मैने कभी डांस नहीं सीखा
डांस एक आर्ट है और इसे सीखा नहीं जा सकता है। मुझे याद नहीं कि कब से मुझे ये आर्ट आती है। जब से मैंने होश संभाला है तब से डांस ओर मेरा नाता जुड़ गया। मेरी फैमिली की तो छोड़ दीजिए मेरी याद में पूरे खानदान में भी कोई आर्टिस्ट नहीं है। हालाकि ये मेरा पैशन नहीं था लेकिन मैं इस आर्ट को काफी पसंद करती हूं।

बच्चों का जीवन न चौपट करें
रिएलिटी शोज से लेकर डांस क्लासेज में बच्चों की पार्टिसिपेशन पर सरोज खान कहती हैं आज लोग डांसिंग को इंपॉर्टेंस देते हैं। हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि जबरदस्ती इस आर्ट को सीखने का प्रेशर बनाया जाए। मैं देखती हूं कि कुछ पैरेंट्स अपने फायदे के लिए बच्चों को जबरदस्ती डांस सिखाते हैं जो गलत है। फेम और पैसे का लालच पैरेंट्स को ये करने पर मजबूर करता है। जो सीखना चाहते हैं उन्हे सीखने दीजिए। जबरदस्ती मत करिए। इससे आर्ट पर लोग कमेंट करेंगे।

लोग मनी माइंडेड हो गए हैं
मैं पचास सालों से बॉलीवुड को जानती हूं। कास्टिंग काउच के आरोप जो बॉलीवुड पर लगते हैं वे गलत हैं। जब से मैं बॉलीवुड में आई
, मैंने इसे कभी नहीं देखा। ये अफवाह है। फिल्म इंडस्ट्री में एक अपनापन सा है। यहंा पर एक्टर से लेकर टेक्निशियन सभी बराबर होते हैं। हां न्यू जनरेशन की मैं गारंटी नहीं ले सकती। पहले के आर्टिस्ट कुछ और थे, अब के कुछ और। पहले और अब में बहुत परिवर्तन हो गया है। लोग मनी माइंडेड हो चुके हैं। अब तो पैसे से ही इंसान गिना जाता है। करेंट टाइम में बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपइया।

रिएलिटी शो गलत नहीं होते
रिएलिटी शो में कोई मामूली पार्टिसिपेंट नहीं पहुंचते। वे आम बच्चे नहीं होते। स्काई
, एक्रोबाइड आदि तरह के डांस भला ऐसे तो कोई नहीं कर सकता। रियलिटी शो के  लिए बच्चों को रेगुलर प्रैक्टिस और खेलने तक का मौका नहीं दिया जाता है, इस पर सरोज खान ने कहा कि अगर किसी का करियर ही ये हो तो। क्या लोग करियर के लिए ये सब नहीं करते हैं। जो भी हो रियलिटी शो गलत नहीं होते.

टेस्ट बदला है
आजकल जो सांग्स हैं उनमें वल्गैरिटी होती है। या ये कह लो कि पब्लिक का भी टेस्ट बदल चुका है। प्रोड्यूसर इस बात को समझता है। मूवी में ये न हो तो वो पीछे। हां
, मैंने कभी ट्रेंड के लिए बदली नहीं की। हिप-हॉप और सालसा में क्लासिकल मिक्सिंग के लिए फिल्म इंडस्ट्री ही जिम्मेदार है। इसके लिए इसे ही टर्न ओवर करना होगा। वैसे इंडियन फोक का जलवा फिर कायम होगा।

क्या करें यही डिमांड होती है
फिल्मों में एक्टिंग की बात पर उन्होंने कहा कि डांस मास्टर एक टीचर होता है। उसको शिष्यों को आगे लाने की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में उसे इसी पर ध्यान देना चाहिए। सरोज ने बताया कि माधुरी दीक्षित उनकी प्रिय स्टूडेंट रही हैं। विद्या बालन की बात पर उन्होंने कहा कि वे सुंदर हैं लेकिन माधुरी नहीं बन सकती। बकौल सरोज खान
, वे तो क्रिएटिव हैं लेकिन कई बार डायरेक्टर जैसा कहता है, वैसे ही कोरियोग्राफ करना पड़ता है। वेस्टर्न की भेड़चाल पर उन्होंने कहा कि ये सीखने वाले पर डिपेंड करता है। पैरेंट्स की यही डिमांड होती है। कम से कम उन्हें तो बच्चों को क्लासिकल सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
Report by, Anurag Shukla

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