फीस वृद्धि से एक तरफ जहां पैरेंट्स परेशान
प्राइवेट स्कूलों में मनमानी लगातार हो रही फीस वृद्धि से एक तरफ जहां पैरेंट्स परेशान हैं, तो दूसरी तरफ सरकार लाचार। क्योंकि राज्य के पास फीस वृद्धि पर नियंत्रण के लिए अन्य राज्यों की तरह कोई कानून ही नहीं है। प्राइवेट स्कूलों द्वारा इस स्थिति का जमकर फायदा उठाया जा रहा है।

 

क्या है अन्य प्रदेशों में फीस वृद्धि कंट्रोल कानून

आंध्र प्रदेश: 2009 में एक्ट पारित किया गया। इसके तहत नामांकन फॉर्म की कीमत 100 रुपए और रजिस्ट्रेशन फीस 500 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। स्टूडेंट्स की ट्यूशन फीस शिक्षकों की सैलरी के आधार पर तय होगी।

तमिलनाडु: 2009 में फीस एक्ट पास किया गया। इसके तहत हाइकोर्ट के पूर्व जज के नेतृत्व में बनी कमिटी प्रति वर्ष फीस वृद्धि तय करती है। नियम पालन नहीं करने पर तीन से सात साल तक जेल का प्रावधान है।

महाराष्ट्र: 2011 में फीस वृद्धि के लिए नियम के उल्लंघन पर अधिकतम 10 लाख जुर्माना और प्रिंसिपल को हटाने का प्रावधान है।

उत्तर प्रदेश: यूपी स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का निर्धारण,अध्यादेश-2018)को हाल ही में राज्यपाल की मंजूरी मिली है, जिसमें यह प्रावधान है कि निजी स्कूल अब न तो मनमानी फीस वसूल सकेंगे और न ही पांच साल से पहले यूनिफॉर्म बदल सकेंगे। इसके दायरे में 20 हजार रुपए से अधिक सालाना फीस लेने वाले सभी स्कूल आएंगे। अध्यादेश के अनुसार, निजी स्कूल वार्षिक फीस में 5 फीसदी से अधिक वृद्धि नहीं कर सकेंगे। अन्य मदों को भी मिला दें तो अधिकतम वृद्धि 7.8 फीसदी ही कर सकेंगे। फीस स्ट्रक्चर अनिवार्य रूप से वेबसाइट पर शो करना होगा। मनमानी करने वाले स्कूल प्रबंधन पर पहली बार एक लाख रुपए, दूसरी बार 5 लाख रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। तीसरी बार में स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

गुजरात: 2017 में बने फीस रेग्यूलेशन एक्ट के उल्लंघन पर पांच से 10 लाख तक जुर्माना है। 15 दिनों में जुर्माना नहीं भरा तो एक प्रतिशत जुर्माना बढ़ेगा। मान्यता रद्द करने का भी प्रावधान है।

मध्य प्रदेश: 10 प्रतिशत से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकते। साथ ही नियम तोड़ने पर दो से चार लाख तक का जुर्माना है। वहीं, मान्यता रद्द करने का भी प्रावधान है।

 

 

निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लग सकेगी
हमने पिछले विस सत्र में ही स्कूल फीस वृद्धि कंट्रोल को लेकर कानून पास कराने की कोशिश की थी, लेकिन समय की कमी के कारण नहीं हो सका। फिलहाल यह ऑडिनेंस प्रवर समिति के पास है। उम्मीद है कि अगले सत्र में यह बिल पास हो जाएगा। उसके बाद कानून का रूप ले लेगा। कानून बनने के बाद निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लग सकेगी।
-डॉ नीरा यादव, शिक्षा मंत्री, झारखंड सरकार

फीस वृद्धि का मामला प्रवर समिति के पास
फीस वृद्धि का मामला प्रवर समिति के पास है, जिसमें कई बिन्दुओं पर अध्ययन भी हो चुका है। चूंकि यह सदन के अधीनस्थ मामला है, इसलिए जो भी निर्णय लेना है, विधानसभा को लेना है।
-एपी सिंह, अपर मुख्य सचिव, स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार