- दिन में 3 बार से ज्यादा सेल्फी क्लिक करना बना रहा है मानसिक बीमार
- सायकोलॉजिस्ट के पास पहुंचने लगे केसेज, 60 परसेंट गर्ल्स चपेट में
BAREILLY: यदि आप एक दिन में तीन बार से अधिक सेल्फी क्लिक कर सोशल मीडिया में पोस्ट करते हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आप खुद को मानसिक बीमार बना रहे हैं। यह क्रम यदि नहीं थमा तो आप 'सेल्फी बेकस और ऑब्सेसिव कंप्लसिव डिसऑर्डर' बीमारी के शिकार बन जाएंगे। सेल्फी का चढ़ता यह भूत खासकर यूथ को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। सायकॉलोजिस्ट के मुताबिक मेट्रो सिटीज का यह भूत अब शहर में भी आ चुका है। जिसकी चपेट में करीब 60 परसेंट गल्र्स हैं।
क्या है यह बीमारी
सायकोलॉजिस्ट के मुताबिक कोई व्यक्ति यदि सुबह से शाम तक कोई सेल्फी नहीं ले और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करे तो उसे बेचैनी होने लगती है। इसी बेचैनी को ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर कहते हैं। वहीं जरूरत से ज्यादा सेल्फी लेना बॉडी में डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर नाम की बीमारी का भी शिकार बना रही है। सनद रहे कि तेजी से बढ़ रहे सेल्फी के जुनून ने खुद को स्मार्ट और खतरनाक तरीके से सेल्फी लेने की चाहत से जान जोखिम में पड़ रही है। अपनी फोटो बार-बार खींचना और डिलीट करते रहने की आदत एक तरह से मनोविकार है।
लाइक, कमेंट्स भी वजह
साइकोलॉजिस्ट का मानना है कि यदि यूथ कहीं बाहर जाते हैं तब डेंजर जोन में सेल्फी लेते हैं। ताकि सेल्फी सबसे अच्छी हो। इसी एडवेंचर के जुनून की हद में खुद को संकरी जगह, पहाड़ के किनारे, नदी के डेंजर जोन पर, किसी खंडहर या जर्जर इमारत को सेल्फी लेने की लिए चुनते हैं। क्लिक सेल्फी को यूथ फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम या अन्य सोशल साइट्स शेयर करते हैं और लाइक्स और कमेंट पर निगाह लगाए रहने से ही बीमारी की शुरुआत होती है। मनमुताबिक लाइक्स नहीं मिलने से नर्वसनेस होती है। फिर वह इससे भी ज्यादा कुछ कर गुजरने लगते हैं। जो घातक होता है।
लक्षण और प्रभाव
- पेशेंट में खुद को सेल्फ प्रमोट करने की आदत
- लाइफ को खुद के अंदाज में जीने की चाह
- मोबाइल कैमरे को शार्टकट सेलेक्शन में रखना
- खुद की बेहतर सेल्फी लेने के लिए बेचैन होना
- दिनचर्या के प्रत्येक मूमेंट को क्लिक करना
- चिंता से पीडि़त होना, डिप्रेशन का बढ़ना
- चिंताग्रस्त होकर अकेलेपन के साथ जीना
- समाज, परिवार, फ्रेंड्स से जलन और दूरी
- खुद के लिए खुद ही खतरा बन जाना
शुरुआत में सेल्फी की आदत ही बाद में डिसऑर्डर का शिकार बना रही है। जो घातक है। यूथ अपनी आदतों के प्रति अवेयर रहें तो इससे छुटकारा मिल सकता है।
हेमा खन्ना, सायकोलॉजिस्ट
सेल्फी नहीं क्लिक करने पर बेचैनी होती है। लोगों ने टोकना शुरू किया तो खुद से छोड़ने की कोशिश की। पर सफल नहीं हुआ। अब इसे बीमारी बता रहे हैं।
गौरव तिवारी, स्टूडेंट
कई बार खुद ही फील हुआ कि अनचाहे ही सेल्फी ले रहा हूं। प्रॉब्लम को सायकोलॉजिस्ट से शेयर किया तो उन्होंने काउंसलिंग के लिए बुला रहे हैं।
संदीप वर्मा, स्टूडेंट