- शताब्दीनगर से लीगली फारेस्ट घोषित क्षेत्र से गुजर रहा है रिंग रोड

-सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में नहीं बन पाएगी सड़क

-विभागों ने नहीं किया वन विभाग से कोआर्डिनेशन

आई एक्सूक्लूसिव

अखिल कुमार

मेरठ: सावधान! नहीं चेते तो मेरठ इनर रिंग रोड फंस जाएगा। शताब्दीनगर में लीगली फॉरेस्ट घोषित क्षेत्र से इनर रिंग रोड को नहीं गुजार सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट के साफ आदेश हैं कि लीगली फॉरेस्ट घोषित एरिया में किसी भी तरह के निर्माण को अनुमति नहीं मिलेगी। गौरतलब है कि शताब्दीनगर में 2 लीगली फोरेस्ट घोषित एरिया हैं जहां से इनर रिंग रोड को प्लान किया जा रहा है। ऐसे में वन विभाग का कहना है कि इनर रिंग का रूट चेंज करके या एलीवेटेड रोड बनाकर ही रिंग रोड को गुजारा जा सकता है।

लीगली फॉरेस्ट का पेंच फंसा

केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की रजामंदी के बाद मेरठ इनर रिंग रोड पर तेजी से काम हो रहा है तो वहीं अटकलें भी कम नहीं हैं। ऐसे में जिम्मेदार विभागों की नजरअंदाजी परियोजना को संकट में डाल सकती है। फिलहाल डॉ। प्रभात कुमार के निर्देशन में पीडब्ल्यूडी, मेरठ विकास प्राधिकरण और आवास विकास इस 34.380 किमी लंबी सड़क का निर्माण कराएंगे। विभिन्न विभागों से अनापत्ति के बाद ही परियोजना का निर्माण आरंभ हो सकेगा तो वहीं सबसे बड़ा रोड़ा वन विभाग का 'लीगली फॉरेस्ट' घोषित क्षेत्र है। डीएफओ अदिति शर्मा ने बताया कि इनर रिंग रोड की रूट में शताब्दीनगर क्षेत्र में वन विभाग द्वारा लीगली फॉरेस्ट घोषित क्षेत्र भी है।

नहीं हुआ कोआर्डिनेशन

डीएफओ ने बताया कि कोआर्डिनेशन न होने से अक्सर इस तरह की दिक्कतें आती हैं जो प्रोजेक्ट को पीछे धकेलने का काम करती हैं। इनर रिंग रोड को लेकर हो रही मीटिंग्स से भी फिलहाल वन विभाग को दूर रखा गया है।

यह है स्थिति

- 34.380 किमी-इनर रिंग रोड की कुल प्रस्तावित लम्बाई

- 2 चरणों में होगा निर्माण

15.050 किमी-प्रथम चरण में

19.330 किमी-द्वितीय चरण में

-प्रथम चरण में 4.100 किमी का निर्माण एमडीए और आवास विकास करेगा।

-अवशेष 10.950 किमी का निर्माण पीडब्ल्यूडी करेगा।

लागत 375.92 करोड़ रुपये है

ये होंगे

2-फ्लाई ओवर

2-आरओबी

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लीगली फॉरेस्ट घोषित क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण या विकास पर मनाही है। इनर रिंग रोड के प्रस्तावित रुट में शताब्दीनगर क्षेत्र में 2 लीगली फॉरेस्ट घोषित वन्यक्षेत्र है। ऐसे में परियोजना को इन स्थानों से गुजारने की मंजूरी वन विभाग नहीं दे सकता।

-अदिति शर्मा, डीएफओ, मेरठ