- शहर में बे-रोक टोक दौड़ रहे स्कूली डग्गामार वाहन

- कुंभकर्णी नींद में आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस

Meerut। एटा में गुरुवार को स्कूल बस के साथ हुए हादसे में 12 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। वहीं घटना के साथ ही पूरे सिस्टम की पोल भी खुल गई। यह दुर्घटना जरूर एटा की हो सकती है, लेकिन सिस्टम की उदासीनता का यही हाल मेरठ की भी नियती बन गया है।

बस हो चुकी हैं पुरानी

हाईकोर्ट के आदेश और शासन की सख्ती के बाद भी डग्गामार वाहनों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। यही कारण है कि बच्चों को मानकों से दोगुनी संख्या में बसों में बैठाया जा रहा है। इससे भी चिंताजनक ये है कि सुप्रीम कोर्ट व परिवहन आयुक्त की सख्ती के बाद भी स्कूल वाहनों को गैस से चलाया जा रहा है।

परिवहन आयुक्त ने भेजी थी लिस्ट

स्कूली वाहनों में मानकों की अनदेखी पर परिवहन आयुक्त ने खास दिशा निर्देश जारी किए थे, जिसमें सीट के अनुपात से जयादा वाहनों में बच्चों को बैठाने पर पाबंदी, स्कूल वाहन गैस संचालन पर रोक जैसे दर्जनों नियमों की लिस्ट तैयार कर सभी जिलों के आरटीओ को भेजी थी, लेकिन यहां नियमों की खुलकर अनदेखी हो रही है।

औपचारिकता बना अभियान

शुक्रवार को स्कूली वैन और बसों के खिलाफ आरटीओ प्रवर्तन दस्ते ने शहर में अभियान चलाया। इस दौरान एआरटीओ प्रवर्तन दीपक शाह के नेतृत्व में विभाग की चार टीमों ने रोड पर स्कूली वाहनों की चेकिंग की। चेकिंग के दौरान कुल 29 वाहनों का चालान किया गया, जबकि छह वाहनों को सीज किया गया।

चालान के बाद छोडे़ वाहन

स्कूली वाहनों के खिलाफ चलाया गया अभियान महज औपचारिकता साबित हुआ। इस दौरान टीम ने जिन 29 वाहनों का चालान किया। इनमें से अधिकांश की फिटनेस एक्सपायर हो चुकी थी, जबकि कुछ के पास कमर्शियल लाइसेंस भी नहीं थे। ऐसे में विभाग ने केवल छह बसों को सीज कर शेष को फिर से सड़क पर दौड़ने के लिए छोड़ दिया।

डीएल का शॉर्टकट

आरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए 120 रुपए के फार्म के बाद आईडी प्रूफ जमा करने के अलावा टेस्ट तक से गुजरना होता है, लेकिन वहां बैठे दलालों ने डीएल निर्माण का भी शॉर्टकट बना दिया है। ये दलाल आरआई से मिलकर अपने ग्राहकों को टेस्ट में बैठा देते हैं, जिसके बाद वहां का स्टॉफ उनको प्रश्नावली के सभी उत्तर नोट करा देता है।

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जाली डीएल भी चलन में

यही नहीं आरटीओ के दलाल आवेदकों से 800 से 1000 रुपए वसूल उनको फेक डीएल बनाकर देता है। बिल्कुल ऑरिजनल की तरह दिखने वाले इस यह फेक लाइसेंस के आधार पर चालक बिना यातायात के नियमों की जानकारी के वाहनों को सड़कों पर दौड़ाते रहते हैं, जो अक्सर हादसों का सबब बनते हैं।

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फिटनेस में भी खेल

मैनुअल फिटनेस की शर्तो के आधार फिटनेस के लिए वाहन को आरटीओ कार्यालय ले जाना होता है। यहां आरआई न केवल उक्त वाहन की स्थिति का निरीक्षण करता है, बल्कि वाहन के नीचे घुसकर उसके इंजन और पार्ट्स की भी चेकिंग करते हैं। जबकि जनरल प्रैक्टिस में आरआई बिना वाहन को देखे ही केवल रशीद काट कर वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर देता है।