-सेमिनार में देशभर से आए डॉक्टर्स ने व्यक्त किए विचार

-बच्चों में होने वाले गठिया रोग पर हुई चर्चा

ALLAHABAD: रोगों के इलाज में नई तकनीक और दवाओं का उपयोग बेहतर है। लेटेस्ट दवाएं अधिक सुरक्षित साबित हो रही हैं। केजीएमयू लखनऊ के हिमैटोलाजी विभाग के एचओडी प्रो। एके त्रिपाठी ने यह बात कही। वह रविवार को होटल कान्हा श्याम में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की ओर से आयोजित सेमिनार एमेकॉन-2017 में बोल रहे थे। उन्होंने नई दवाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि अगर कोई बुखार से दो सप्ताह से ठीक नहीं हो रहा है तो खून की जांच करानी चाहिए। इससे ब्लड कैंसर की जल्दी पहचान हो सकती है। उन्होंने डॉ। अनूप त्रिपाठी ओरेशन में ल्यूकीमिया के बारे में बताया।

लाइलाज नहीं गठिया

गठिया रोग बड़ों को नहीं बल्कि बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। खानपान और रहन सहन में अनियमितता के चलते ऐसा हो रहा है। पीडियाट्रिक रियूमैटोलॉजिस्ट डॉ। सुजाता साहनी ने बच्चों में होने वाली गठिया के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि बच्चों में होने वाली गठिया लाइलाज नहीं है। समय रहते इसकी पहचान हो जाए तो ठीक किया जा सकता है। एम्स में रियूमैटोलॉजिस्ट विभाग के पूर्व एचओडी डॉ। एएन मालवीय ने गठिया रोग की पहचान करके, जल्द इलाज शुरू करने के फायदों पर प्रकाश डाला। अस्थि सर्जन डॉ। जे। महेश्वरी ने गठिया की सर्जरी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जोड़ प्रत्यारोपण जरूरत के हिसाब से होना चाहिए। इसके पहले मुख्य अतिथि आइएमए के राष्ट्रीय सचिव डॉ। आरएन टंडन एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ। अशोक अग्रवाल ने सेमिनार का आरंभ किया।

आयरन की कमी से होती है एनीमिया

प्रो। अनुपम वाखलू ने ल्यूपस बीमारी के बारे में बताया। कहा कि यह एक आटोइम्यून बीमारी है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को नुकसान पहुंचाती है। सिर्फ गांठों तक सीमित न होकर यह त्वचा, रूधिर, तंत्र, गुर्दा, मस्तिष्क, हृदय एवं फेफड़ों सहित पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है। दवाओं से बीमारी का नियंत्रण होता है। डॉ। केके गुप्त ने कहा कि आयरन की कमी भारत में एनीमिया का सबसे बड़ा कारण है। डॉ। पुनीत कुमार ने यूरिक एसिड से होने वाली गठिया रोग पर व्याख्यान दिया। डॉ। एसपी वर्मा ने रक्तस्त्राव संबंधित बीमारियों पर प्रकाश डाला। डॉ। आरएन टंडन ने कहा कि कोई भी कानून बनाने से पहले 80 फीसदी इलाज की सुविधा देने वाले नर्सिग होम व क्लीनिक के बारे में सोचना चाहिए। आईएमए इस मामले को लेकर गंभीर है। जबकि डॉ। पीसी महापात्रा, डॉ। राधारानी घोष, डॉ। सुबोध जैन, डॉ। आशुतोष गुप्त और डॉ। पारूल माथुर ने विचार व्यक्त किया। एएमए अध्यक्ष डॉ। अनिल शुक्ल ने स्वागत व आयोजन सचिव डॉ। मनोज माथुर ने आभार ज्ञापित किया। डॉ। त्रिभुवन सिंह ने एएमए की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की।