PATNA: पटना मेडिकल कॉलेज में बीएससी नर्सिग कॉलेज खोले जाने की घोषणा विगत दिनों नर्सिग डे पर पटना मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। एसएन सिन्हा ने की थी। फैसला सरकार का था। लेकिन लेटलतीफी का आलम कुछ ऐसा है कि यहां ख्0क्8-क्9 के नए सत्र से इसकी पढ़ाई नहीं हो पाएगी। इसकी पुष्टि मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने की है। जानकारी हो कि प्रदेश का एक ऐतिहासिक और पुराना मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद यहां पर इसकी सुविधा नहीं मिल सकी है।

सरकारी कॉलेजों में कहीं नहीं

प्रदेश स्तर पर बीएससी नर्सिग की बात करें तो राज्य सरकार के द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेजों में इसकी पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है। यदि पटना मेडिकल कॉलेज में इसकी सुविधा शुरू की जाती है तो इससे बिहार की सैकड़ों नर्सिग छात्राओं के लिए वरदान साबित होगा। बिहार नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल की इलेक्टेड मेंबर और 'ए' ग्रेड नर्सेज एसोसिएशन की महासचिव प्रमिला कुमारी ने कहा कि इस कोर्स के शुरू होने से एक बहुत बड़ा बदलाव होगा। बीएससी नर्सिग करने के बाद ये जीएनएम और एएनएम कोर्स के लिए ट्यूटर बनेगी।

लाखों रुपए होते हैं खर्च

प्रमिला ने बीएसएसी नर्सिग की पढ़ाई प्रदेश में नहीं होने की कारण होने वाली असुविधा के बारे में बताया कि बिहार की लड़कियों को फिलहाल इस कोर्स के लिए ग्वालियर, बंगलुरु व अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है। जबकि बिहार की बात करें तो यहां तीन- चार प्राइवेट संस्थान हैं जहां इस कोर्स के लिए पांच से छह लाख रुपए लगते हैं। जो सामान्य परिवार के लिए असंभव है।

क्या है पेंच, क्या है देरी

पटना मेडिकल कॉलेज कैंपस में ही बीएससी नर्सिग कॉलेज की बिल्िडग बनाया जाना है। लेकिन समस्या यह है कि इसका निर्माण का जिम्मा उठा रही बीएमएसआइसीएल की लेटलतीफी के कारण अभी तक इसका ढांचा भी नहीं बना है। जबकि इस बाबत सरकार ने फंड दे दिया है। इसके बावजूद सत्र ख्0क्8-क्9 में इसे शुरू करना संभव नहीं होगा। जबकि कॉलेज प्रशासन इस बात को स्वीकार करता है कि इस सत्र में इसे शुरू करने का था।

अभी क्या है स्थिति

पटना मेडिकल कॉलेज में वर्तमान में जीएनएम की पढ़ाई हो रही है। यह तीन वर्षीय पाठ्यक्रम है। जिसमें प्रति वर्ष करीब ख्भ्0 नर्सिग की छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं। इस कोर्स को कर ये सभी पेशेंट केयर के लिए काम करेंगी।

सत्र ख्0क्8-क्9 से नर्सिग कॉलेज के प्रारंभ होने की संभावना कम है। नई बिल्डिंग बनने में देरी है। नर्सिग स्कूल में ही इसकी पढ़ाई शुरू की जा सकती है।

- डॉ एसएन सिन्हा, प्रिंसिपल पटना मेडिकल कॉलेज