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LUCKNOW : यूपी बोर्ड कॉपियों के मूल्यांकन के दूसरे दिन रविवार को परीक्षकों व उप प्रधान परीक्षकों की संख्या में मामूली बढ़त देखने को मिली। आंकड़ों के अनुसार परीक्षक 6 से सात फीसदी और उप प्रधान परीक्षक करीब 20 फीसदी बढ़े। हालांकि दूसरे दिन भी परीक्षकों को समस्याओं से रुबरु होना पड़ा। किसी को कॉपी देर में मिली तो कहीं उनकी टीम के डीएचई ही नहीं पहुंचे। इसके अलावा एक केंद्र पर कुछ वित्तविहीन शिक्षकों ने मूल्यांकन का बहिष्कार भी किया।

60 हजार कॉपियों जांची गई
अमीनाबाद इंटर कॉलेज मूल्यांकन केंद्र पर डीएचई की संख्या नहीं बढ़ी, लेकिन पहले दिन की अपेक्षा 16 परीक्षक बढ़ गये। यहां कुल 1801 कॉपियां जांची गई। राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज में दूसरे दिन व्यवस्था में कुछ सुधार देखने को मिला। बंद कमरों के ताले भी खुल गए। यहां दो दिन में कुल 881 में से 305 शिक्षकों ने हाजिरी लगाई है। शाम तक 9146 कॉपियां जांची गई। इसी तरह राजकीय इंटर कॉलेज हुसैनाबाद में कुछ परीक्षक व डीएचई बढ़ गए और शाम तक 11507 कॉपियां जांची जा सकीं। राजकीय इंटर कॉलेज निशातगंज में 19222 और नेशनल इंटर कॉलेज में कुल 18322 कॉपियां चेक हु‌ई्र।

मूल्यांकन केंद्रों पर पहुंचे डीआईओएस
जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ। मुकेश कुमार सिंह ने राजकीय इंटर कॉलेज हुसैनाबाद, राजकीय इंटर कॉलेज निशातगंज सहित कई केंद्रों का दौरा कर मूल्यांकन की स्थिति देखी। उन्होंने कहा कि सोमवार तक जिन परीक्षकों ने ज्वाइन नहीं किया, उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

बंदर के आतंक से परेशान परीक्षक
राजकीय इंटर कॉलेज निशातगंज के मूल्यांकन केंद्र पर बंदरों के आंतक से परीक्षकों को काफी प्रॉब्लम हो रही है। यून्सिपल ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज कश्मीरी मोहल्ला की अंग्रेजी की शिक्षिका आरिफा कमरा नंबर पांच से कॉपी जांच कर निकल रहीं थीं, तभी एक बंदर उनका दुपट्टा छीन कर भाग निकला। इससे पहले बंदर कई शिक्षिकों के टिफिन भी लेकर भाग चुके हैं। उन्होंने इसकी शिकायत उप प्रधानाचार्य से की।

कॉपी के इंतजार में दिनभर भटके
मूल्यांकन के दौरान राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज में एक परीक्षक पांच घंटे तक कॉपी जांचने के लिए इंतजार करते रहे। दरअसल, यह परीक्षक इसी कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य चंद्र कुमार वर्मा हैं, जिन्हें अंग्रेजी विषय की कॉपी जांचने के लिए बोर्ड ने नियुक्ति किया है। जब वह कॉपी जांचने के लिए पहुंचे तो पता चला कि उनकी टीम में कोई डीएचई व अन्य परीक्षक नहीं है। इस पर उन्होंने दूसरे के साथ लगाने के लिए कहा। फिर भी उन्हें इधर-उधर भेजा जाता रहा। करीब सवा दो बजे जब उनके सब्र का बांध टूट गया तो उन्होंने मूल्यांकन से इंकार कर दिया। इसके बाद ही उन्हें मूल्यांकन के लिए दूसरी टीम में लगाया गया। यही हाल एलवीएम इंटर कॉलेज के शिक्षक चक्र बिहारी बाजपेई का रहा। उन्हें भी दोपहर एक बजे तक कॉपी नहीं मिल पाई थीं।