- तीन दिवसीय बिहार साइंस कॉन्फ्रेंस कल तक चलेगा

- त्रिपुरारी शरण ने कहा-सोसाइटी में गैप को पाटता है साइंस

PATNA: छठा बिहार साइंस कॉन्फ्रेंस ख्0क्ब् मंगलवार को रविंद्र भवन में स्टार्ट हुआ। इनॉगरेशन पटना यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ वाईसी सिम्हाद्री ने दीप जलाकर किया। वीसी डॉ सिम्हाद्री ने कहा कि पीयू में लगातार साइंस के फील्ड में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किया जा रहा है। प्रो वीसी रणजीत कुमार वर्मा, इसरो व मिशन डायरेक्टर, मार्स ओरबिटल मिशन के डॉ केशव राजू, रजिस्ट्रार डॉ सुधीर कुमार श्रीवास्तव, मगध महिला कॉलेज की प्रिंसिपल व कॉन्फ्रेंस की चेयरमैन डॉ डॉली सिन्हा, बीएन कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ राजकिशोर प्रसाद, कॉन्फ्रेंस के सेक्रेटरी डॉ एसडी यादव, बीब्रेंन डेवलपमेंट सोसायटी के चेयरमैन विभूति विक्रमादित्य मुख्य रूप से उपस्थित थे। प्रोग्राम का आयोजन बीब्रेंनस स्कॉलिस्टिक सेंटर पटना की ओर से किया गया।

कॉलेज के बाद साइंस से दूरी

वेस्टर्न कंट्री व इंडिया में साइंस के एजुकेशन सिस्टम में काफी अंतर है। हमारे एजुकेशन सिस्टम में काफी कमियां हैं। इंडिया में कॉलेज से एजुकेशन के बाद साइंस से नाता टूट जाता है। ये बातें साइंस एवं टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी त्रिपुरारी शरण ने कही। त्रिपुरारी शरण इनॉगरेशन सेशन में एड्रेस करते हुए कहा कि साइंस सोसाइटी में गैप को पाटती है। टेक्नोलॉजी सोसाइटी में आम लोगों को जोड़ने का काम करती है। आज लोग साइंस एजुकेशन से दूर जा रहे हैं। खासकर साइंस में फंडामेंटल रिसर्च के प्रति रूझान कम हो रहा है। आज जरूरत है कि साइंस एजुकेशन के प्रति स्टूडेंट्स में आकर्षण पैदा हो।

क्यूरिसिटी के कारण होता है रिसर्च

सीएसआईआर व एनसीएल पुने के डायरेक्टर डॉ सौरभ पॉल ने साइंस एजुकेशन को गियरअप करने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह कोई नया इन्वेंशन हो जाता है। क्यूरिसिटी, एक्सीडेंट एवं कई बार प्रॉब्लम के कारण नये प्रोडक्ट की खोज होती है। इनोवेशन के आइडिया को जब मार्केट मिल जाता है तो वह इन्वेंशन बन जाता है। उन्होंने कहा जीपीएस बहुत अच्छा उदाहरण है। आज जीपीएस का उपयोग कई फील्ड में हो रहा है।