छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : क्या आप इस बात को लेकर अवेयर हैं कि आपके बच्चे जिस ऑटो या वैन से स्कूल आ जा रहे है, वह आपके बच्चे के लिए पूरी तरह सेफ है? क्या आपने कभी नोटिस क्या हैं कि आपके बच्चे की जान किस प्रकार स्कूल्स आते-जाते वक्त जोखिम में रहती है? स्कूल्स वैन और ऑटो ड्राइवर्स आपके लाडले को कैसे ठूस-ठूस कर ले जाते हैं? कि सी दिन आपको इसक ा खामियाजा भुगतना पड़ सक ता है।

प्रॉपर ट्रैफिक अरेंजमेंट नहीं

ओवरलोड होने के कारण वैन ड्राइवर सही ढंग से ड्राइव नहीं क र पाता और एक्सीडेंट की घटनाएं हो जाती हैं। जहां तक ट्रैफि क की बात है तो कुछेक स्कूल्स को छोड़क र छुट्टी के वक्त ट्रैफि क व्यवस्था पर भी नजर नहीं रखी जाती हैं। किसी स्कूल के पास शायद ही ट्रैफिक पुलिस का कोई जवान दिखायी पड़ता है।

रूल्स को दिखा रहें ठेंगा

सिटी के 60 प्राइवेट स्कूल्स के लगभग 80 हजार स्टूडेंट्स की सेफ्टी ताक पर है। इनमें से 65 हजार बच्चे ऑटो और वैन के भरोसे ही निर्भर है। इन स्कूली वाहनों में सुरक्षा नियम ताक पर है। ओवर लोडिंग के कारण बच्चों की जान जोखिम में होती है। स्कूल वैन व ऑटो में बच्चों की सिक्योरिटी को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं, लेकिन इसक ा कोई हल नहीं निक ल सकता है। स्कूली वैन ऑटो के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भी जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कारवाई नहीं की जाती है।

अनफिट वाहनों में भी ढोये जा रहे बच्चे

सिटी में कई ऐसे स्कूल्स वैन व ऑटो दौड़ रहे हैं, जिनक ा न तो कोई क ॉमर्शियल सर्टिफि केट है और न ही फिटनेस सर्टिफि केट। इसके अलावा बच्चों को कंडम गाडि़यों में भी ढोया जा रहा है। इतना ही नहीं, स्कूल वैन और ऑटो में सिटिंग कै पिसिटी ओनर बुक में दी गई है। इसे एज ग्रुप के हिसाब से डिफाइन भी किया गया हैं इसके बाद भी ड्राइवर्स व ऑटो-वैन ओनर्स द्वारा रुल्स फोलो नहीं किया जा रहा है। ट्रैफि क डीएसपी विवेकानंद ठाकुर क हते हैं कि सिटी में मैक्सिमम स्कूल वैन अन-ऑथराइज्ड हैं।

ये हैं स्कूल वाहन चलाने के प्रमुख नियम

- स्कूल्स वैन, ऑटो व बस के सामने और पीछे स्कूल बस लिखा हो

- किराए के गाड़ी पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए

- निर्धारित क्षमता से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठाए जाएं

- वाहन में फास्ट एड बॉक्स होना अति आवश्यक

- स्कूल बस की खिड़कियों में हॉरिजंटल ग्रिल लगी हो

- फेयर सेफ्टी यंत्र की उपयुक्त व्यवस्था हो

- बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर लिखा हो

- ड्राइवर को मिनिमम पांच साल का भारी वाहन चलाने का अनुभव हो

- ड्राइवर के अतिरिक्त गाड़ी में एक अन्य व्यक्ति रहे मौजूद

- बस का दरवाजा अच्छी तरह से बंद होना आवश्यक है

- बच्चों के स्कूल बैग सुरक्षित रखने की व्यवस्था हो

- बस में स्कूल का कोई प्रतिनिधि या फिर टीचर होना चाहिए

- स्कूल बस का रंग गोल्डेन येलो या ब्लू लाइनिंग में होना चाहिए

- बस की सीटें आरामदायक हों, पावदान की उचित व्यवस्था

- वाहन में आपदा की स्थिति में दो अलग से गेट की व्यवस्था हो

अब तक हो चुकी है कई घटनाएं

-27 फरवरी, 2017

जुगसलाई पिगमेंट गेट के पास ओवरटेक करने की होड में दो ऑटो में टक्कर। एक स्टूडेंट घायल।

-22 सितंबर 2016

सिदगोड़ा में वैन से टकराई बाइक, 6 घायल

-22 सितंबर 2016

जुगसलाई फाटक के समीप वैन की ब्रेक लगाते ही सड़क पर गिर पड़े दो बच्चे

-16 सितंबर 2016

टेल्को में स्कूली वैन पलटा, 7 बच्चे घायल।

-16 सितंबर 2016

टेल्को में स्कूली वैन पलटा, 7 बच्चे घायल।

-10 जुलाई 2015

टेल्को मस्जिद के पास स्कूली वैन गिरने से दो बच्चे घायल