- पेशावर की काली घटना पर राजधानी पटना के बच्चों ने मनाया शोक

- स्कूलों में बच्चों ने रखा मौन, कैंडिल जलाकर दी श्रद्धांजलि

PATNA: पाकिस्तान के पेशावर में मासूम बच्चों को एक साथ मौत के घाट उतारे जाने के खौफनाक मंजर का दर्द पटना में लोगों की आंखों में आंसू बनकर टपका। बच्चे अवाक दिखे। राजकीय बालिका उच्च विद्यालय में छात्राओं का गुस्सा देखने लायक था। बातों को रखने में शब्द कम पड़ जा रहे थे। दो मिनट मौन सिर्फ मौन भर नहीं रह गया। इस मौन में गुस्सा, व्यवस्था का नकारापन और बेबसी सब कुछ समा गया मानो। बच्चे तो बच्चे हैं, उन्होंने क्या बिगाड़ा था आतंकियों का? सब ने यही कहा। मन में ये सवाल भी कि पटना का कोई स्कूल कितना सुरक्षित है?

हजारों बार आतंकियों को कोसा

दोपहर के समय जैसे ही राजकीय बालिका उच्च विद्यालय की छात्राओं से कहा गया कि क्लास या एग्जाम के बाद फील्ड में सबको जमा होना है शोक सभा होगी, पाकिस्तान में हुई आतंकी हमला में मारे गए बच्चों के लिए तो सभी लाइन में खड़ी हो गईं। सामने की ओर सभी शिक्षक शिक्षिकाएं और अन्य कर्मी। कुछ ही देर बाद सबों की आंखें झुक गईं। हर किसी के मन ने दो मिनट में हजारों शब्दों से आतंकियों को कोसा। शाम के वक्त पटना के इनकम टैक्स चौराहा पर कैंडिल मार्च का आयोजन हुआ। मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि दी गई। छात्र अभिभावक संघर्ष समिति की ओर से इस मार्च का आयोजन हुआ, जिसमें स्कूलों बच्चों ने इनकम टैक्स चौराहे से डाकबंगला चौराहा तक कैंडिल मार्च किया।

पुलिस कहीं नजर नहीं आती

पटना के मैक्सिमम स्कूलों का हाल यह दिखा कि स्कूलों के रास्ते का इंक्रोचमेंट कर लिया गया है। मध्य विद्यालय धीराचक अनीसाबाद में मध्य विद्यालय के मेन गेट के बाई साइड को ही लोकल लोगों ने डस्टबिन बना दिया है। स्कूल जाने के रास्ते का भी अतिक्रमण कर लिया गया है। यहां पुलिस की तैनाती भी होती है, लेकिन शाम के बाद ही चौराहे पर पुलिस नजर आती है, जबकि स्कूल के आसपास असामाजिक तत्वों का जमावड़ा पूरे दिन लगा रहता है। हाई स्कूल महेशा की स्थिति तो इससे भी बुरी है। फुलवारी की तरफ जाने के क्रम में यह स्कूल मिलता है। स्कूल अपने आसपास के लोगों से ही परेशान है। स्कूल के गेट के पास ही परचून की दुकान भी है और दिनभर स्कूल के मेन गेट के पास असामाजिक तत्व जुआ खेलते रहते हैं। इसकी लिखित शिकायत कई बार स्कूल प्रशासन ने स्थानीय थाने को भी दी है। कुछ यही स्थिति मध्य विद्यालय हरनीचक, ब्रह्मापुर आदि का भी है।

यहां कोई देखने वाला नहीं

अनिसाबाद के लाल मंदिर के पास स्थित है राइजिंग सन हाई स्कूल। यहां नर्सरी से लेकर दसवीं तक की पढ़ाई होती है। यहां की स्थिति तो और दयनीय है। स्कूल के पास ही सिगरेट, गुटखा सहित तमाम प्रतिबंधित चीजें मिलती है। वहीं, यहां भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है और न ही सीसीटीवी कैमरा तक लगाया गया है। शेखपुरा मोड़ के पास है सेंट्रल स्कूल। यहां पुलिस नजर तो आती है, लेकिन तमाम पुलिस पूरे ड्यूटी ऑवर में ट्रैफिक कंट्रोल करने में ही समय बिता देती है। स्कूल खुलने और बंद होने के समय यहां काफी भीड़ हो जाती है।

एंट्री प्वाइंट पर सीसीटीवी नहीं

कृष्णा नगर स्थित सेंट पॉल एकेडमी में स्टूडेंट्स की सिक्योरिटी के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है। कैंपस में एंट्री प्वाइंट पर कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है। सेंट जोसफ कॉन्वेंट हाई स्कूल, बांकीपुर में स्कूल गेट के मेन गेट पर सीसीटीवी कैमरा आने-जाने वालों पर नजर रखने के लिए लगाया गया है। गेट पर सिक्योरिटी चेक करने के लिए दो गार्ड की तैनाती की गई है। स्कूल में बिना स्टूडेंट्स व टीचर्स के अलावा किसी अन्य की इंट्री से पहले काफी जांच-पड़ताल कर की जाती है।

ऐसे में क्यूं हो बुरा!

संत कैरेंस स्कूल रुकनपुरा में गेट पर दरबान दिखा। यहां सीसीटीवी कैमरा भी लगा है, लेकिन वैसी चाक चौबंद व्यवस्था नहीं दिखती जिससे बहुत बेहतर माना जा सके। बांकीपुर राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में कई सुरक्षा गार्ड रिटायर कर चुके हैं। एक गार्ड है और बाकी अन्य कर्मियों गार्ड की जगह रखना पड़ता है। सीसीटीवी बाकी सरकारी स्कूलों की तरह यहां भी नहीं है। डीएवी, बीएसईबी कॉलोनी में गेट पर गार्ड दिखा। गार्ड बिना पूछे किसी को अंदर नहीं जाने दे रहा था। कैंपस के अंदर भी गार्ड तैनात दिखे। सेंट जेवियर हाई स्कूल में गार्ड गेट को हमेशा बंद रखे दिखा। किसी बाहरी के आने जाने पर रोक थी। कैंपस में सीसीटीवी कैमरे भी लगे दिखे।