-काशी विद्यापीठ के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

--RSS के काशी प्रांत प्रचारक अभय कुमार ने हिंदी की बदहाली पर जताई चिंता

VARANASI

भाषा और शिक्षा संस्कृति की मुख्य वाहक है। हिंदी और भारतीय शिक्षा पद्धति के माध्यम से भारत के पुनर्निर्माण की पहल से अपेक्षित परिणाम आएगा। समाज में आज भी हिंदी की लड़ाई अंग्रेजी से जारी है। काशी विद्यापीठ के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित संस्कृति एवं राष्ट्र पुनर्निमाण : चुनौतियां एवं समाधान विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर आरएसएस के प्रांत प्रचारक अभय कुमार ने ये बातें कहीं।

सांस्कृतिक आधार पर राष्ट्र का निर्माण

उन्होंने कहा कि राष्ट्र का निर्माण सांस्कृतिक आधार पर होता है। हमारे पूर्वजों ने जिन सांस्कृतिक मूल्यों एवं जीवन शैली को विकसित किया, उन्हीं के आधार पर आज भी भारत संगठित है। विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश प्रभारी सुदर्शन महाराज ने भगवान राम एवं कृष्ण के जीवन चरित्र को भारतीयता तथा भारतीय राष्ट्रवाद के लिए उपयोगी बताया। विहिप के काशी प्रांत प्रभारी दिवाकर, आरएसएस काशी प्रांत व्यवस्था प्रमुख जयप्रकाश आदि ने भी विचार रखे। आयोजक प्रो। रवि प्रकाश पांडेय ने दो दिवसीय संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। स्वागत भाषण प्रो। मल्लिका चतुर्वेदी व संचालन प्रो। रेखा ने किया। बाद में डॉ। सुनील कुमार मिश्रा की पुस्तक सामाजिक अनुसंधान एवं सांख्यिकी का विमोचन भी किया गया। इस मौके पर प्रो। जयकांत तिवारी, प्रो। अशोक कौल, प्रो। विक्रमादित्य, प्रो। एएल श्रीवास्तव, प्रो। आरएन त्रिपाठी, डॉ। जियाउद्दीन आदि मौजूद थे।