सेंट जेवियर्स कॉलेज में चल रहे एन्वायरमेंट एंड इकोलॉजी इंटरनेशनल सेमिनार का समापन

एक हजार से ज्यादा रिसर्च स्कॉलर्स ने पेश किए पेपर

RANCHI: सेंट जेवियर्स कॉलेज में चल रहे एन्वायमेंट एंड इकोलॉजी विषय पर तीन दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार में कई युवा रिसर्च स्कॉलर पार्टिसिपेट कर रहे हैं। इस सेमिनार में देशभर के युवाओं के ख्00 पर्यावरण समस्या के समाधान से जुड़े पोस्टर, फ्00 ओरल प्रेजेंटेशन व भ्00 से ज्यादा पेपर लोगों के सामने पेश किए गए। इसमे युवा रिसर्चरों ने विश्व में हो रहे पर्यावरण समस्या से जुड़े कई पहलुओं पर रिसर्च करके समस्या का जड़ बन रहे कारणों को ढूंढने का प्रयास किया। बुधवार को इस सेमिनार का समापन हो गया।

समस्याओं के सुझाए समाधान

लेड नहीं बीएनबीटी का हो इस्तेमाल

आज हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में कम कीमत की वजह से लेड का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि पर्यावरण की नजर से बेहद खतरनाक है। लेड लगा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पानी को इतना दूषित कर देता है कि उससे लोगों का ग्रोथ रुक सकता है। इसकी जगह हम बीएनबीटी का इस्तेमाल करें।

सौरभ कुमार, स्टूडेंट, फिजिक्स

वेस्ट मैनेजमेंट पर देना होगा ध्यान

झिर्री में कचरा का अंबार लगा है जिससे उसके आस-पास के स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट्स बीमार पड़ रहे हैं। मेरी टीम हरमू, खेलगांव, खादगढ़ा जैसे क्षेत्रों में होने वाली डंपिंग पर रिसर्च की, जिसकी स्थिति देखकर यही लगा कि रांची के स्मार्ट बनने का रास्ता आसान नहीं है।

अजय आनंद महतो, स्टूडेंट, कंप्यूटर साइंस

अमरूद है हर्बल मेडिसीन

अमरूद को हर्बल मेडिसीन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, लोगों को जब स्किन प्रॉब्लम या कहीं सूजन होता है तो वे ऐलोबेटिक मेडिसीन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसकी जगह अमरूद का इस्तेमाल हो, तो वह ज्यादा सस्ता और फायदेमंद होगा।

विष्णु पांडेय, स्टूडेंट, बॉटनी

पेड़ों के कटने से हो रहा पलायन

झारखंड में वृक्षों की कटाई तेज होने के कारण वातावरण में काफी बदलाव आया है। पेड़ों की कटाई के कारण पर्यावरण और आदिवासियों को नुकसान पहुंच रहा है क्योंकि दोनों एक दूसरे से जुड़े है। तापमान में बढ़ोतरी के कारण खेती से लेकर पशुपालन पर प्रभाव पड़ रहा है। इसके कारण लोग यह काम छोड़कर शहर की ओर पलायन कर रहें है।

एम बारला, टीचर, इकोनॉमिक्स