिरों-उपासना स्थलों का निर्माण कराएं

- सन्त- महात्मा स्वयं में समरसता एवं समानता का भाव रखें

- हमारे कार्य की दिशा संतोद्कि हो