IIT BHU की ओर से 'एडवांसेस इन बॉयोलॉजिकल सिस्टम एंड मैटेरियल्स साइंस इन नैनो व‌र्ल्ड' विषयक सेमिनार का उद्घाटन

VARANASI

डायबटीज आज एक महामारी का रूप ले चुका है। बुजुर्ग ही नहीं, युवा भी इस रोग की चपेट में हैं। इसे रोकने के लिए तमाम दवाएं खोजी गयी हैं। लेकिन कारगर इलाज अभी तक संभव नहीं हो पाया है। आईआईटी(बीएचयू) में बॉयोलॉजिकल सिस्टम और नैनो तकनीकी की मदद से इस रोग का कारगर इलाज खोजा जा सकता है। यह बातें सोमवार को स्वतंत्रता भवन में 'एडवांसेस इन बॉयोलॉजिकल सिस्टम एंड मैटेरियल्स साइंस इन नैनो व‌र्ल्ड' विषयक पांच दिवसीय सेमिनार में उद्घाटन के अवसर पर बतौर चीफ गेस्ट पद्मश्री प्रो टीवी रामाकृष्णन (एफआरएस) ने कही। उन्होंने कहा कि मानवता के हित के लिए साइंटिस्ट्स व इंजीनियर्स को मिलकर काम करने की जरूरत है।

अल्जाइमर का भी हो सकता है इलाज

बतौर मुख्य वक्ता न्यू जर्सी, यूएसए के प्रो विकास नंदा ने अपने प्रोटीन के विश्लेषण के बारे में बताया कि मस्तिष्क कोशिका में प्रोटीन की स्थिति ही मानव के यादाश्त के लिए महत्वपूर्ण कारक होती है। इन्हीं की संरचनाओं में सुधार कर अल्जाइमर जैसे रोगों पर विजय पाई जा सकती है। सम्मेलन के कन्वेनर, डॉ। अवनीश सिंह परमार ने सम्मेलन में चर्चा होने वाले विषयों के बारे में बताया और सम्मेलन सचिव व भौतिकी विभाग के कार्यकारी विभागाध्यक्ष, प्रो। प्रभाकर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। आज चले सेशंस में स्विट्जरलैंड से प्रो। राफिली मेजेंगा, आईआईटी दिल्ली से प्रो। बीआर। मेहता, डॉ। संकल्पना घोष, आईआईटी बाम्बे से प्रो। समीर माजी, जेएनयू से प्रो। सुबाशीष घोष, आईआईएसईआर से डॉ। निलांजना सेन गुप्ता आदि ने अपने रिसर्च पेपर पढ़े। पॉपुलर टॉक इजराइल के प्रोफेसर एहुद गाजिट ने दिया।