- बीटीपीएस को निजी हाथों में देने का हो रहा है विरोध

- नौ साल बाद भी नहीं हुआ रिनोवेशन का काम

- फ्रेंचाइजी टारगेट पूरा नहीं कर रहे हैं

- बिहार में बिजली घोटाले पर डेटा इक्कट्ठा कर रहा है पेसा

PATNA : बिहार में बिजली के क्षेत्र में प्राइवेटाइजेशन अब एक बड़ा मुद्दा बन गया है। कारण इसमें काम समय पर पूरा नहीं हो रहा है। सिर्फ दावे ही किये जा रहे हैं। पॉवर इंजीनियर्स एसोसिएशन (पेसा) ने सरकार की नीति पर सवाल खड़ा किया है। इनका कहना है कि आखिर प्राइवेटाइजेशन से क्या हासिल हुआ है। पेसा के पैट्रन और स्पोक्सपर्सन बीएल यादव का कहना है कि बिहार के एकमात्र पॉवर जेनरेशन कंपनी बरौनी थर्मल पॉवर स्टेशन एनटीपीसी को देने की तैयारी का एसोसिएशन विरोध कर रहा है। ऐसी संभावना है कि इसे एनटीपीसी व अन्य कंपनी को बेचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि पाच हजार करोड़ से अधिक का घोटाला किया गया है। उन्होंने बताया कि बिहार भी इससे अछूता नहीं है।

घोटाले का होगा पर्दाफास

पॉवर इंजीनियर्स एसोसिएशन (पेसा) अगले कुछ दिनों में बिजली घोटाले से जुड़े आंकड़ों को उजागर करेगा। एसोसिएशन का कहना है कि वह इस संबंध में आर्थिक अपराध शाखा में भी एफआईआर दर्ज करेगा। पेसा के संरक्षक और स्पोक्सपर्सन बीएल यादव ने बताया कि 25 जनवरी को एसोसिएशन की मीटिंग में यह बात तय की गयी। अगली मीटिंग एक फरवरी को होगी।

प्राइवेटाइजेशन से टारगेट पूरा नहीं

पेसा इस बात को लेकर मोर्चा खोले हुए है कि यहां सरकार की नीति है कि प्राइवेटाइजेशन से ही बिजली की स्थिति में सुधार हो सकती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सबसे पहले बरौनी थर्मल पॉवर की ही बात करें तो पता चलता है कि इसके रेनोवेशन का काम नौ साल पहले होने की बात कही गयी थी। इसे डेढ़ साल में पूरा कर लेने का लक्ष्य था, लेकिन यह अब तक बस जी का जंजाल बना है। रेनोवेशन नहीं हो पाया है, जबकि इसके पिछड़ने के कारण यहां पॉवर जेनरेशन के लिए लोग तरस रहे हैं।

15 साल और करोड़ों का घोटाला

बिहार में जल्द ही बिजली के क्षेत्र में घोटाले का सही आंकड़ा सामने आ जाएगा। पेसा के पेट्रन और स्पोक्सपर्सन का कहना है कि देश भर में पांच लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, जबकि बिहार में पिछले 15 साल में कम से कम 25 से 30 हजार करोड़ का घाटा होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि बिहार में पॉवर सेक्टर में हुए घोटाले का आंकलन किया जा रहा है। फेडरेशन से एसेसमेंट का पूरा आंकलन हो रहा है। इस बारे में एक फरवरी को मीटिंग होगी। उन्होंने बताया कि बिजली के क्षेत्र में फ्रेंचाइजी से काम कराने का विरोध कर रहे हैं। अगर पटना में बिजली का प्राइवेटाइजेशन किया जाता है तो वे सड़कों पर उतरेंगे।

बिजली चोरी का काम होगा प्रभावित

हाल ही में इंजीनियर्स पर हुए हमले के बाद से बिजली इंजीनियरों में गुस्सा है। बीएल यादव ने कहा कि अब इंजीनियर्स एफआईआर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इंजीनियर्स के निलंबल पर आंदोलन का पूरा समर्थन करता है। जब तक सरकार की दोहरी नीति बंद नहीं होती है विरोध जारी रहेगा।

प्राइवेटाइजेशन से लाभ नहीं

बिजली क्षेत्र में प्राइवेटाइजेशन से किसी का भला नहीं होगा। उन्होंने बताया कि यह तो अजीब बात है कि बिजली उत्पादन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तो पेसू का है लेकिन इसका लाभ फ्रेंचाइजी कंपनियां ले रही हैं। लेकिन दिये गये लक्ष्य को पूरा नहीं कर रही हैं। गौरतलब है कि आरएपीडीआरपी की योजना में अभी तक आधे से अधिक काम बाकी हैं।

बिजली हो रही है महंगी

बिजली विभाग के सूत्रों के मुताबिक कांटी और बाढ़ में एनटीपीसी काम कर रही है। वह महंगी बिजली दे रही है। दूसरी ओर इस पर सेंट्रल एजेंसी से काम होने के कारण बिहार को उत्पादन का पूरा हिस्सा नहीं मिल पाता है। जहां पेसू की बिजली और एनटीपीसी की बिजली दरों में काफी अंतर है। एनटीपीसी के रेट भी सेंट्रल ट्रीब्यूनल से तय होता है। यह प्रति यूनिट छह रुपये से अधिक है। इसके बावजूद बिहार का एकमात्र पॉवर जेनरेशन कंपनी का प्राइवेटाइजेशन कहीं से सही नहीं कहा जा सकता है।

Highlights

- फ्रेंचाइजी के खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा।

- बिजली के प्राइवेटाइजेशन के बावजूद हुए नुकसानों को उजागर करना।

- मीटिंग में बरौनी थर्मल पॉवर को प्राइवेट हाथों में बेचने का हो रहा है विरोध।

- जूनियर इंजीनियर्स के निलंबन पर आंदोलन का समर्थन करेगा।