RANCHI : जेवीएम श्यामली की खटारा बसें स्टूडेंट्स को खलासी बनने पर मजबूर कर रही है। गुरूवार को स्कूल की एक बस किशोरगंज चौक के पास अचानक खराब हो गई। इसके बाद बच्चे जो बस में बैठे थे नीचे उतरे और खलासी की भूमिका निभाते हुए बस को धक्का लगाया। इस बाबत पूछे जाने पर स्कूल के प्रिंसिपल एके सिंह ने बताया कि श्यामली की बस तो है, लेकिन ट्रांसपोर्टर दूसरे स्कूलों में भी बस चलाते हैं, इसलिए दूसरे स्कूल की यह बस होगी। हालांकि, बस को धक्का देने वाले बच्चे जेवीएम श्यामली का यूनिफार्म पहने हुए थे।

नहीं रहती हैं सुविधाएं

खास बात है कि ये स्कूल अभिभावकों से स्कूल और बस फीस के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं, लेकिन बसों में जरुरी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं होती हैं। खटारा बसों से स्कूल आने-जाने को बच्चे मजबूर होते हैं। परिवहन विभाग द्वारा बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद स्कूलों द्वारा जर्जर और खटारा बसों का परिचालन किया जा रहा है। स्कूल सुप्रीम कोर्ट और झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के निर्देशों को ताक पर रखकर बच्चों को ढो रहे हैं। इससे बच्चों की जान खतरे में है।

खटारा बसों में ढोए जाते हैें बच्चे

बच्चों को घरों से स्कूल तक लाने के लिए तकरीबन हर स्कूल वाहनों की व्यवस्था करता है। लेकिन, ये वाहन मानक के अनुरूप नहीं होते। कहीं खटारा बसें होती हैं तो कहीं क्षमता से अधिक बच्चों को बिठाया जाता है। टायर फटे हों या ब्रेक कमजोर हों इसकी भी कोई परवाह नहीं करते प्राइवेट स्कूल। ऐसे में हमेशा हादसे की आशंका भी बनी रहती है।

फिटनेस में फेल हैं स्कूली बसें

रांची के कई पुराने और नामी-गिरामी स्कूलों के बच्चों को भी खटारा वाहनों में भेजा जाता है। बच्चे क्षमता से अधिक बैठे रहते हैं। यहां तक कि ड्राइवर भी अपनी सीट के अगल-बगल में भी बच्चों को बिठा कर ले जाते हें। हालांकि नियम यह है कि स्कूली वाहन हर तरह से फि ट होने चाहिए। उनके टायर दुरुस्त होने चाहिए। ब्रेक सही होने चाहिए। प्रदूषण मानक के अनुसार वाहन चलने चाहिए। इतना ही नहीं वाहनों की गति सीमा भी कम होनी चाहिए। लेकिन शहर के अधिकतर स्कूलों के वाहन चालक इन मानकों का सही ढंग से पालन नहीं कर रहे हैं।

मानकों को नहीं कर रहे फॉलो

- कई कंडक्टरों के पास लाइसेंस नहीं

-ज्यादातर बसों में फ ायर फाइटर सिस्टम नहीं

-बसों पर रीफ्लैक्टर पट्टी नहीं रहती

- बस में ओवर हेड कैरियर

- सीट नीचे बैग रखने की जगह नहीं

-खिड़कियों में जाली नहीं

-15 साल पुरानी बसों का परिचालन

- कई बस का फि टनेस नहीं, बॉडी जर्जर

- रिसोल टायर लगाकर बसों का परिचालन