पांच सालों में तीन गुना फीसदी बढ़े कुष्ठ रोगी

गांव-गांव में सपना फैलाएगी जागरूकता

Meerut। कुष्ठ रोगियों के प्रति भेदभाव और अंधविश्वास के चलते शहर में पिछले पांच सालों में तीन गुना फीसदी रोगी बढ़ गए हैं। स्थिति गंभीर है। कुष्ठ रोग से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन ने अनोखी पहल की है। योजना के तहत विभाग की ओर से अब शुभांकर बनाएं जाएंगे। शुभांकर का नाम सपना होगा। यह गांव-गांव जाकर ग्राम पंचायत व सरपंच को इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी देंगी, ताकी लोगों के बीच से अंधविश्वास हटाया जा सके। कार्यक्रम 30 जनवरी से 13 फरवरी तक चलाया जाएगा।

क्या है कुष्ठ रोग

कुष्ठरोग जिसे आमतौर पर हैन्सन्स रोग कहा जाता है।

यह धीमी गति से विकसित होने वाला जीवाणु माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण फैलता है।

इस रोग में त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है। गाठें या घाव हो जाते हैं।

यह है लक्षण

पैरों में गहरी दरारें आ जाती हैं जिसे फिशर फीट कहा जाता है।

जोड़ों में अचानक दर्द, बुखार।

त्वचा पर हाइपो पिगमेन्टेड घाव और गंभीर अल्सर।

आंखों की आइरिटिस, जिसमें ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती है।

बांझपन और किडनी फेल जैसी समस्या।

पलकों और भौहों के बाल पूरी तरह से उड़ जाते हैं।

मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।

हाथों और पैरों की तंत्रिकाएं स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।

व्यक्ति अपंग हो भी सकता है।

यह है स्थिति

वर्ष----- पॉलीबेसलरी लेप्रोसी - मल्टीबेसलरी लेप्रोसी - कुल

2013---23-----40----63

2014- 33------169----202

2015---32----188-----220

2016- 36---- 191-----227

2017- 25-----232-----257

वास्तव में यह रोग इतना संक्त्रामक नहीं है। यह रोग तभी फैलता है जब आप ऐसे मरीज के नाक और मुंह के तरल के बार-बार संपर्क में आएं।

डॉ। सुधीर अग्रवाल, जिला कुष्ठ रोग अधिकारी

कुष्ठ रोग से बचने के लिए ऐसे संक्रमित मरीज से बचना जरूरी है, जिन्होंने अपना इलाज न करवाया हो। शुरुआती दौर में इलाज संभव हैं। ।

डॉ। राजकुमार, सीएमओ