- शारीरिक परीक्षा की वीडियो रिकॉडिंग ने खोला राज

- वीडियो रिकॉर्डिग में चहेते अभ्यार्थियों की मदद करते दिखे अधिकारी

DEHRADUN दरोगा भर्ती में शारीरिक परीक्षा के दौरान पुलिस अधिकारियों ने अयोग्य अभ्यार्थियों की जमकर मदद की। इस बात का खुलासा सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई भर्ती की वीडियोग्राफी में हुआ है। जिसमें शारीरिक परीक्षा में अयोग्य अभ्यार्थियों को सफल करवाने के लिए पुलिस अधिकारी उनकी मदद करते हुए दिखाई दे रहे हैं। मामले में महकमे के आला अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

कैमरे की नजर में हुई परीक्षा

वर्ष ख्000 में असतित्व में आए उत्तराखंड में ख्00ख् में उपनिरीक्षक की सीधी भर्ती हुई थी। जिसमें घोटाला सामने आने पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। जांच में साफ हुआ कि पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से असफल अभ्यार्थियों को सफल घोषित किया गया। बाद में सभी घोषित अभ्यार्थियों को एक साल बाद बर्खास्त कर दिया गया। इस मामले से पुलिस की खूब किरकिरी हुई। जिसके बाद वर्ष ख्008 में हुई दरोगा भर्ती में खासी पारदर्शिता बरतने की बात कही गई, लेकिन इसमें में भी अधिकारियों ने जमकर घपला किया। यही कारण था कि इस बार हुई भर्ती को कैमरे की नजर में करवाने का निर्णय लिया गया। ताकि परीक्षा में किसी तरह का फर्जीवाड़ा न हो सके।

अयोग्य लोगों की मदद की

ख्008 में हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में असफल एक अभ्यार्थी को सूचना अधिकार अधिनियम के तहत शाररिक परीक्षा की जो रिकॉर्डिग के अनुसार पुलिस अभ्यार्थियों की मदद करते हुए दिखाई दे रहे हैं। साफ है कि भर्ती परीक्षा में जमकर घोटाला हुआ है। अधिकारियों ने अपने परिचितों को शारीरिक परीक्षा में सफल करवाने के लिए जमकर मदद की। उन्होंने मामले में महकमे के अलाअधिकारियों की भूमिका होने की बात भी कही। आशंका जताई कि इसमें पैसों का भी खूब लेन देन हुआ होगा।

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बाक्स:::::

ऐसे की मदद:::

दरोगा भर्ती परीक्षा में शारीरिक परीक्षा के दौरान अधिकारी अपने चेहतों को क्रिकेट बॉल थ्रो, लॉग जंप, चिनिंगअप सहित अन्य स्टेप में मदद किया है। पुसअप में अभ्यार्थी को पीछे से पकड़कर सहायता की गई है।

चहेतों के लिए अलग से हुई परीक्षा:::

प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान पूर्व दर्जाधारी मंत्री रविंद्र जुगरान ने बताया कि शारीरिक परीक्षा की तिथि समाप्त होने के बाद भी बिना किसी सूचना या संसोधित विज्ञप्ति के गुपचुप तरीके से अपने चेहतों अभ्यार्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए अंतिम तिथि ख्9 नवंबर ख्0क्ब् के बाद 8 दिसंबर ख्0क्ख् को परीक्षा कराई गई। आरोप लगाया कि ऐसे में साफ है कि घोटाले में सभी लोग मिले हुए हैं। उन्होंने बताया कि डीजीपी बीएस सिद्धू पर भ्रष्टाचार, जालसाजी के मामले चल रहे हैं। ऐसे में परीक्षा के पारदर्शी होने की उम्मीद करना बेकार है।