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- 88 करोड़ की स्काडा योजना में 200 किमी। बिछाई गई एबीसी केबल

- 16 करोड़ की आईपीडीएस के तहत अभी 2 करोड़ की बिछाई गई है केबल

- 700 किमी। एबीसी लाइन बिछानी है आईपीडीएस के तहत

- 150 एमएम वाली केबल लगाई जानी थी

- 100 एमएम की केबल लगाए हैं जिम्मेदारों ने

GORAKHPUR: शहर में बिजली चोरी रोकने की करोड़ों की योजना भी चोरी से बची न रह सकी। कुल 104 करोड़ की दो योजनाओं में बिछाई गई एबीसी केबल इतनी घटिया है कि वोल्टेज बर्दास्त नहीं कर पा रही और गल जा रही है। 150 एमएम की जगह 100 एमएम की करीब 200 किमी। तक केबल बिछा दी गई और पेमेंट भी हो गया। इस संबंध में फीडबैक लेने के लिए लगाए गए एंप्लाइज ने भी गुणवत्ता में कमी की शिकायत की थी लेकिन उनकी शिकायत भी अनसुनी रही। हालत यह है कि मामले में जांच बिठाने की बजाय अब भी घटिया केबल बिछाए जाने का सिलसिला जारी है। फिलहाल अब तक करोड़ों रुपए का वारा-न्यारा किए जाने की चर्चा है।

यह है योजना

दो योजनाओं के तहत एबीसी लाइन बिछाई जा रही हैं। 88 करोड़ की स्काडा योजना के तहत पहले ही 200 किमी। तक एबीसी लाइन बिछाई जा चुकी है वहीं अब 16 करोड़ की आईपीडीएस इंटीग्रेटेड पॉवर सिस्टम डेवलपमेंट स्कीम के तहत 700 किमी। लाइन बिछानी है। इसमें 2 करोड़ की लाइन बिछा दी गई है और काम जारी है। जहां स्काडा योजना में केबल बिछाने के अलावा भी कुछ कार्य शामिल हैं वहीं आईपीडीएस पूरी तरह केबल बिछाने की योजना है।

इस तरह हुआ खेल

एबीसी केबल के सहारे घरों में बिजली सप्लाई दी जा रही है। इसके जरिए 220 से 440 वोल्ट तक की सप्लाई दी जाती है। जो केबल बिछाई जानी थी वह 150 एमएम तक की होनी चाहिए थी लेकिन जो केबल अभी बिछाई गई है वह 100 एमएम वाली ही हैं। इस कारण 220 वोल्ट से अधिक होने पर केबल गल जा रही है। घटिया क्वालिटी का केबल लगाने के बाद भी पेमेंट हो जाने के कारण इस बात की चर्चा है कि इस खेल में ठेकेदार से लेकर विभाग तक के जिम्मेदार शामिल हैं।

आ रही कंप्लेंट

डिविजन फ‌र्स्ट के चार एरिया में एबीसी केबल के कारण लो वोल्टेज की दिक्कत कंज्यूमर्स को झेलनी पड़ रही है। इन एरियाज के एसडीओ और जेई भी केबल को लेकर कंप्लेंट कर रहे हैं। राप्तीनगर एरिया के करीम नगर में जो केबल बिछाई गई है, उस पर भी अधिक लोड होने पर लो वोल्टेज की समस्या हो जा रही है। इसके बाद भी कहीं समस्या नहीं सुनी जा रही। इतना ही नहीं, स्काडा योजना के तहत एबीसी केबल लगाए जाने के दौरान फीडबैक लेने के लिए कर्मचारी भी लगाए गए थे जिन्होंने नौसड़ एरिया में एबीसी केबल के लाइन को घटिया क्वालिटी की रिपोर्ट भी लगाई थी। कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी से इस खेल में जिम्मेदारों के शामिल होने की बात चर्चा में है।

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यहां लोड बढ़ते ही गल गई केबल

1. तारामंडल के पानमती हॉस्पिटल के पास जून माह में एबीसी केबल बिछाई गई। 7 सितंबर को फॉल्ट हुआ। सही करने पर रात में जब लोड बढ़ा तो तीन जगह केबल गल गई। 500 से अधिक घरों में छह घंटे तक बिजली कटी रही।

2. अप्रैल में इसी तरह नॉर्मल एरिया में एबीसी केबल बिछाई गई। केबल बिछाने के एक माह बाद ही मई माह में अचानक लोड बढ़ा और रामलीला मैदान के पार केबल गल गई। केबल गलने पर आठ घंटे तक बिजली कटौती हुई थी।

3. रुस्तमपुर के आजाद चौक एरिया में भी अप्रैल माह में एबीसी केबल बिछाई गई। दो माह बाद जून माह में लोड बढ़ा और केबल गल गई। इससे 12 घंटे तक बिजली कटी रही।

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बॉक्स

चोरी रोकने की थी योजना

बिजली विभाग में लाइन लॉस कम करने के लिए शहर की घनी बस्तियों और जिन एरियाज में अधिक बिजली चोरी होती है, वहां एबीसी केबल बिछाई जा रही है। ऐसे मोहल्लों में नंगे तारों की जगह पर 440 वोल्ट का लोड ले सकने वाली केबल बिछाई जानी थी। पोल पर एक बॉक्स लगाया जाएगा, जिस बॉक्स से पास के सभी लोगों को कनेक्शन दिया जाएगा।

पहले ठीक थी केबल

इसके पहले 2013-14 और वित्तीय वर्ष 14-15 में भी 62 किमी एबीसी केबल बिछाई गई थी। इस योजना से सबसे अधिक लाभ विभाग को यह हुआ कि 2 प्रतिशत लाइन लास कम हुआ था। यह पूरी योजना 120 करोड़ रुपए की थी, लेकिन बिजनेस प्लान में केवल 25 करोड़ रुपए ही प्राप्त हुए, जिससे योजना बंद हो गई। लेकिन उस समय बिछाई गई केबल अच्छी थी।

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वर्जन

अभियंताओं की लापरवाही के कारण कई जगह पर घटिया क्वालिटी की केबल लगाने की शिकायत मिली है। इसमें पानमती हॉस्पिटल के पास इसी तरह का मामला सामने आया है। अन्य शिकायतों की भी जांच कराई जा रही है। जिन जगहों पर स्काडा के तहत घटिया क्वालिटी की केबल बिछाई गई है, वहां फिर से नई केबल बिछाने के निर्देश दिए गए है। इनका भुगतान भी रोका गया है।

- एके सिंह, एसई,

महानगर विद्युत वितरण निगम