-स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन से बिना ऑर्डर और बिना डिमांड क्रेडिट पर खरीद ली गयी थी दाल

-डिप्टी डायरेक्टर व्यापार की भूमिका पर संदेह

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LUCKNOW: उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण निगम में दाल घोटाला सामने आया है। खाद्य आयुक्त ने मामले की जांच के आदेश निगम के अधिशासी निदेशक को सौंपी है। मामला ब्7 करोड़ रुपये की दाल की खरीद का है। जिससे स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ने यूपी राज्य कर्मचारी कल्याण निगम को बिना किसी आदेश और बिना किसी डिमांड के दी थी।

ब्7 करोड़ की वित्तीय क्षति

कमिश्नर खाद्य एवं रसद की ओर से उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर को लेटर लिख कर बताया गया कि बिना किसी ऑर्डर के स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन से ब्7 करोड़ 7भ् लाख 80 हजार ख्0भ् रुपये की दाल खरीद ली गयी। यह कार्पोरेशन सेंट्रल गवर्नमेंट के अंडर में आता है। इसके पेमेंट के लिए डिप्टी डायरेक्टर लेविल से पेमेंट का प्रेशर बनाया जाने लगा। ऊपर बैठे अधिकारियों को दाल में काला नजर आया तो पेमेंट से पहले इंक्वायरी शुरू हो गयी। इस दौरान यूपी राज्य कर्मचारी कल्याण निगम से पेमेंट ना मिलने पर एसटीसी लिमिटेड ने दूसरे मदों के पैसों को रोकना शुरू कर दिया। इसके बाद जांच शुरू हुई और कागजों में गड़बड़ी के कारण स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन को ब्7 करोड़ 7भ् लाख 80 हजार रुपये के नुकसान का पता चला।

किसके ऑर्डर से खरीदी गयी दाल?

लेटर में कमिश्नर खाद्य एवं रसद ने चार बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है। जिसमें पहला है कि यह फाइनेंशियल लॉस किन-किन वस्तुओं पर हुआ है? दूसरा प्वाइंट है कि उक्त वस्तुएं (लेमन, तुअर-अरहर और पीली मटर) किसके आदेश पर खरीदी गयी? तीसरे प्वाइंट पर डिमांड के बारे में जानकारी मांगी गयी है कि किसकी डिमांड पर यह वस्तुएं आयात की गयीं। आखिरी प्वाइंट में खाद्य आयुक्त ऑफिस के रोल के बारे में जानकारी मांगी गयी है। भारत सरकार का उपक्रम स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड की नोडल एजेंसी यूपी राज्य कर्मचारी निगम लिमिटेड है। नोडल अधिकारी के तौर पर डिप्टी डायरेक्टर ट्रेड एमओयू पर साइन करते हैं। सोर्सेज की मानें तो पेमेंट के लिए डिप्टी डायरेक्टर ट्रेड नाम प्रकाश श्रीवास्तव बिल का पेमेंट करने के लिए कई बार ऊपर के अधिकारियों को लिखा था। इस बारे में जब यूपी स्टेट कर्मचारी कल्याण निगम के डायरेक्टर राम विशाल मिश्रा से बात की गयी तो उनका कहना था कि मैंने अभी ख्ख् अगस्त को चार्ज लिया है। अभी मेरे पास कोई जानकारी नहीं है। मैं फाइलों को देखूंगा फिर कोई कमेंट करूंगा।

कौन है राम प्रकाश श्रीवास्तव

राम प्रकश श्रीवास्तव क्988 में अपट्रॉन इंडिया लिमिटेड से निगम में प्रभारी अधिकारी की पोस्ट पर तैनात हुए थे। इनके खिलाफ ख्00ख् में एक कंपनी को एक ही बिल का दो बार पेमेंट का दोषी पाया गया था और उनके खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिये गये थे। लेकिन ना तो एफआईआर हुई और ना ही कोई कार्रवाई। नाम प्रकाश को इस दौरान निगम में प्रमोशन भी मिलता रहा।

कैंटीन में घोटाले का था मामला

नाम प्रकाश पर आरोप है कि विधान भवन स्थित कैंटीन में एक -एक बिल पर डबल पेमेंट किया गया। ऑडिट के दौरान लगभग भ्9 लाख भ्ख् हजार फ्ख्फ् रुपये की हेराफेरी सामने आयी थी। ऑडिट में हेराफेरी पाये जाने पर उप निदेशक नाम प्रकाश और स्टोर इंचार्ज के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के वित्त एवं लेखाधिकारी पीसी चौधरी ने ख्फ् जुलाई ख्00ख् को एफआईआर दर्ज कराने के लिए हजरतगंज इंस्पेक्टर को तहरीर दी।