रविवार को सऊदी अरब के बादशाह शाह अब्दुल्लाह ने इसकी घोषणा की.शाह अब्दुल्लाह ने कहा कि महिलाओं को देश के शूरा काउंसिल या सलाहकार समिति में भी नियुक्त किए जाने का अधिकार होगा.

सऊदी अरब में महिलाओं के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के लिए ये एक बड़ी ख़बर है.घोषणा के अनुसार ये बदलाव 2012 से लागू होंगे। और इसलिए ये बदलाव गुरूवार को होने वाले नगर पालिका चुनाव के बाद ही अमल में आएंगे। गुरूवार को होने वाले चुनावों में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार नहीं है.

शाह अब्दुल्लाह ने रविवार को नई गठित शूरा काउंसिल यानि सलाहकार समिति के उद्घाटन भाषण ने इसका एलान किया.

'ऐतिहासकि क़दम'

उनका कहना था, ''हमलोग शरिया क़ानून के दायरे में रहते हुए समाज के किसी भी क्षेत्र में महिलाओं के साथ कोई भेद-भाव नहीं करते हैं। इसीलिए वरिष्ठ धार्मिक गुरूओं से विचार विमर्श करने के बाद हमलोगों ने अगले साल से सलाहकार समिति में महिलाओं को भी सदस्य की हैसियत से शामिल किए जाने का फ़ैसला किया है.''

अब्दुल्लाह ने आगे कहा कि महिलाओं को नगर पालिका चुनावों में उम्मीद्वार की हैसियत से खड़े होने और वोट डालने का भी अधिकार होगा.

बीबीसी के वैश्विक मामलों के संवाददाता इमीलि बुकानन का कहना है कि ये ख़बर सऊदी अरब में महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक घटना है, जिन्हें अभी तक ना तो गाड़ी चलाने का अधिकार है और ना ही अकेले देश से बाहर जाने का अधिकार है.

बुकानन के अनुसार सऊदी अरब में महिलाओं के रोल के बारे में एक लंबे समय से गंभीर बहस जारी है और शायद सभी लोग इस घटनाक्रम का स्वागत नहीं करेंगे, लेकिन इतना ज़रूर है कि इस फ़ैसले से महिलाओं के रोल को लेकर जो तनाव बढ़ रहा है उसमें कुछ कमी आएगी.

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