ऐसी है जानकारी
डिप्टी रजिस्ट्रार प्रोफेसर अनूप सुरेंद्रनाथ के अनुसार कुछ ही घंटों के अंदर दो फैसलों का लिया जाना न्याय के अपने उद्देश्य से हटने का एक उदाहरण है। बता दें कि डिप्टी रजिस्ट्रार (अन्वेषण) सुरेंद्रनाथ की करीब एक वर्ष पहले कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति की गई थी। गौरतलब है कि सुरेंद्रनाथ दिल्ली स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के संकाय-सदस्य होने के साथ डेथ पेनाल्टी रिसर्च प्रोजेक्ट के डायरेक्टर भी हैं।

सु्प्रीम कोर्ट ने की पुष्टि
याकूब मेमन के डेथ वारंट (मृत्यु-अधिपत्र) पर रोक लगाने के लिए दायर दया याचिका के पैरोकार भी सुरेंद्रनाथ ही थे। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्रनाथ का इस्तीफा मिलने की भी पुष्टि कर दी है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये कहा गया है कि उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया है। अब वह फिलहाल कार्यमुक्त हैं।  उधर, कोर्ट का कहना है कि सुरेंद्रनाथ ने निजी कारणों के चलते इस्तीफा दिया है।

ये बताया कारण
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में करीब 20 डिप्टी रजिस्ट्रार हैं। इनमें से कुछ की नियुक्ति न्यायपालिका के बाहर से की जाती है। अपने इस्तीफे को लेकर उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट पर लिखा है कि अलग-अलग कारणों से वह इस्तीफा देने के बारे में पहले से ही सोच रहे थे। इसके इतर उन्होंने ये भी कहा कि इस सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में जो भी कुछ हुआ, वह पूरी तरह से निर्णायक रहा। इसके बाद उन्होंने कहा कि वह विश्वविद्यालय में मृत्युदंड पर अध्ययन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उनके इस्तीफा देने के पीछे उन्होंने सिर्फ एक यही निजी कारण को जिम्मेदार बताया।

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