- शिक्षकों के मूल्यांकन काम में लगे शिक्षकों के चलते दिक्कत

- नए सत्र संचालन में शासनादेश का पालन करना बना मजबूरी

FATEHPUR: शिक्षकों की मूल्यांकन कार्य में डयूटी की अनिवार्यता ने नए सत्र की प्रवेश प्रक्रिया को झटका दिया है। शासन की मंशा पर खरा उतरने के लिए विभाग ने विकल्प तलाशा है। डीआईओएस ने इसकी जिम्मेदारी विद्यालय खोलने वाले बाबुओं को सौंपी है। बाबू प्रवेश फार्म बाटेंगे।

शासन ने इस दफा नया सत्र अप्रैल माह से शुरू किए जाने के निर्देश दिए हैं। सत्र को शुरू कराने के लिए गृह परीक्षाएं आपाधापी में बीती। अभी तक परीक्षाफल नहीं वितरित किए गए हैं। लेकिन प्रवेश प्रक्रिया पहली अप्रैल से होने के कड़े निर्देश हैं। माध्यमिक स्कूलों में एक अप्रैल से प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने का दावा किया जा रहा है। सवाल उठता है कि जब कोई शिक्षक ही नहीं रहेगा तो फिर प्रवेश प्रक्रिया कौन करेगा। उधर बोर्ड परीक्षा में परीक्षक बनने वाले और छूटे सभी शिक्षकों को मूल्यांकन के काम से बुला लिया गया है। कोई कॉपी जांचेगा तो कोई कक्ष नियंत्रक बनकर सहयोग करेगा। ऐसी दशा में स्कूलों में तालाबंदी रहेगी। प्रधानाचार्यों के सामने समस्या थी कि वह प्रवेश प्रक्रिया को कैसे अमल में लाएं। साथ ही उनको भी मूल्यांकन में जाना है। कई प्रधानाचार्यों ने डीआईओएस को पत्र लिखकर गाइड लाइन मांगी है। अभी भी तमाम प्रधानाचार्य परेशान घूम रहे हैं।

जिला विद्यालय निरीक्षक मोहम्मद रफीक ने कहा कि प्रवेश और मूल्यांकन दोनों बेहद जरूरी काम हैं। दोनों कामों को करना है। इसलिए सभी प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया गया है कि वह प्रवेश प्रक्रिया के लिए बाबुओं की मदद लें। उन्हें प्रवेश फार्म बांटने का काम दिया जाए। मूल्यांकन के काम से निवृत्त होने के बाद प्रधानाचार्य प्रवेश प्रक्रिया को देखेंगे। वही सभी शिक्षकों को मूल्यांकन के काम में बुलाने का आदेश दिया गया है।